भोपाल। NIA ने एक बार फिर टेरर फंडिंग और आतंक मॉड्यूल की कमर तोड़ने के लिए कार्रवाई की. यह कार्रवाई 26 मई यानी शुक्रवार की रात से 27 मई यानी शनिवार सुबह तक चली. इस दौरान कुल 13 स्थानों से सैयद ममूर अली, मोहम्मद आदिल खान और मोहम्मद शाहिद को गिरफ्तार किया गया. गौरतलब है कि अगस्त 2022 में एजेंसी के संज्ञान में आने वाले मोहम्मद आदिल खान नामक शख्स का कनेक्शन आईएसआईएस से जुड़ा मिला था. इसके खिलाफ आईएसआईएस (ISIS) के समर्थन में गतिविधियां करने का मामला एनआईए ने 24 मई को दर्ज किया था. इन तीनों के खिलाफ भादवि की धारा 120 बी, 95A और 16, 17, 18 के अंतर्गत मामला दर्ज किया गया है. इसी के तहत इन्हें गिरफ्तार किया गया है. पुलिस ने इनकी रिमांड मांगी थी तो कोर्ट ने 3 जून तक की रिमांड स्वीकृत कर दी. इस बारे में चीफ लीगल एड डिफेंस काउंसिल की रीना वर्मा ने बताया कि इस मामले में अभी इंवेस्टिगशन चल रही है.
ISIS के इशारे पर हिंसा फैलाने की साजिश : एनआईए ने जांच में पाया कि आदिल और उसके साथी आईएसआईएस के इशारे पर भारत में हिंसक वारदात करने के लिए सोशल मीडिया प्लेटफार्म के साथ 'दावा' नामक कार्यक्रम करके आईएसआईएस की गतविधियों का प्रचार-प्रसार करते थे. ये लोग स्थानीय मस्जिदों और घरों में बैठक करके देश में आतंक फैलाने की योजना बनाते थे. इसी से कड़ी जोड़ते हुए जबलपुर में कार्रवाई की गई और पाया कि तीनों आरोपी जिन्हें जबलपुर से पकड़ा गया है, खतरनाक कट्टरपंथी हैं. ये हिंसक जिहाद को अंजाम देने के लिए तैयार थे. ये लोग फंड इकट्ठा कर रहे थे और आईएसआईएस के लिए प्रचार सामग्री को एकत्रित करके उनका प्रसार युवाओं को प्रेरित करने और भर्ती करने के लिए कर रहे थे. इनका साफ मकसद था कि आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम देना है और इसी मकसद से इन्होंने हथियार और गोला-बारूद खरीदने की कोशिश भी की.
व्हाट्सएप ग्रुप भी संचालित : गिरफ्तार सदस्यों में से सैयद मामूर अली ने 'फिसाबिलिल्लाह' के नाम से एक स्थानीय समूह बनाया था और इसी नाम से एक व्हाट्सएप ग्रुप भी संचालित कर रहा था. वह अपने साथियों के साथ पिस्तौल खरीदने की कोशिश कर रहा था और इस उद्देश्य के लिए जबलपुर स्थित एक अवैध हथियार सप्लायर के संपर्क में था. आदिल ने जबलपुर में अपने जैसी कट्टरपंथी विचार वाले युवाओं का एक समूह तैयार कर लिया था. एनआईए की जांच में पता चला कि इस मॉड्यूल में काम करने वाले युवा पहने से ही हिजरत पर विचार कर रहे थे. जबकि बाकी भारत में दंगे, फसाद और अन्य हिंसक वारदात को अंजाम देने की कोशिश में लगे थे. आदिल ने युवाओं को जोड़ने के लिए और आईएसआईएस में भर्ती करने के लिए कई सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर कई चैनल बनाकर रखे थे. शाहिद ने पिस्तौल खरीदने की तैयारी कर ली थी. यहां तक कि ग्रेनेड और आईईडी भी खरीदने की फिराक में थे.
रतलाम में तोड़ चुके हैं सूफा संगठन की कमर : पिछले दिनों एनआईए की टीम ने मध्य प्रदेश के अलग-अलग जिलों में पहले ही रेड मारी थी. रतलाम जिले में सक्रिय सूफा संगठन के सदस्यों को पकड़ने के लिए एनआईए की टीम पहुंची थी और यहां इनकी प्रॉपर्टी की जांच भी कराई. सूफ़ा संगठन वही है, जो पूर्व में बम बनाने के आरोप में रडार पर था और फरवरी व मार्च माह में इसके 6 सदस्यों को चित्तौड़गढ़ से पकड़ा गया था. सूफा संगठन भी पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया की तर्ज पर काम करता था. इस संगठन का नेटवर्क मध्यप्रदेश और राजस्थान के बॉर्डर बिल वाले जिलों में सबसे अधिक देखा गया.
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सिस्टम से दुखी लोगों को बनाते हैं टारगेट : एनआईए ने पहले जिन सदस्यों को गिरफ्तार किया है, वे सिस्टम से दुखी लोगों को टारगेट करते थे. यानी ऐसे लोग जो अपनी परेशानियों को लेकर सरकारी सिस्टम में जाते हैं और उन्हें राहत नहीं मिलती है. पीएफआई के सदस्यों में प्रोफेसर डॉक्टर, एडवोकेट शमिल हैं. प्रदेश में 7 महीने पहले बार्डर वाले 7 जिलों में एटीएस ने पीएफआई के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की थी. इनमें इंदौर, बुरहानुपर, शाजापुर, उज्जैन, खंडवा, खरगोन, धार जिले शामिल हैं. ये सात जिले प्रतिबंधित संगठन पापुलर फ्रंट ऑफ इंडिया की गतिविधियों का केंद्र बनते जा रहे हैं. इस बात का खुलासा महाराष्ट्र और मप्र से पकड़े गए आरोपियों ने किया था. भोपाल एटीएस (Anti-Terrorism Squad) थाने में 4 फरवरी को पीएफआई (popular front of india) से जुड़े चार आरोपियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी. इनको मिलाकर एमपी में कुल 22 पीएफआई कार्यकर्ताओं के खिलाफ एफआईआर दर्ज की जा चुकी है. एफआईआर के बाद मार्च में 5000 पेज की एक चार्जशीट भी पेश की गई है.