भोपाल। राजधानी सहित पूरे मध्य प्रदेश में पटवारी 11 सूत्रीय मांगों को लेकर अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गए हैं. सोमवार से मध्य प्रदेश में पटवारी ने अपने बस्ते तहसील ऑफिस में जमा करवा दिए हैं. उनके बस्ते में उनके हल्के क्षेत्र का सरकारी रिकॉर्ड रहता है, जोकि उन्होंने कार्यालय में जमा कर दिया है. इससे पहले भी शनिवार और रविवार की शासकीय छुट्टी से पूर्व तीन दिनों के सामूहिक अवकाश पर थे. पटवारियों ने इसके बाद राजधानी भोपाल में एक तिरंगा यात्रा निकाली जो कि मुख्यमंत्री आवास की तरफ जा रही थी, जिसे प्रशासन ने रोक दिया था. अपनी लंबित मांगों को लेकर पटवारी काफी समय से आंदोलन करने की तैयारी में थे.
चुनाव से ठीक पहले पटवारी एक्टिव: मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव की सरगर्मियां तेज हो गई है. इसी के चलते असंतुष्ट कर्मचारियों ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. मध्य प्रदेश के पटवारी जो कि शनिवार और रविवार से पहले 3 दिन की सांकेतिक हड़ताल पर थे. उन्होंने फिर से काम करने से इनकार कर दिया है. भोपाल सहित प्रदेश के अलग-अलग जगह पर पटवारी ने अपने सरकारी रिकॉर्ड को कार्यालय में जमा कर दिया है. हड़ताल पर चले गए हैं, जिसके कारण काफी लोगों का काम प्रभावित हो रहा है.
भोपाल में 3,000 से अधिक मामले पेंडिंग: पटवारी के हड़ताल पर चले जाने से भोपाल में ही 3,000 से अधिक प्रकरण पेंडिंग हो गए हैं. जिसका राजस्व निरीक्षक और पटवारी को करना था. इसके अलावा ईडब्ल्यूएस मकान के लिए प्रमाण पत्र, नामांतरण रिपोर्ट, जाति प्रमाण पत्र, पीएम किसान पत्र का सर्वे, पत्ता निर्माण बटवारा, सीमांकन सहित कई काम अटक गए हैं. जिसके कारण आम जनता को परेशानी हो रही है.
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सरकार ने नहीं की समाधान: वहीं पटवारियों का कहना है कि "वह इससे पूर्व भी एक बार आंदोलन पर गए थे. जिसके बाद राजस्व मंत्री ने उनसे उनकी समस्याओं पर विचार करने की बात कही थी और उनके आश्वासन पर वह कम पर लौट आए थे, लेकिन अब जैसे-जैसे चुनाव करीब आ रहा है उन्हें नहीं लग रहा है कि उनकी मांगों को लेकर सरकार किसी तरह से विचार कर रही है. इसलिए अब पटवारी प्रदेश स्तर पर हड़ताल पर रहेंगे." मध्य प्रदेश पटवारी संघ के अध्यक्ष उपेंद्र सिंह ने बताया कि "उन्होंने भी सीधी कार्यालय ,जहां वह पदस्थ है वहां पहुंचकर अपना बस्ता जमा करा दिया है. सरकार ने उनकी मांगों की ओर कोई ध्यान नहीं दिया. ना सरकार की तरफ से उन्हें कोई आश्वासन मिला. इसलिए अब वह लोग अनिश्चितकालीन हड़ताल की ओर चले गए हैं."