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फसल बीमा योजना के पोर्टल से 5 लाख किसान गायब, विपक्ष ने सरकार को घेरा - प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना

फसल बीमा योजना में गड़बड़ी को लेकर कांग्रेस ने शिवराज पर हमला बोला है. कांग्रेस मीडिया विभाग के उपाध्यक्ष भूपेंद्र गुप्ता ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा राज्य सरकार को लिखे गए पत्र ने ये साफ कर दिया है कि अभी तक सभी किसानों के नाम पोर्टल पर दर्ज नहीं हैं.

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बीमा योजना में दर्ज नहीं सभी किसानों के नाम
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Published : Sep 18, 2020, 8:07 PM IST

Updated : Sep 18, 2020, 8:21 PM IST

भोपाल। आज यानि शुक्रवार को सरकार ने बड़े-बड़े आयोजनों के जरिए पूरे प्रदेश में फसल बीमा वितरण की शुरुआत तो कर दी, लेकिन पोर्टल में गड़बड़ी के कारण इसमें विवाद भी शुरु हो गया है. करीब पांच लाख किसानों का डेटा प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के पोर्टल से गायब है, जिसको लेकर कांग्रेस ने सरकार को घेरा है. कांग्रेस प्रवक्ता का कहना है कि मध्यप्रदेश के कृषि मंत्री रोज फर्जी बयानबाजी करते रहते हैं, लेकिन यह नहीं देखते कि उनका विभाग किस तरह से किसानों के साथ धोखाधड़ी कर रहा है. उन्होंने चेतावनी दी है कि अगर 30 सितंबर तक पोर्टल पर अधिसूचित फसलों और गांव के नाम दुरुस्त नहीं किए गए तो सरकार को बड़े किसान आंदोलन का सामना करना पड़ेगा.

Central government letter
केंद्र सरकार का पत्र


कांग्रेस मीडिया विभाग के उपाध्यक्ष भूपेंद्र गुप्ता का कहना है कि केंद्र सरकार द्वारा कृषि मंत्रालय द्वारा लिखा एक पत्र साफ जाहिर करता है कि सरकार आज भी किसानों के साथ धोखा कर रही है. उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने 12 सितंबर को प्रदेश की विभिन्न सहकारी समितियों और सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया के दस्तावेजों को जारी कर भाजपा पर आरोप लगाया था कि लगभग 7 हजार गांव का डाटा पोर्टल पर दर्ज नहीं है. तब प्रदेश की सरकार ने इसे झूठ बताया था. लेकिन राज्य सरकार ने एक दिन पहले 11 सितंबर को केंद्र सरकार को पत्र लिखकर बीमा तिथि बढ़ाने की मांग की थी और कहा था कि सभी किसानों का पंजीयन नहीं हो पाया है, इसलिए समय दिया जाए.

Central government letter
केंद्र सरकार का पत्र

30 सितंबर आखिरी मौका

गुप्ता ने बताया कि आज केंद्र सरकार ने मध्यप्रदेश सरकार को पत्र लिखकर 30 सितंबर तक फसलों और गांव के नाम पोर्टल पर दर्ज कराने का आखिरी मौका दिया है, जिससे ये साफ होता है कि प्रदेश सरकार एक माह में भी किसानों का डाटा पोर्टल में सुधार नहीं कर पाई है और किसानों के साथ धोखा कर रही है, जिसके चलते प्रदेश के लगभग 4 से 5 लाख किसानों को बीमा राशि का दावा प्राप्त करने में दिक्कत आएगी.

झूठे बयान, विज्ञापन और हेड लाइन मैनेजमेंट से कुछ ना होगा

भूपेंद्र गुप्ता ने कहा कि मुख्यमंत्री किसानों के निजी अधिकार यानि बीमा दावा राशि को इस तरह बांट रहे हैं, जैसे शिवराज सिंह पैसा अपनी जेब से दे रहे हैं. उन्होंने कहा कि बीमा राशि का पैसा किसान की फसल उजड़ने का पैसा है, जिसे सरकार किसानों के खाते में डालकर वाहवाही लूट रही है. झूठे बयान, विज्ञापन और हेड लाइन मैनेजमेंट से अब किसानों को नहीं भरमाया जा सकता है.

