भोपाल(Bhopal)।मध्यप्रदेश में जूडा और नर्सों के बाद अब आशा उषा कार्यकर्ता ने अपनी सात सूत्रीय मांगों को लेकर 20 जून से हड़ताल का ऐलान किया था. 22 जून को सीएम से मुलाकत के बाद सीएम ने आशा उषा (asha usha worker)कार्यकर्ताओं को मदद का आश्वासन दिया था. लेकिन आश्वासन के बाद भी भिंड जिले की सहयोगिनी संगठन की पूर्व अध्यक्ष लक्ष्मी कौरव के आह्वान पर भोपाल में 24 जून को आशा उषा कार्यकर्ताओं ने प्रदर्शन किया था. लक्ष्मी कौरव को 2019 में संगठन विरोधी गतिविधियों के चलते संगठन से हटा दिया था. बाद में प्रदेश अध्यक्ष विभा श्रीवास्तव ने सभी आशा बहनों से काम पर लौटने और हड़ताल स्थगित करने को कहा. हालांकि आशा उषा सहयोगिनी संगठन की जिला अध्यक्ष कविता सैनी ने कहा 24 जून को भोपाल में हुए प्रदर्शन से संगठन का कोई लेना देना नहीं है.
सात सूत्रीय मांगों को लेकर सीएम से की थी मुलाकात
अपनी सात सूत्री मांगों को लेकर 20 जून को आशा उषा सहयोगिनी संगठन ने हड़ताल पर जाने का फैसला लिया था . 22 जून को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने संगठन की प्रदेश अध्यक्ष विभा श्रीवास्तव और भोपाल की जिला अध्यक्ष कविता सैनी और संगठन के पदाधिकारियों को मुख्यमंत्री आवास पर बुलाकर उनसे बात की . मुख्यमंत्री ने उनकी समस्याओं और मांगों को सुना. सीएम ने आश्वासन दिया कि जल्द ही राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अधिकारियों और स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों से चर्चा कर आशा उषा और सहयोगिनी के हितों को लेकर चर्चा करेंगे.
24 जून को भोपाल में हुए प्रदर्शन को लेकर आशा उषा कार्यकर्ताओं ने साफ की स्थिति
मुख्यमंत्री से आश्वासन मिलने के बाद प्रदेश अध्यक्ष विभा श्रीवास्तव ने सभी आशा बहनों से कोरोना संक्रमण को देखते हुए अपने काम पर लौटने का आग्रह किया था. 24 जून को हुए प्रदर्शन को लेकर विभा श्रीवास्तव ने कहा कि लक्ष्मी कौरव पहले भिंड जिले की जिला अध्यक्ष थी .संगठन विरोधी गतिविधियों के चलते 2019 में उन्हें पद से हटा दिया गया था. कल पूरे प्रदर्शन में वह खुद को प्रदेश अध्यक्ष बताती रही. इसी बीच प्रदेश अध्यक्ष विभा श्रीवास्तव ने बताया कि मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री से चर्चा होने के बाद प्रदेश के सभी 52 जिलों की आशा उषा कार्यकर्ताओं अपने काम पर लौटने और हड़ताल को खत्म करने को कहा . आशा उषा सहयोगिनी संगठन की जिला अध्यक्ष कविता सैनी ने बताया कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से बात होने के बाद संगठन की सभी आशा उषा कार्यकर्ता अपने अपने काम पर लौट गई हैं और टीकाकरण में बढ़ चढ़कर सहयोग कर रहे हैं .उन्होंने बताया कि 24 जून को भोपाल में हुए धरना प्रदर्शन से उनके संगठन का कोई लेना देना नहीं है.
7 सूत्रीय मांगों को लेकर आशा कार्यकर्ताओं ने किया हड़ताल का ऐलान
ये थी मांगे :
- आशा सहयोगी को 30 दिन का पूरा भुगतान प्रदान किया जाए.
- आशा सहयोगी का पेट्रोल भत्ता बढ़ाया जाए, क्योंकि एक कार्यकर्ता पर 15 से 16 गांव की जिम्मेदारी रहती है.
- आशा कार्यकर्ता को शासकीय कर्मचारी की मान्यता मिले.
- आशा कार्यकर्ताओं को प्रत्येक गांव के आरोग्य केंद्र से पृथक किया जाए.
- आशा कार्यकर्ताओं जो कि नौ माह तक गर्भवती माताओं का ध्यान रखकर उनकी डिलीवरी करवाती हैं उसका पारितोषिक 600 रुपये के स्थान पर 1200 रुपये किया जाए.
- आशा सहयोगी को 15000 रुपये और आशा कार्यकर्ता को 10,000 रुपये प्रति माह फिक्स मानदेय दिया जाए.शहरी आशा कार्यकर्ता व ग्रामीण आशा कार्यकर्ताओं को समान वेतन दिया जाए.