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भारत ही नहीं कई देशों में होती है भगवान गणेश की पूजा, देखिए किस देश में कैसा है बप्पा का रूप

मध्य प्रदेश के एक रिटायर्ड ऑफिसर के घर भगवान गणेश की 1100 प्रतिमाओं का कलेक्शन है. इनमें कई ऐसी प्रतिमाएं भी शामिल है, जो दूसरे देशों से लाई गई है.

रिटायर्ड आईपीएस डॉ. सुभाष अत्रे के पास है भगवान गणेश की 1100 से ज्यादा मूर्तियां
रिटायर्ड आईपीएस डॉ. सुभाष अत्रे के पास है भगवान गणेश की 1100 से ज्यादा मूर्तियां
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Published : Sep 15, 2021, 5:15 PM IST

भोपाल। भगवान गणेश (Ganesh) को भारत ही नहीं, बल्कि दुनिया के कई देशों में पूजा जाता है. हालांकि दूसरे देशों में भगवान श्रीगणेश का रूप बदला हुआ है, लेकिन भोपाल के रिटायर्ड आईपीएस डॉ. सुभाष अत्रे (Retired IPS Dr. Subhash Atre) के पास अलग-अलग देशों की गणेश प्रतिमाओं का अद्भुत कलेक्शन है. उनके घर के प्रवेश द्वार से लेकर लिविंग रूम तक हर जगह आपको सिर्फ भगवान गणेश की प्रतिमाए ही नजर आएगी. पिछले 40 सालों में डाॅ. अत्रे ने 11 सौ से ज्यादा गणेश प्रतिमाओं का कलेक्शन किया है. इसमें कई प्रतिमाएं दूसरे देशों से लाई गई है.

रिटायर्ड आईपीएस डॉ. सुभाष अत्रे के पास है भगवान गणेश की 1100 से ज्यादा मूर्तियां

इन देशों में यह है भगवान गणेश का रूप

रिटायर्ड आईपीएस डॉ. अत्रे (Retired IPS Dr. Subhash Atre) के संग्रह में चीन (China), जापान (Japan), म्यांमार (Myanmar), थाईलैंड (Thailand), कंबोडिया (Cambodia), इंडोनेशिया (Indonesia) की गणेश प्रतिमाएं मौजूद हैं. वह बताते हैं कि चित्रों, ग्रंथों और अन्य पुरातात्विक सामग्रियों से पता चलता है कि भारत के अलावा गणेश का नाम, प्रभाव और पूजन अन्य देशों में भी प्रचलित था. हालांकि अन्य देशों में गणेश की प्रतिमाओं उनके स्वरूप और नाम अलग होते गए.

यहां एक छत के नीचे रखी हैं 5000 गणेश प्रतिमाएं, हर धातु की मूर्ति मौजूद, मिलिए 'बप्पा' से सबसे बड़े भक्त से

म्यांमार: म्यांमार पहले बर्मा के नाम से पहचाना जाता था. वहां भगवान गणेश को महापियेन कहा जाता है. यहां भगवान गणेश के दो हाथ होते हैं. एक हाथ में हमेशा की तरह लड्डू, लेकिन दूसरे हाथ में मूली होती है.

म्यांमार से लाई गई भगवान गणेश की प्रतिमा
म्यांमार से लाई गई भगवान गणेश की प्रतिमा

जापान: यहां भगवान गणेश को कांगीतेन कहा जाता है. यहां युगल गणेश की प्रतिमा मिलती है. इसमें दो गजमुखी देवता एक दूसरे के गलते मे बाहें डालकर आमने-सामने मिलते हैं. जापाना में कांगीतेन को सुख-समृद्धि और कुशलता का देवता माना जाता है.

जापान से लाई गई भगवान गणेश की मूर्ति
जापान से लाई गई भगवान गणेश की मूर्ति

चीन: चीन में गणेश का नाम क्वान शी तियेन है. यहां गणेश ड्रेगन से लड़ते दिखाई देते हैं.

चीन में गणेश का नाम क्वान शी तियेन है. यहां गणेश ड्रेगन से लड़ते दिखाई देते हैं.
चीन में गणेश का नाम क्वान शी तियेन है. यहां गणेश ड्रेगन से लड़ते दिखाई देते हैं.