भोपाल। आज यानि शुक्रवार को सरकार ने बड़े-बड़े आयोजनों के जरिए पूरे प्रदेश में फसल बीमा वितरण की शुरुआत तो कर दी, लेकिन पोर्टल में गड़बड़ी के कारण इसमें विवाद भी शुरु हो गया है. करीब पांच लाख किसानों का डेटा प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के पोर्टल से गायब है, जिसको लेकर कांग्रेस ने सरकार को घेरा है. कांग्रेस प्रवक्ता का कहना है कि मध्यप्रदेश के कृषि मंत्री रोज फर्जी बयानबाजी करते रहते हैं, लेकिन यह नहीं देखते कि उनका विभाग किस तरह से किसानों के साथ धोखाधड़ी कर रहा है. उन्होंने चेतावनी दी है कि अगर 30 सितंबर तक पोर्टल पर अधिसूचित फसलों और गांव के नाम दुरुस्त नहीं किए गए तो सरकार को बड़े किसान आंदोलन का सामना करना पड़ेगा.

Central government letter
केंद्र सरकार का पत्र


कांग्रेस मीडिया विभाग के उपाध्यक्ष भूपेंद्र गुप्ता का कहना है कि केंद्र सरकार द्वारा कृषि मंत्रालय द्वारा लिखा एक पत्र साफ जाहिर करता है कि सरकार आज भी किसानों के साथ धोखा कर रही है. उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने 12 सितंबर को प्रदेश की विभिन्न सहकारी समितियों और सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया के दस्तावेजों को जारी कर भाजपा पर आरोप लगाया था कि लगभग 7 हजार गांव का डाटा पोर्टल पर दर्ज नहीं है. तब प्रदेश की सरकार ने इसे झूठ बताया था. लेकिन राज्य सरकार ने एक दिन पहले 11 सितंबर को केंद्र सरकार को पत्र लिखकर बीमा तिथि बढ़ाने की मांग की थी और कहा था कि सभी किसानों का पंजीयन नहीं हो पाया है, इसलिए समय दिया जाए.

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केंद्र सरकार का पत्र

30 सितंबर आखिरी मौका

गुप्ता ने बताया कि आज केंद्र सरकार ने मध्यप्रदेश सरकार को पत्र लिखकर 30 सितंबर तक फसलों और गांव के नाम पोर्टल पर दर्ज कराने का आखिरी मौका दिया है, जिससे ये साफ होता है कि प्रदेश सरकार एक माह में भी किसानों का डाटा पोर्टल में सुधार नहीं कर पाई है और किसानों के साथ धोखा कर रही है, जिसके चलते प्रदेश के लगभग 4 से 5 लाख किसानों को बीमा राशि का दावा प्राप्त करने में दिक्कत आएगी.

झूठे बयान, विज्ञापन और हेड लाइन मैनेजमेंट से कुछ ना होगा

भूपेंद्र गुप्ता ने कहा कि मुख्यमंत्री किसानों के निजी अधिकार यानि बीमा दावा राशि को इस तरह बांट रहे हैं, जैसे शिवराज सिंह पैसा अपनी जेब से दे रहे हैं. उन्होंने कहा कि बीमा राशि का पैसा किसान की फसल उजड़ने का पैसा है, जिसे सरकार किसानों के खाते में डालकर वाहवाही लूट रही है. झूठे बयान, विज्ञापन और हेड लाइन मैनेजमेंट से अब किसानों को नहीं भरमाया जा सकता है.

Last Updated : Sep 18, 2020, 8:21 PM IST
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