भोपाल। जब चुनाव के पहले बीजेपी सरकार खुले हाथ से हर वर्ग के लिए सौगातों की झड़ी लगा रही है तब आउटसोर्स कर्मचारी इस सवाल के साथ मैदान में उतरे हैं कि सरकार को कुछ याद है हमारी. चुनाव के दो महीने पहले सिस्टम की सांस फुलाने मैदान में उतरे आउटसोर्स कर्मचारी 10 सितंबर से भोपाल में डेरा डालने जा रहे हैं. चुनाव के ऐन पहले इन कर्मचारियों के हड़ताल पर जाने से इसलिए संकट है, क्योंकि इनके काम बंद कर देने से चुनाव आयोग से लेकर 108 एम्बुलेंस, 11 सितंबर से शुरू हो रहा टीकाकरण अभियान सब ठप्प हो जाएंगे. पूरे प्रदेश में 12 से 15 लाख आउट सोर्स कर्मचारी इस दौरान हड़ताल पर रहेंगे. भोपाल में एक लाख की तादात में जुट रहे आउट सोर्स कर्मचारी तब तक भोपाल में धरने पर रहेंगे जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं हो जातीं.
15 लाख आउटसोर्स कर्मचारी करेंगे काम बंद : चुनाव के पहले सियासी दलों को अपनी ताकत दिखाने जा रहे आउटसोर्स कर्मचारियों का ये आंदोलन अब तक का सबसे बड़ा आंदोलन माना जा रहा है, वजह ये है कि एक साथ प्रदेश भर में 12 से 15 लाख आउटसोर्स कर्मचारी हड़ताल पर होंगे. दूसरी तरफ एक लाख से अधिक कर्मचारी भोपाल में धरने के लिए जमा होंगे, जो सरकार से ठोस आश्वासन मिल जाने के बाद ही वापसी करेंगे. आउटसोर्स कर्मचारी संयुक्त मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष वासुदेव शर्मा ने बताया कि "10 सितंबर से भोपाल के शाहजहानी पार्क में आउटसोर्स की फोर्स डेरा डालेगी और अपने हक-अधिकार के लिए निर्णायक संघर्ष शुरू करेंगे. आंदोलन की शुरूआत आज सीहोर से सीएम हाउस तक पैदल तिरंगा यात्रा निकालकर हो चुकी है."
आउटसोर्स कर्मचारियों की क्या-क्या मांगें : आउट सोर्स कर्मचारियों की मांग है कि नौकरियों में आउट सोर्स कल्चर पूरी तरह से खत्म हो और कर्मचारियों का विभागों में संविलियन किया जाए. जन स्वास्थ्य रक्षक, गौसेवक, संविदा प्रेरक सर्वेक्षण सहायकों एवं निकाले गए कर्मियों की सेवा में बहाली की जाए. आउटसोर्स अस्थाई ठेका कर्मचारियों का न्यूनतम वेतन बढ़ाकर 21 हजार किया जाए जिससे बढ़ती मंहगाई में राहत मिल सके. इसी तरह से पंचायतों के ग्राम सेवा केंद्र के कंप्यूटर आपरेटरों को 4 साल से मानदेय नहीं मिला है. शासन ने ग्रामीण जनता तक सरकार की योजनाओं का लाभ पहुंचाने का काम निजी एजेंसी को दिया था, जिसने पंचायतों में कंप्यूटर आपरेटरों को 4 हजार रूपए मानदेय में रखा था, एजेंसी आपरेटरों को मानदेय दिए बिना ही गायब हो गई, उनका मानदेय दिया जाए.
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आउटसोर्स कर्मचारियों के आंदोलन का कहां कितना असर : 9 सितंबर से शुरू हुए आउटसोर्स कर्मचारियों के आंदोलन से सरकार के कई महत्वपूर्ण काम प्रभावित होंगे. निर्वाचन विभाग के कंप्यूटर आपरेटर आज शनिवार से ही आंदोलन में शामिल हो चुके हैं , जिससे वोटर लिस्ट सहित चुनाव से जुड़े काम प्रभावित होना तय है. केंद्र एवं राज्य सरकार का बच्चों के टीकाकरण के विशेष अभियान "इंद्र धनुष" कार्यक्रम 11 सितंबर से शुरू हो रहा है, आउटसोर्स आंदोलन से यह प्रभावित होगा क्योंकि केंद्रों तक वैक्सीन पहुंचाने वाले सभी जिलों के वैक्सीन लिफ्टर (एवीडी) सीहोर से तिरंगा यात्रा में साथ चल रहे हैं. डायल -100, एंबुलेंस-108 सेवा पर आउटसोर्स आंदोलन का व्यापक असर रहेगा क्योंकि इसमें कार्यरत कर्मचारी आंदोलन का नेतृत्व कर रहे हैं, लोकसेवा केंद्रों का काम भी प्रभावित होगा. आउटसोर्स की फोर्स में बड़ी संख्या में क्लास-4 के कर्मी भी शामिल हैं, जिससे सरकारी विभागों, स्कूलों, छात्रावासों की साफ-सफाई की व्यवस्थाओं सहित छोटे छोटे कामों पर असर पड़ेगा. आउटसोर्स ड्राईवर भी 10 सितंबर से होने वाले आंदोलन का हिस्सा हैं, अधिकारियों को खुद ही गाड़ियां चलानी पड़ेगी.