भोपाल। बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रेशखर के बयान पर बवाल फिर सफाई और फिर उबाल. पिछले 24 घंटे से पूरे देश में राजनीति का रिक्टर स्केल इसी से नापा जा रहा है. देश भर से बिहार के शिक्षा मंत्री के लिए लानते भेजी जा रही हैं. कहीं मंत्री की जीभ काट लेने के बयान आ रहे हैं तो कहीं बर्खास्तगी की डिमांड. विरोध आप जानते ही हैं इसलिए है कि मंत्री ने रामचरितमानस को नफरत फैलाने वाला ग्रंथ कहा. कहा कि ये ग्रंथ महिलाओं को शिक्षा से दूर रखने वाला है. रामचरितमानस को लेकर की गई ये टिप्पणी आपत्तिजनक है. इसमें कोई दो राय नहीं है, लेकिन सवाल ये है कि क्या राम या रामचरितमानस की अस्मिता का सवाल सिलेक्टिव होकर किया जा सकता है. सवाल ये है कि बिहार के मंत्री के बयान पर आगबबूला हो रहे भाजपाई एमपी में अपनी ही सरकार के उच्च शिक्षा मंत्री मोहन यादव पर चुप्पी कब तोड़ेंगे. एक पखवाड़े पहले एमपी के उच्च शिक्षा मंत्री मोहन यादव ने सीता माता की तुलना तलाकशुदा पत्नि से की थी और धरती में समा जाने को खुदकुशी जैसा मामला बता दिया था. कांग्रेस सवाल उठा रही है कि बीजेपी अपनी सरकार के मंत्री पर एक्शन कब लेगी.
बिहार के मंत्री पर बवाल एमपी के मंत्री से सवाल भी नहीं: सवाल ये उठ रहा है कि हिंदूत्व का झंडा उठाए बीजेपी विरोध भी चेहरा देखकर करती है. खेमा देखकर करती है क्या. सनातन का सवाल जहां खड़ा हो जाए वहां सियासी नफे नुकसान की चिंता की क्या जानी चाहिए. बेशक बिहार के मंत्री चंद्रशेखर ने हिंदू आस्था के सबसे बड़े ग्रंथ पर सवाल उठाया है. उन्होंने इस ग्रंथ को लेकर हिंदु आस्था को अपमानित किया है. इसमें दो राय नहीं कि रामचरितमानस को नफरत फैलाने वाला ग्रंथ कह देना सरासर गलत है, लेकिन करोड़ों हिंदुओं की आस्था पर चोट वाले इस मुद्दे को सियासी चश्मे से देखा जा सकता है. एमपी की राजनीति में अब इसी तरह से सवाल उठ रहे हैं कि अपमान तो एमपी के मंत्री मोहन यादव ने भी किया था. सीता माता पर टिप्पणी करके क्या उन्होंने लाखों करोड़ों हिंदुओं की भावनाओं को आहत नहीं किया था.
क्या कहा है बिहार के शिक्षा मंत्री ने: बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर ने रामचरित मानस को नफरत फैलाने वाला ग्रंथ बताया. ये भी कहा कि इस ग्रंथ में महिलाओं को शिक्षा से दूर रखा गया है. बिहार के शिक्षामंत्री ने जो आपत्तिजनक कहा वो ये कि मनुस्मृति में समाज की 85 फीसदी आबादी वाले बड़े तबके के खिलाफ गालियां दी गईं. उन्होंने रामचरितमानस का उल्लेख करते हुए कहा कि इसके उत्तर कांड में लिखा है कि नीच जाति के लोग शिक्षा ग्रहण करने के बाद सांप की तरह जहरीले हो जाते हैं.
क्या बोले थे एमपी के उच्च शिक्षा मंत्री: अभी बमुश्किल पंद्रह दिन बीते होंगे जब एमपी की राजनीति में भूचाल लाने वाला बयान आया था. एमपी के उच्च शिक्षा मंत्री ने ये बयान दिया था. उच्च शिक्षा मंत्री मोहन यादव कारसेवकों के सम्मान में आयोजित कार्यक्रम में बोल रहे थे. यादव ने सीता माता को लेकर टिप्पणी की थी. कहा था कि सीता का भूमि में समाना एक तरीके से खुदकुशी जैसा ही मामला है. उन्होंने सीता के जीवन की कठिनाईयों गर्भावस्था के दौर का जिक्र किया. बताया कि किस तरह से सीता माता को अपने बच्चों को जंगल में जन्म देना पड़ा फिर उनके भगवान राम से अलग होने की तुलना भी मोहन यादव ने तलाक से कर दी. सवाल अब ये उठता है कि मोहन यादव ने जब हिंदू धर्म के आराध्य भगवान का अपमान किया तो हंगामा क्यों नहीं बरपा. उनकी बर्खास्तगी की मांग क्यों नहीं उठी. क्या बीजेपी के मंत्री के बयान से आस्थाएं आहत नहीं हुई. ये और बात कि दूसरे ही दिन मंत्री जी की सफाई भी आ गई. लेकिन मंत्री बिहार के हों या एमपी के हिंदू धर्म के अपमान के दायरे में तो दोनों ही आते हैं. फिर एक को सजी और दूसरे को छूट कैसे.
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क्या मोहन यादव का भी इस्तीफा मांगेगी कांग्रेस: बिहार के शिक्षा मंत्री का बयान आने के बाद कांग्रेस ने ये मुद्दा फिर गर्मा दिया है. कांग्रेस के मीडिया विभाग के चैयरमेन केके मिश्रा का बयान है कि कांग्रेस ऐसी शब्दावली अभ्रद भाषा का विरोध करती है, लेकिन साथ में हमारा ये सवाल भी है कि आज बिहार के मंत्री से जिस तरह से उनके बयान के बाद बीजेपी पूरे देश में उनकी बर्खास्तगी की मांग कर रही है. क्या मध्यप्रदेश में अपनी ही पार्टी की सरकार के मंत्री मोहन यादव पर की बर्खास्तगी की डिमांड करेगी. एमपी के इन मंत्री जी ने भी माता सीता के संबंध में अपमानजनक बात कही थी.