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MP पुलिस ने तैयार किया नया ऐप: थाने में अपराधी की फोटो खींचते ही सामने आएगा पूरा कच्चा-चिट्ठा - क्रिमिनल रिकॉर्ड

मध्य प्रदेश पुलिस ने अपराधियों की पहचान करने के लिए नया ऐप शुरू किया है. इस ऐप पर पकड़े गए अपराधी की एक फोटो खींचते ही उसका पूरा रिकॉर्ड सामने आ जाएगा. फिलहाल इस ऐप का ट्रायल किया जा रहा है.

MP पुलिस ने तैयार किया नया ऐप
MP पुलिस ने तैयार किया नया ऐप
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Published : Oct 4, 2021, 8:31 PM IST

भोपाल। अब थाने लाए जाने वाले अपराधी की फोटो क्लिक करते ही उसका पूरा आपराधिक रिकाॅर्ड पुलिस के सामने होगा. यह संभव होगा फेस फाॅरेंसिक एप्लीकेशन से, जिसे डेवलप किया है मध्य प्रदेश पुलिस के दूरसंचार मुख्यालय ने. इस एप्लीकेशन पर 4 लाख से ज्यादा अपराधियों का डाटा बेस मौजूद होगा. इस ऐप का एक्सेस प्रदेश के सभी थानों, टीआई और जांच अधिकारियों को दिया जाएगा. दूरसंचार मुख्यालय के आला अधिकारियों के मुताबिक ऐप तैयार कर लिया गया है और फिलहाल इसका ट्रायल किया जा रहा है.

पुलिस के लिए फायदेमंद साबित होगा ऐप

पांच माह पहले उत्तर प्रदेश के चित्रकूट जेल में हुई फायरिंग में मारे गए यूपी के कुख्यात शार्प शूटर अंशु दीक्षित ने लंबे समय तक भोपाल में फरारी काटी है. बताया जाता है कि इस दौरान भोपाल में किसी मामले में पुलिस ने उससे पूछताछ भी की थी, लेकिन पुलिस को पता ही नहीं चला कि अंशु यूपी का बड़ा बदमाश है. बाद में यूपी पुलिस को भनक लगी और जब भोपाल क्राइम ब्रांच के साथ वह उसे पकड़ने पहुंची तो शार्प शूटर उन पर फायरिंग कर भाग निकला था.

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फोटो खींचते ही निकल आएगी अपराधी की कुंडली

पुलिस किसी व्यक्ति के संदिग्ध नजर आने पर उससे पूछताछ करती है. शक होने पर उसे थाने लाकर पूछताछ की जाती है. इसी तरह कई मामले में जब अपराध पकड़ में आते हैं, तो पुलिस की सख्ती के बाद भी अपराधी अपने बारे में सही जानकारी नहीं देते. यहां तक कि वह अपना सही नाम तक नहीं बताते. ऐसे में पुलिस को अपराधी का आपराधिक रिकाॅर्ड पता करने में काफी मशक्कत करनी होती है, लेकिन अब दूरसंचार मुख्यालय द्वारा तैयार किए गए फेस फाॅरेंसिक एप्लीकेशन की मदद से पुलिस की परेशानी काफी हद तक कम हो जाएगी.

इस एप्लीकेशन में है कई खासियत

दूरसंचार मुख्यालय के एडीजी संजय झा कहते हैं कि नए फेस फाॅरेंसिक एप्लीकेशन के मदद से संदिग्ध के पकड़ में आने के बाद जांच अधिकारी को सिर्फ अपराधी का फोटो खींचकर इस एप्लीकेशन पर अपलोड करना होगा. यदि अपराधी का कोई पूर्व रिकाॅर्ड है तो चंद मिनिट में उसका पूरा रिकाॅर्ड सामने आ जाएगा. इस एप्लीकेशन को पुलिस के सीसीटीएनएस से जोड़ा गया है, जिस पर देश भर के 4 लाख से ज्यादा अपराधियों का पूरा रिकार्ड उपलब्ध है. इस ऐप का एक्सेस सभी थानों के जांच अधिकारी, थाना प्रभारी को दिया जाएगा. यह एप्लीकेशन जांच अधिकारी के मोबाइल पर खुल सकेगा. इस एप्लीकेशन की मदद से जांच अधिकारी नए संदिग्धों की तस्वीरें भी अपने रिकाॅर्ड में रख सकेंगे.

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गुमशुदा बच्चों को ढूंढने में भी मिलेगी मदद

इस एप्लीकेशन की मदद से गुमशुदा बच्चों की पहचान में भी मदद मिलेगी. गुमशुदा बच्चों की फोटो भी इस एप्लीकेशन में अपलोड की जा सकेंगे. ऐसे में यदि कोई बच्चा पुलिस को मिलता है और वह अपने बारे में सही जानकारी नहीं दे पा रहा है, तो इस एप्लीकेशन में उसे सर्च किया जा सकेगा. ऐसे में यदि उसका रिकाॅर्ड उसमें उपलब्ध होगा, तो उसकी पूरी जानकारी पुलिस के सामने होगी. यह एप्लीकेशन सिर्फ पुलिस अधिकारी-कर्मचारी ही उपयोग कर सकेंगे.

