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MP जेल नियमों में बदलाव, अब फास्टर से आदेश पहुंचने पर ही होगी रिहाई, जानें पूरी प्रक्रिया

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Published : Sep 16, 2022, 2:58 PM IST

Updated : Sep 16, 2022, 4:13 PM IST

मध्यप्रदेश में कोई भी कैदी अब निजी व्यक्ति द्वारा लाए गए रिहाई आदेश पर नहीं छूट पाएगा. कैदी की रिहाई तभी होगी तब आदेश फास्टर सिस्टम या डाक से जेल पहुंचेगा. जेल विभाग ने कैदियों की रिहाई को लेकर नियमों में बदलाव कर दिया है. जेल विभाग ने इस संबंध में आदेश जारी कर दिया है. इसमें कहा है कि रिहाइ आदेश या जमानत आदेश निजी व्यक्ति द्वारा जेल लाए जाने पर रिहाई नहीं की जाएगी. इसके आदेश फास्टर सिस्टम या डाक द्वारा जेल पहुंचने पर ही मान्य किए जाएंगे. MP Changes jail rules, Releasing process, Order from Faster

MP Changes jail rules
जेल नियमों में बदलाव अब फास्टर से आदेश पहुंचने पर होगी रिहाई

भोपाल। आदेश में कहा गया है कि किसी भी मामले में जेल में बंद आरोपी या कैदी की रिहाई के लिए यदि कोई जमानत आदेश या रिहाई आदेश निजी व्यक्ति जेल लेकर पहुंचेगा तो उसके आधार पर आरोपी को रिहा नहीं किया जाएगा. यह आदेश फास्टर यानी फास्ट एंड सिक्योर ट्रांसमिशन ऑफ इलेक्ट्रानिक्स रिकॉर्ड्स सिस्टम या फिर डाक से पहुंचने पर ही मान्य किया जाएगा.

ये है नियम : जेल विभाग ने नियमों में संशोधन किया है कि कोर्ट द्वारा जमानत आदेश दिए जाने पर यदि आदेश फास्टर से जेल पहुंचता है तो आरोपी का रिहा करने के लिए अधीकृत व्यक्ति उप अधीक्षक होगा. यदि उप अधीक्षक मौजूद नहीं है तो सहायक अधीक्षक भी उसे रिहा कर सकेगा.

MP Sagar Central Jail सागर के केंद्रीय जेल की जगह बनेगा बुंदेलखंड का सबसे बड़ा कमर्शियल कांप्लेक्स

ई-कोर्ट व्यवस्था भी होगी मजबूत : उधर, प्रदेश में ई-कोर्ट व्यवस्था को मजबूत बनाने के लिए डीजीपी सहित तीन डीजी और तीन एडीजी रैंक के अधिकारियों से शासन ने जानकारी मांगी है. इसको लेकर मंत्रालय में जल्द ही बैठक की जाएगी। दरअसल 22 जनवरी को इस संबंध में बैठक हुई थी, जिसमें ई कोर्ट व्यवस्था को मजबूत करने के लिए अधिकारियों से सुझाव मांगे गए थे. MP Changes jail rules, Releasing process, Order from Faster

भोपाल। आदेश में कहा गया है कि किसी भी मामले में जेल में बंद आरोपी या कैदी की रिहाई के लिए यदि कोई जमानत आदेश या रिहाई आदेश निजी व्यक्ति जेल लेकर पहुंचेगा तो उसके आधार पर आरोपी को रिहा नहीं किया जाएगा. यह आदेश फास्टर यानी फास्ट एंड सिक्योर ट्रांसमिशन ऑफ इलेक्ट्रानिक्स रिकॉर्ड्स सिस्टम या फिर डाक से पहुंचने पर ही मान्य किया जाएगा.

ये है नियम : जेल विभाग ने नियमों में संशोधन किया है कि कोर्ट द्वारा जमानत आदेश दिए जाने पर यदि आदेश फास्टर से जेल पहुंचता है तो आरोपी का रिहा करने के लिए अधीकृत व्यक्ति उप अधीक्षक होगा. यदि उप अधीक्षक मौजूद नहीं है तो सहायक अधीक्षक भी उसे रिहा कर सकेगा.

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ई-कोर्ट व्यवस्था भी होगी मजबूत : उधर, प्रदेश में ई-कोर्ट व्यवस्था को मजबूत बनाने के लिए डीजीपी सहित तीन डीजी और तीन एडीजी रैंक के अधिकारियों से शासन ने जानकारी मांगी है. इसको लेकर मंत्रालय में जल्द ही बैठक की जाएगी। दरअसल 22 जनवरी को इस संबंध में बैठक हुई थी, जिसमें ई कोर्ट व्यवस्था को मजबूत करने के लिए अधिकारियों से सुझाव मांगे गए थे. MP Changes jail rules, Releasing process, Order from Faster

Last Updated : Sep 16, 2022, 4:13 PM IST
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