भोपाल। राजधानी भोपाल में कोरोना वायरस के आंकड़ों में अप्रैल महीने में बहुत ज्यादा बढ़ोतरी देखने को मिली और ज्यादा से ज्यादा संख्या में संदिग्धों के सैंपल भी लिए गए. लेकिन सैंपल की जांच रिपोर्ट समय पर नहीं आ पा रही है. ऐसे हालात में सबसे बड़ा सवाल यह उठ रहा था कि, जब भोपाल में सैंपल जांच के लिए तीन बड़े लैब अधिकृत किए गए हैं, तो फिर जांच रिपोर्ट आने में इतनी देरी क्यों हो रही है.
सैंपल की जांच रिपोर्ट जल्दी आ सके, इसके लिए भोपाल से तीन बार सैंपल बाहर भेजे गए. जिनमें दो बार दिल्ली और एक बार पांडिचेरी सैंपल गए थे. लेकिन फिर भी इस स्थिति में कुछ सुधार होता हुआ नजर नहीं आया.
इसके उलट यह जानकारी भी सामने आई कि, जांच की आरएनए एक्सटेंशन किट की भी कमी चल रही है, लेकिन अब हो सकता है कि, इस स्थिति में थोड़ा ही सही पर सुधार हो. क्योंकि जीएमसी के वायरोलॉजी लैब में टेस्टिंग के लिए नई मशीन को लगाया गया है.
जीएमसी के वायरोलॉजी लैब में टेस्टिंग की स्थिति के बारे में अधीक्षक डॉ अरुण कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि, वायरोलॉजी लैब में फिलहाल ढाई सौ से 300 सैंपल की टेस्टिंग रोजाना हो रही हैं. यह बात सच है कि, आरएनए एक्सटेंशन किट की कमी आए दिन होती है, क्योंकि इनको कम मात्रा में बनाया जा रहा है.
अब लैब में सीबी नेट मशीन लगाई जा रही है, इससे हमें उम्मीद है कि, अब हम ज्यादा मात्रा में सैंपल टेस्ट कर पाएंगे. इसके साथ ही आरएनए एक्सटेंशन किट भी हमें उपलब्ध होने वाली है.
अगर सैंपल बाहर भेजने की बात की जाए, तो बतौर डॉक्टर श्रीवास्तव भोपाल के लैबों की क्षमताएं अब बढ़ाई जा रही हैं, इससे हम अनुमान लगा रहे हैं कि अब हमें शहर से बाहर सैंपल जांच के लिए नहीं भेजने पड़ेंगे.
लैब्स की सुविधाएं बढ़ाने से सुधरेगी स्थिति
यदि भोपाल के लैब्स में सुविधाएं और पहले बढ़ा दी जाती, तो आज स्थिति कुछ और होती क्योंकि सैंपल लेने के बाद रिपोर्ट ना आने की वजह से यह पता नहीं चल पाता कि कोई कोरोना संक्रमित है या नहीं.
वैसे तो कई संदिग्धों को क्वारंटाइन कर दिया जाता है, लेकिन जिन लोगों में लक्षण नहीं दिख रहे है और ऐसे लोग जब अपना रेंडमली टेस्ट करवाते हैं, उनके साथ सबसे ज्यादा खतरा होता है और अगर टेस्ट की रिपोर्ट जल्दी मिल जाएं तो कोरोना को हराने में भी मदद मिलती है.
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