भोपाल। अब थाने लाए जाने वाले अपराधी की फोटो क्लिक करते ही उसका पूरा आपराधिक रिकाॅर्ड पुलिस के सामने होगा. यह संभव होगा फेस फाॅरेंसिक एप्लीकेशन से, जिसे डेवलप किया है मध्य प्रदेश पुलिस के दूरसंचार मुख्यालय ने. इस एप्लीकेशन पर 4 लाख से ज्यादा अपराधियों का डाटा बेस मौजूद होगा. इस ऐप का एक्सेस प्रदेश के सभी थानों, टीआई और जांच अधिकारियों को दिया जाएगा. दूरसंचार मुख्यालय के आला अधिकारियों के मुताबिक ऐप तैयार कर लिया गया है और फिलहाल इसका ट्रायल किया जा रहा है.

पुलिस के लिए फायदेमंद साबित होगा ऐप

पांच माह पहले उत्तर प्रदेश के चित्रकूट जेल में हुई फायरिंग में मारे गए यूपी के कुख्यात शार्प शूटर अंशु दीक्षित ने लंबे समय तक भोपाल में फरारी काटी है. बताया जाता है कि इस दौरान भोपाल में किसी मामले में पुलिस ने उससे पूछताछ भी की थी, लेकिन पुलिस को पता ही नहीं चला कि अंशु यूपी का बड़ा बदमाश है. बाद में यूपी पुलिस को भनक लगी और जब भोपाल क्राइम ब्रांच के साथ वह उसे पकड़ने पहुंची तो शार्प शूटर उन पर फायरिंग कर भाग निकला था.

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फोटो खींचते ही निकल आएगी अपराधी की कुंडली

पुलिस किसी व्यक्ति के संदिग्ध नजर आने पर उससे पूछताछ करती है. शक होने पर उसे थाने लाकर पूछताछ की जाती है. इसी तरह कई मामले में जब अपराध पकड़ में आते हैं, तो पुलिस की सख्ती के बाद भी अपराधी अपने बारे में सही जानकारी नहीं देते. यहां तक कि वह अपना सही नाम तक नहीं बताते. ऐसे में पुलिस को अपराधी का आपराधिक रिकाॅर्ड पता करने में काफी मशक्कत करनी होती है, लेकिन अब दूरसंचार मुख्यालय द्वारा तैयार किए गए फेस फाॅरेंसिक एप्लीकेशन की मदद से पुलिस की परेशानी काफी हद तक कम हो जाएगी.

इस एप्लीकेशन में है कई खासियत

दूरसंचार मुख्यालय के एडीजी संजय झा कहते हैं कि नए फेस फाॅरेंसिक एप्लीकेशन के मदद से संदिग्ध के पकड़ में आने के बाद जांच अधिकारी को सिर्फ अपराधी का फोटो खींचकर इस एप्लीकेशन पर अपलोड करना होगा. यदि अपराधी का कोई पूर्व रिकाॅर्ड है तो चंद मिनिट में उसका पूरा रिकाॅर्ड सामने आ जाएगा. इस एप्लीकेशन को पुलिस के सीसीटीएनएस से जोड़ा गया है, जिस पर देश भर के 4 लाख से ज्यादा अपराधियों का पूरा रिकार्ड उपलब्ध है. इस ऐप का एक्सेस सभी थानों के जांच अधिकारी, थाना प्रभारी को दिया जाएगा. यह एप्लीकेशन जांच अधिकारी के मोबाइल पर खुल सकेगा. इस एप्लीकेशन की मदद से जांच अधिकारी नए संदिग्धों की तस्वीरें भी अपने रिकाॅर्ड में रख सकेंगे.

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इस एप्लीकेशन की मदद से गुमशुदा बच्चों की पहचान में भी मदद मिलेगी. गुमशुदा बच्चों की फोटो भी इस एप्लीकेशन में अपलोड की जा सकेंगे. ऐसे में यदि कोई बच्चा पुलिस को मिलता है और वह अपने बारे में सही जानकारी नहीं दे पा रहा है, तो इस एप्लीकेशन में उसे सर्च किया जा सकेगा. ऐसे में यदि उसका रिकाॅर्ड उसमें उपलब्ध होगा, तो उसकी पूरी जानकारी पुलिस के सामने होगी. यह एप्लीकेशन सिर्फ पुलिस अधिकारी-कर्मचारी ही उपयोग कर सकेंगे.

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