भोपाल। जिस दौर में राजनीति में पांच साल में दुनिया बदलने की गारंटी हो, उस दौर में कोई ऐसा नेता भी हो सकता है, क्या जो सैकड़ों के कारोबार से किनारा करके केवल सेवा के मकसद से राजनीति में चला आए. जैन मुनि की प्रेरणा से चेतन कश्यप ने राजनीति की राह पकड़ी. 294 करोड़ की कुल संपत्ति के मालिक एमपी के कैबिनेट मंत्री और रतलाम से विधायक चेतन कश्यप विधायक के तौर पर मिलने वाला वेतन भत्ता और पेंशन छोड़ चुके हैं.
ईटीवी भारत से एक्सक्लूसिव बातचीत में चेतन कश्यप ने कहा कि सियासत में जो समर्थ लोग हैं, उन्हें भी इस बात के लिए आगे आना चाहिए. विधायक रहते गरीबों को उनके सपनों का घर और कुपोषित बच्चों के लिए कैंपेन चलाने वाले चेतन कश्यप 2013 से विधायक हैं और पहली बार मंत्री बने हैं.
294 करोड़ की संपत्ति फिर राजनीति में क्यों आए: चेतन कश्यप से ईटीवी भारत का पहला सवाल ही यही था कि राजनीति में तो लोग दौलत कमाने आते हैं. आप कारोबार छोड़ कर क्यों आएं. उनका जवाब था कि ये सोच जो है कि राजनीति में लोग दौलत कमाने ही आते हैं. इसकी मूल धारणा में ही गलती है. राजनीति लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं के अंदर सेवा का माध्यम है. कैबिनेट मंत्री ने बताया कि उन्होंने 2004 में ये रास्ता चुना. व्यापार से सेवानिवृत्ति ली और फिर निर्णय किया कि सेवा के क्षेत्र में जाऊंगा. चेतन बताते हैं, हमारे जैन मुनि संत सुरेश्वर और जैन मुनि संत आचार्य महाप्रज्ञ का मार्गदर्शन रहा. उन्होंने कहा कि राजनीति सेवा का बहुत बड़ा माध्यम है. अगर सेवा के लिए कारोबार छोड़ा है तो राजनीति में जाना चाहिए. ये सेवा का साधन है, साध्य नहीं.
कितना टर्नओवर था जब कारोबार छोड़के राजनीति में आए: टर्न ओवर की राशि आकड़ों में होती है. बैलेंस शीट में रहती है, लेकिन मेरे दोनों बेटे इंजीनियर हैं. मुंबई में सेटल हैं. उन्होंने पूरी तरह से कारोबार संभाल लिया है, तो मैंने सेवा के कार्य के लिए रानजीति का रुख कर लिया. विधायक रहते हुए अपनी निधि से ये प्रयास किए, अहिंसा ग्राम बनाया. आवास गरीबों से मुक्ति का महत्वपूर्ण भाग है. चेतन कश्यप कहते हैं मुझे खुशी है इस बात की कि आज देश भर के राजनीतिक दलों के एजेंडा आवास है. एमपी में शिवराज सिंह चौहान ने आवास के अधिकार का कानून बनाया. बिल प्रस्तुत हुआ, जब तो मुझे सबसे पहले इस पर बोलने का मौका मिला तो मुझे लगा कि मेरा राजनीति में आना सार्थक हो गया.
जो सक्षम विधायक हैं क्या उन्हें भी वेतन छोड़ना चाहिए: चेतन कश्यप ने विधायक के तौर पर मिलने वाला वेतन भत्ता पेंशन छोड़ दिया है. उनसे सवाल था कि क्या इसे मिसाल की तरह बाकी विधायकों को भी अपनाना चाहिए. चेतन कश्यप का कहना था ये यह संवेदनाओं और भावनाओं की बात है. मैंने 2013 में ही वेतन भत्ता पेंशन छोड़ दिया था. एमपी सरकार के राजकोश में समर्पित किए. उनका कहना था जो समर्थ लोग हैं, उन्हें इस बात के लिए आगे बढ़ना चाहिए. दान करने का हर व्यक्ति का भाव होता है.
कोई व्यक्तिगत करता है कोई दूसरे तरीके से, लेकिन त्याग की भावना हर व्यक्ति में होना चाहिए. कई साथियों ने भी ये शुरु किया. किसी ने अपनी तनख्वाह से बच्चों की फीस भरी. किसी ने प्रतिभा पुरुस्कार आयोजित करवाए. तरीके अलग-अलग हो सकते हैं, लेकिन त्याग की भावना सबकी एक है. फिर दूसरी एक बात ये भी है कि लोकतंत्र में हर तबके के लोग आते हैं. किसी की आवश्यक्ता भी है वेतन, तो जिसे जरुरत है वो उसके अनुरुप उपयोग भी करे.
उमा भारती की सलाह पर विचार करूंगा: चेतन कश्यप ने उमा भारती के ट्वीट को लेकर भी अपनी बात रखी और बताया कि जब उन्होंने ट्वीट किया. उसके बाद मैं उनसे मिलने गया. मैं जब राजनीति में आया था, तब वे सीएम थीं. उन्होंने बाद में लिखा भी कि वे मुझे बरसों से जानती हैं. उनका विचार ये बना था कि आप ले लेते तो और किसी को दुविधा ना हो. उन्होंने जो कहा है उनकी सलाह पर हम बराबर विचार करेंगे.
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नए वर्ष में नई भूमिका...नया संकल्प कया है: चेतन कश्यप नए साल में नई भूमिका में होंगे. कैबिनेट मंत्री की जिम्मेदारी नया संकल्प क्या है. इस सवाल पर उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री मोहन यादव ने कैबिनेट मंत्री का जो दायित्व सौंपा है, उस पर जुटेंगे. बीजेपी का संकल्प पत्र और पीएम मोदी की गारंटी पर काम करेंगे. संकल्प पत्र बेहतर तरीके से लागू हो, युवाओं के लिए रोजगार का अवसर बढ़े और सारी सुविधाएं हो. प्रदेश को देश का एक नंबर राज्य बनना चाहिए. इस संकल्प से काम करेंगे.