इंडोनेशिया: यहां भगवान गणेश का स्वरूप बिलकुल अलग हैं, यहां गणेश का मुंह हाथी का नहीं, बल्कि सिंह रूप में होता है. साथ ही मुकुट भी किरीट रूपी होते हैं. यहां गणेश को विनायगर कहा जाता है.

इंडोनेशिया में इस रूप में होती है भगवान गणेश की पूजा
इंडोनेशिया में इस रूप में होती है भगवान गणेश की पूजा

थाईलैंड: यहां भगवान गणेश की हेयरस्टाइल बिलकुल अलग होती हैं. यहां गणेश की प्रतिमाओं में उनके बड़े बाल नहीं, बल्कि छोटी-छोटी कई चोटियां होती हैं.

चीन और जापान में इस स्वरूप में घर में रखी जाती हैं भगवान गणेश की मूर्ति
चीन और जापान में इस स्वरूप में घर में रखी जाती हैं भगवान गणेश की मूर्ति

कंबोडिया: यहां श्रीगणेश को प्रहकनेस या केनेरा कहा जाता है. यहां गणेश की प्रतिमा दाहिना पैर, बाएं पर रखकर पालथी मारे दिखलाई देती हैं.

पिछले 40 सालों से गणेश प्रतिमाओं का संग्रह

डाॅ. अत्रे पिछले करीब 40 सालों से भगवान श्रीगणेश की प्रतिमाओं का संकलन कर रहे हैं. उनके घर में प्रवेश करते ही भगवान गणेश की प्रतिमाएं दिखनी शुरू हो जाती हैं. लिविंग रूम में सिर्फ गणेश की मूर्तियां ही हैं. इसमें भगवान गणेश के अलग-अलग रूप, अलग-अलग वाहनों पर गणेश की प्रतिमाएं हैं. वे कहते हैं कि देश के अलग-अलग प्रांतों में श्रीगणेश की अलग-अलग प्रतिमाओं के स्वरूप होते है. वह सभी मूर्तियां उनके संग्रह में मौजूद हैं. वे देश विदेश जहां भी जाते हैं वहां गणेश की मूतियां जरूर ढूंढते हैं. डाॅ. सुभाष अत्रे ने इसको लेकर एक किताब 'दुखहर्ताः सुखकर्ता श्री गणेश के 32 स्वरूप' भी लिखी है.

भोपाल। भगवान गणेश (Ganesh) को भारत ही नहीं, बल्कि दुनिया के कई देशों में पूजा जाता है. हालांकि दूसरे देशों में भगवान श्रीगणेश का रूप बदला हुआ है, लेकिन भोपाल के रिटायर्ड आईपीएस डॉ. सुभाष अत्रे (Retired IPS Dr. Subhash Atre) के पास अलग-अलग देशों की गणेश प्रतिमाओं का अद्भुत कलेक्शन है. उनके घर के प्रवेश द्वार से लेकर लिविंग रूम तक हर जगह आपको सिर्फ भगवान गणेश की प्रतिमाए ही नजर आएगी. पिछले 40 सालों में डाॅ. अत्रे ने 11 सौ से ज्यादा गणेश प्रतिमाओं का कलेक्शन किया है. इसमें कई प्रतिमाएं दूसरे देशों से लाई गई है.

रिटायर्ड आईपीएस डॉ. सुभाष अत्रे के पास है भगवान गणेश की 1100 से ज्यादा मूर्तियां

इन देशों में यह है भगवान गणेश का रूप

रिटायर्ड आईपीएस डॉ. अत्रे (Retired IPS Dr. Subhash Atre) के संग्रह में चीन (China), जापान (Japan), म्यांमार (Myanmar), थाईलैंड (Thailand), कंबोडिया (Cambodia), इंडोनेशिया (Indonesia) की गणेश प्रतिमाएं मौजूद हैं. वह बताते हैं कि चित्रों, ग्रंथों और अन्य पुरातात्विक सामग्रियों से पता चलता है कि भारत के अलावा गणेश का नाम, प्रभाव और पूजन अन्य देशों में भी प्रचलित था. हालांकि अन्य देशों में गणेश की प्रतिमाओं उनके स्वरूप और नाम अलग होते गए.

