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बीजेपी के बागी विधायकों से बात करेंगे जेपी नड्डा, कांग्रेस बोली - क्या मध्यप्रदेश बीजेपी का नेतृत्व है कमजोर - कांग्रेस को-ऑर्डिनेटर नरेंद्र सलूजा

जेपी नड्डा द्वारा क्रॉस वोटिंग करने वाले विधायकों से बात करने पर कांग्रेस ने निशाना साधा है. कांग्रेस का कहना है कि यह बीजेपी के गुटबाजी और अंर्तकलह का नतीजा है.

जेपी नड्डा, बीजेपी राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष
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Published : Jul 30, 2019, 9:10 PM IST

भोपाल। मध्यप्रदेश विधानसभा में मत विभाजन में क्रॉस वोटिंग करने वाले बीजेपी के दो विधायकों से बीजेपी के कार्यकारी अध्यक्ष जेपी नड्डा बात करेंगे. वहीं बीजेपी द्वारा विधायकों को बचाने की कवायद पर कांग्रेस ने निशाना साधा है. कांग्रेस का कहना है कि बीजेपी गुटबाजी और अंतर्कलह से परेशान है.


कांग्रेस के को-ऑर्डिनेटर नरेंद्र सलूजा का कहना है कि निश्चित तौर पर कहीं ना कहीं बीजेपी का मध्यप्रदेश का नेतृत्व दोषी है. पार्टी में आपस में गुटबाजी अंतर्कलह और प्रतिस्पर्धा है. जिसके चलते एक-दूसरे को निपटाने का खेल चल रहा है. नरेंद्र सलूजा ने कहा कि अगर बीजेपी के नेताओं में समन्वय होता तो बागी विधायकों से बात करने का जिम्मा राष्ट्रीय नेतृत्व को क्यों उठाना पड़ रहा है.

बीजेपी पर कांग्रेस ने साधा निशाना


सलूजा ने कहा कि इससे समझा जा सकता है कि मध्यप्रदेश में बीजेपी का नेतृत्व कमजोर है. दरअसल, विधानसभा में दंड विधेयक बिल पर क्रॉस वोटिंग करने वाले दोनों विधायकों ने जेपी नड्डा बात करेंगे. चर्चा है कि जेपी नड्डा दोनों विधायकों से एक अगस्त को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बात करेंगे.

भोपाल। मध्यप्रदेश विधानसभा में मत विभाजन में क्रॉस वोटिंग करने वाले बीजेपी के दो विधायकों से बीजेपी के कार्यकारी अध्यक्ष जेपी नड्डा बात करेंगे. वहीं बीजेपी द्वारा विधायकों को बचाने की कवायद पर कांग्रेस ने निशाना साधा है. कांग्रेस का कहना है कि बीजेपी गुटबाजी और अंतर्कलह से परेशान है.


कांग्रेस के को-ऑर्डिनेटर नरेंद्र सलूजा का कहना है कि निश्चित तौर पर कहीं ना कहीं बीजेपी का मध्यप्रदेश का नेतृत्व दोषी है. पार्टी में आपस में गुटबाजी अंतर्कलह और प्रतिस्पर्धा है. जिसके चलते एक-दूसरे को निपटाने का खेल चल रहा है. नरेंद्र सलूजा ने कहा कि अगर बीजेपी के नेताओं में समन्वय होता तो बागी विधायकों से बात करने का जिम्मा राष्ट्रीय नेतृत्व को क्यों उठाना पड़ रहा है.

बीजेपी पर कांग्रेस ने साधा निशाना


सलूजा ने कहा कि इससे समझा जा सकता है कि मध्यप्रदेश में बीजेपी का नेतृत्व कमजोर है. दरअसल, विधानसभा में दंड विधेयक बिल पर क्रॉस वोटिंग करने वाले दोनों विधायकों ने जेपी नड्डा बात करेंगे. चर्चा है कि जेपी नड्डा दोनों विधायकों से एक अगस्त को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बात करेंगे.

Intro:भोपाल। मध्यप्रदेश विधानसभा में मत विभाजन में क्रॉस वोटिंग करने वाले बीजेपी के 2 विधायकों से अब भाजपा के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष बात करेंगे। चर्चा है कि जेपी नड्डा दोनों विधायकों से 1 अगस्त को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बात करेंगे। बीजेपी को अपने विधायकों को बचाने की कवायद को लेकर कांग्रेस का कहना है कि मध्य प्रदेश भाजपा की गुटबाजी और अंतर कलह से परेशान होकर मध्यप्रदेश में ये हालात बने हैं कि राष्ट्रीय नेतृत्व को हस्तक्षेप करना पड़ रहा है।


Body:दरअसल विधानसभा में कांग्रेस के पक्ष में मतदान के बाद दोनों विधायक खुलकर बीजेपी के खिलाफ खड़े हो गए हैं। दोनों विधायकों ने साफ तौर पर कह दिया है कि वह कांग्रेस में घर वापसी कर रहे हैं और कमलनाथ की जन हितैषी योजनाओं से प्रभावित हैं। लेकिन विधानसभा के नियमों के अनुसार अगर मत विभाजन में कोई व्यक्ति अपने दल के खिलाफ वोटिंग करता है, तो उसकी सदस्यता पर इसलिए असर नहीं पड़ सकता है,क्योंकि यहां पर बीजेपी ने व्हिप जारी नहीं करा था। ऐसे में बीजेपी की कोशिश है कि वो अपने दोनों विधायकों को बीजेपी में बने रहने के लिए मजबूर करे। मध्य प्रदेश के नेता तो इन दोनों विधायकों को मनाने में नाकाम नजर आ रहे हैं,ऐसे में अब पार्टी के कार्यकारी राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा एक अगस्त को दोनों विधायकों से चर्चा करने जा रहे हैं। यह चर्चा वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए होना है और देखने लायक बात यह होगी कि यह दोनों विधायक जेपी नड्डा से बात करने बीजेपी कार्यालय पहुंचते हैं कि नहीं। हालांकि इसी दिन जेपी नड्डा पार्टी पदाधिकारियों, जिला अध्यक्ष, मंडल प्रभारी और बीजेपी विधायकों से वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए बात करने वाले हैं।


Conclusion:इस बारे में मध्यप्रदेश कांग्रेस के मीडिया समन्वयक नरेंद्र सलूजा का कहना है कि निश्चित तौर पर कहीं ना कहीं मध्यप्रदेश का भाजपा नेतृत्व दोषी है। आपस में गुटबाजी अंतर्कलह और प्रतिस्पर्धा है। जिसके कारण एक दूसरे को निपटाने का खेल चल रहा है। यदि भाजपा के नेताओं में समन्वय होता तो यह बात समझ में नहीं आती है कि बागी विधायकों से बात करने का जिम्मा राष्ट्रीय नेतृत्व को कम उठाना पड़ रहा है।इससे समझा जा सकता है कि मध्य प्रदेश में भाजपा का नेतृत्व कमजोर है। उस में अंतर्कलह, गुटबाजी और प्रतिस्पर्धा है। उसी का परिणाम है कि इस तरह के हालात बने हैं।
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