भोपाल। राजनीति में जैसे नेताओं की बॉडी लैंग्वेज बहुत कुछ कह जाती है. उसी तरीके से यात्राओं में जनता का रिस्पांस भी आभास दे जाता है कि राह कितनी आसान और कितनी मुश्किल है. तो इस नजरिए से अगर देखा जाए तो एमपी में चल रही शिवराज सरकार की विकास यात्रा क्या आभास दे रही हैं. क्या चुनावी साल में बड़ी उम्मीद और आस से शुरु की गई ये यात्राएं विधायकों मंत्रियों की आंखे खोल पाएंगी. दे पाएंगी उन्हें धरातल का आभास. हालांकि, सियासत के जानकार कह रहे हैं कि, कठिन है इस बार डगर पनघट की.
सरेआम नेता जी का स्नान: मंत्री जी पर डाला गया खुजली पावडर और नेता जी को सरेआम स्नान करना पड़ा. खंडवा में विकास यात्रा का वो सीन बना कि क्या कहिए खराब सड़क में विकास के रथ का पहिया अटक गया. भिंड में ग्रामीणों ने ही विकास यात्रा रोकने मोर्चा खोल दिया. निवाड़ी में नेताजी को भीड़ जुटाने-नाचने गाने का सहारा लेना पड़ा और झाबुआ में स्कूली बच्चे विकास यात्रा के जुलूस का हिस्सा बनाए गए. अब ये जो जोड़ जुगाड़ से विकास यात्रा का टारगेट पूरा करने की तस्वीरें दिखाई दे रही हैं ये क्या कह रही हैं.
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मुस्लिम IAS का ब्राम्हण प्रेम: एमपी में एक आईएएस अधिकारी सर्वधर्म समभाव का गजब सीन खींचे हुए है. अफसर हैं मुसलमान, लेकिन जनाब ने कई वर्षों के ब्राम्हणों पर किए गए शोध के साथ किताब लिख डाली है. किताब का विषय भी ब्राम्हण ही है. साहब चाहते हैं कि ब्राम्हण जागें और अपने गौरवशाली अतीत को समझें स्वीकारें और उसी हिसाब से पेश आएं. खास ये कि आईएएस अफसर की किताब के खुलासे की टाइमिंग भी बहुत जोरदार रही. उन्होंने ऐसे समय अपनी किताब को लेकर ट्वीट किया जब पूरे देश में संघ प्रमुख मोहन भागवत के एक बयान कोलेकर ब्राम्हण आग बबूला हो रहे हैं. अब ब्राम्हण जब पूरे देश में चर्चा के केन्द्र में आया तो एमपी के इन अफसर ने भी मौके से हाथ आजमाया. वैसे पहले भी कई बार विवादों में रहे हैं ये अफसर लेकिन इस बार इनकी ख्याति का अंदाज बिल्कुल जुदा हो रहा है. अब देखिए कि अल्पसंख्यक वर्ग से आने वाले एक आईएएस के ब्राम्हण ज्ञान को पंडिज्जी महाराज किस ढंग से लेते हैं.
जनता पूछ रही सवाल: राजनीति में कायदा तो ये होता है कि जनता सवाल पूछती है नेता जवाब देते हैं. विपक्ष भी ये भूमिका मौके मौके से निभाता है और सरकार को कटघरे में खड़ाकर सवालों की झड़ी लगाता है. लेकिन एमपी में तो यहां से वहां तक सवालों के साए चल रहे हैं. टेबल टेनिस के हिंदी नाम की तरह ले पटापट दे पटापट के अंदाज में. सरकार की ओर से एक सवाल आता है. उधर से पलटवार में विपक्ष की ओर से भी सवाल ही दागा जाता है. शिवराज पूछते हैं सवाल फिर कमलनाथ भी पूछते हैं सवाल. 15 महीने और 17 साल के मुख्यमंत्री बीच ये सवाल सवाल का दौर चल रहा है. दोनों एक दूसरे से हर दिन एक सवाल पूछ रहे हैं. अब जनता बेचारी टकटकी लगाए देख रही है कि भैय्या जवाब देने वाले भी सवाल पूछेंगे तो जवाब कहां से आएगा. तारीख पर तारीख के अंदाज़ में बस सवाल पे सवाल चल रहे हैं. अब जब चुनाव में ये नेता जनता के बीच जाएंगे तब जनता पूछ सकती है भैय्या एक दूसरे से सवाल वाला खेल हो गया हो तो जरा हमारे सवालों का भी जवाब दे दो.