यहां एक छत के नीचे रखी हैं 5000 गणेश प्रतिमाएं, हर धातु की मूर्ति मौजूद, मिलिए 'बप्पा' से सबसे बड़े भक्त से

म्यांमार: म्यांमार पहले बर्मा के नाम से पहचाना जाता था. वहां भगवान गणेश को महापियेन कहा जाता है. यहां भगवान गणेश के दो हाथ होते हैं. एक हाथ में हमेशा की तरह लड्डू, लेकिन दूसरे हाथ में मूली होती है.

म्यांमार से लाई गई भगवान गणेश की प्रतिमा
म्यांमार से लाई गई भगवान गणेश की प्रतिमा

जापान: यहां भगवान गणेश को कांगीतेन कहा जाता है. यहां युगल गणेश की प्रतिमा मिलती है. इसमें दो गजमुखी देवता एक दूसरे के गलते मे बाहें डालकर आमने-सामने मिलते हैं. जापाना में कांगीतेन को सुख-समृद्धि और कुशलता का देवता माना जाता है.

जापान से लाई गई भगवान गणेश की मूर्ति
जापान से लाई गई भगवान गणेश की मूर्ति

चीन: चीन में गणेश का नाम क्वान शी तियेन है. यहां गणेश ड्रेगन से लड़ते दिखाई देते हैं.

चीन में गणेश का नाम क्वान शी तियेन है. यहां गणेश ड्रेगन से लड़ते दिखाई देते हैं.
चीन में गणेश का नाम क्वान शी तियेन है. यहां गणेश ड्रेगन से लड़ते दिखाई देते हैं.

इंडोनेशिया: यहां भगवान गणेश का स्वरूप बिलकुल अलग हैं, यहां गणेश का मुंह हाथी का नहीं, बल्कि सिंह रूप में होता है. साथ ही मुकुट भी किरीट रूपी होते हैं. यहां गणेश को विनायगर कहा जाता है.

इंडोनेशिया में इस रूप में होती है भगवान गणेश की पूजा
इंडोनेशिया में इस रूप में होती है भगवान गणेश की पूजा

थाईलैंड: यहां भगवान गणेश की हेयरस्टाइल बिलकुल अलग होती हैं. यहां गणेश की प्रतिमाओं में उनके बड़े बाल नहीं, बल्कि छोटी-छोटी कई चोटियां होती हैं.

चीन और जापान में इस स्वरूप में घर में रखी जाती हैं भगवान गणेश की मूर्ति
चीन और जापान में इस स्वरूप में घर में रखी जाती हैं भगवान गणेश की मूर्ति

कंबोडिया: यहां श्रीगणेश को प्रहकनेस या केनेरा कहा जाता है. यहां गणेश की प्रतिमा दाहिना पैर, बाएं पर रखकर पालथी मारे दिखलाई देती हैं.

पिछले 40 सालों से गणेश प्रतिमाओं का संग्रह

डाॅ. अत्रे पिछले करीब 40 सालों से भगवान श्रीगणेश की प्रतिमाओं का संकलन कर रहे हैं. उनके घर में प्रवेश करते ही भगवान गणेश की प्रतिमाएं दिखनी शुरू हो जाती हैं. लिविंग रूम में सिर्फ गणेश की मूर्तियां ही हैं. इसमें भगवान गणेश के अलग-अलग रूप, अलग-अलग वाहनों पर गणेश की प्रतिमाएं हैं. वे कहते हैं कि देश के अलग-अलग प्रांतों में श्रीगणेश की अलग-अलग प्रतिमाओं के स्वरूप होते है. वह सभी मूर्तियां उनके संग्रह में मौजूद हैं. वे देश विदेश जहां भी जाते हैं वहां गणेश की मूतियां जरूर ढूंढते हैं. डाॅ. सुभाष अत्रे ने इसको लेकर एक किताब 'दुखहर्ताः सुखकर्ता श्री गणेश के 32 स्वरूप' भी लिखी है.

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