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Statute of Oneness: NGT से MP को तगड़ा झटका, ओंकारेश्वर में स्टैच्यू ऑफ वननेस के लिए पेड़ों की कटाई अवैध - Statute of Oneness

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) ने कहा है कि मध्यप्रदेश के ओंकारेश्वर के पास स्टैच्यू ऑफ वननेस के निर्माण के दौरान एक ट्रस्ट द्वारा लगभग 13 सौ पेड़ों को काटना अवैध है. ट्रिब्यूनल ने कहा है कि उसके सामने जो साक्ष्य आए हैं उससे पता चलता है कि पेड़ों की कटाई के लिए केंद्र सरकार से अनुमति नहीं ली गई जबकि यह जरुरी है. इस विषय पर राज्य के कानूनों को रद्द कर दिया गया. Statute of Oneness Controversy

NGT Statute of Oneness illegal
MP के ओंकारेश्वर में स्टैच्यू ऑफ वननेस के निर्माण के दौरान पेड़ों की कटाई अवैध
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Published : Feb 15, 2023, 6:38 PM IST

Updated : Feb 15, 2023, 7:13 PM IST

नई दिल्ली। (Press Trust Of India) ओंकारेश्वर में पेड़ों की अंधाधुंध कटाई को लेकर NGT एक याचिका पर सुनवाई कर रहा है, जिसके अनुसार परियोजना प्रस्तावक आचार्य शंकर सांस्कृतिक एकता न्यास ने बड़ी संख्या में परियोजना के निर्माण के दौरान पेड़ों को काट दिया था. 2017-18 में स्थापित ये न्यास मध्य प्रदेश लोक न्यास अधिनियम के तहत एक इकाई है. एनजीटी के चेयरपर्सन जस्टिस एके गोयल की पीठ ने कहा कि ट्रिब्यूनल ने पहले एक पैनल का गठन किया था, जिसने अपनी रिपोर्ट में राज्य अधिनियम के तहत एक सब डिविजनल ऑफिसर (SDO) से अनुमति मिलने के बाद लगभग 1,300 पेड़ों को काटने की बात स्वीकार की थी. विशेषज्ञ सदस्य अफरोज अहमद के साथ न्यायिक सदस्य न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल और न्यायमूर्ति अरुण कुमार त्यागी की पीठ ने कहा कि एसडीओ की अनुमति केंद्र सरकार की अनुमति का विकल्प नहीं है. इस प्रकार वन (संरक्षण) अधिनियम ने राज्य के क़ानून को खत्म कर दिया.

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पेड़ों को काटने से पहले ये करना था : पीठ ने कहा, "हम मानते हैं कि पेड़ों की कटाई अवैध थी, जिसके लिए कार्रवाई में उचित मुआवजा और वनीकरण शामिल है." परियोजना के लिए नर्मदा नदी के बाढ़ क्षेत्र में मलवा निपटान सहित सभी आवश्यक सुरक्षा उपाय किए जाने थे. हरित पैनल ने कहा कि सीवेज और ठोस अपशिष्ट प्रबंधन जैसी उचित स्वच्छता स्थितियों को बनाए रखा जाना चाहिए और राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (पीसीबी) द्वारा इसकी विधिवत निगरानी की जानी चाहिए. ट्रिब्यूनल ने कहा, "आगंतुकों या पर्यटकों द्वारा केवल इलेक्ट्रिक मोटर वाहनों की अनुमति दी जानी चाहिए और क्षतिपूरक वनीकरण में स्वदेशी पेड़ों की प्रजातियों का रोपण शामिल होना चाहिए, जिन्हें जियो-टैग किया जाना चाहिए." सुझाव दिया कि आदि शंकराचार्य के जीवन को समर्पित संग्रहालय में औषधीय पौधों सहित पर्यावरणीय नैतिकता, वनस्पतियों, जीवों और जैव विविधता से संबंधित एक व्याख्या केंद्र शामिल हो सकता है.

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केंद्र सरकार की अनुमति के बगैर कैसे काटे पेड़ : ट्रिब्यूनल ने कहा, "कानून की उचित प्रक्रिया यानी केंद्र सरकार की अनुमति के बिना पेड़ों की और कटाई नहीं की जा सकती है." याचिका के अनुसार, निर्माण के दौरान नर्मदा में डाली गई मिट्टी और मलबे को जलीय जीवन के नुकसान से बचाने के लिए बिना किसी सुरक्षा के भारी मशीनरी के साथ जमीन खोदी गई थी. इसके अलावा नदी में अनुपचारित सीवेज का निर्वहन किया गया था. इससे पहले पिछले साल फरवरी में मध्य प्रदेश में भाजपा सरकार ने 2,141.85 करोड़ रुपये की परियोजना के लिए अपनी मंजूरी दे दी थी, जिसके तहत ओंकारेश्वर में एक संग्रहालय और अन्य बुनियादी ढांचे के साथ आदि शंकराचार्य की 108 फीट ऊंची प्रतिमा स्थापित की जानी थी.

नई दिल्ली। (Press Trust Of India) ओंकारेश्वर में पेड़ों की अंधाधुंध कटाई को लेकर NGT एक याचिका पर सुनवाई कर रहा है, जिसके अनुसार परियोजना प्रस्तावक आचार्य शंकर सांस्कृतिक एकता न्यास ने बड़ी संख्या में परियोजना के निर्माण के दौरान पेड़ों को काट दिया था. 2017-18 में स्थापित ये न्यास मध्य प्रदेश लोक न्यास अधिनियम के तहत एक इकाई है. एनजीटी के चेयरपर्सन जस्टिस एके गोयल की पीठ ने कहा कि ट्रिब्यूनल ने पहले एक पैनल का गठन किया था, जिसने अपनी रिपोर्ट में राज्य अधिनियम के तहत एक सब डिविजनल ऑफिसर (SDO) से अनुमति मिलने के बाद लगभग 1,300 पेड़ों को काटने की बात स्वीकार की थी. विशेषज्ञ सदस्य अफरोज अहमद के साथ न्यायिक सदस्य न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल और न्यायमूर्ति अरुण कुमार त्यागी की पीठ ने कहा कि एसडीओ की अनुमति केंद्र सरकार की अनुमति का विकल्प नहीं है. इस प्रकार वन (संरक्षण) अधिनियम ने राज्य के क़ानून को खत्म कर दिया.

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Last Updated : Feb 15, 2023, 7:13 PM IST
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