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MP Mission 2023 मुकाबले से पहले कमलनाथ दिखा रहे जीत का दम, क्या कांग्रेस खेल रही मनोवैज्ञानिक खेल - एमपी बीजेपी का कांग्रेस पर तंज

साल 2023 में मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव होने हैं. वैसे तो चुनाव में अभी वक्त है, लेकिन कांग्रेस और बीजेपी ने अपने स्तर पर जीत हासिल करने की तैयारी शुरू कर दी है. नए साल पर कांग्रेस का कमलनाथ को भावी सीएम बताने वाला पोस्टर चर्चाओं में हैं, कहा जा रहा है कि कांग्रेस मनौवैज्ञानिक ढंग से बीजेपी के दिमाग पर और जनता के दिल में जीत हासिल करने की शुरूआत कर चुकी है.

congress campaign for mp assembly elections
एमपी में कांग्रेस का पोस्टर
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Published : Jan 2, 2023, 8:08 PM IST

भोपाल। कुश्ती के मैदान में कहा जाता है कि पहलवान आधा मुकाबला तो तभी जीत लेता है कि जब वो शुरुआती कसरत दिखाकर ही सामने खड़े प्रतिद्वंदी का मनोबल तोड़ देता है. राजनीति रेसलिंग का मैदान बेशक नहीं है लेकिन कई बार सियासत में भी ऐसे दांव पेंच काम कर जाते हैं. प्रबंधन के माहिर कमलनाथ 2023 की शुरुआत से ही क्या एमपी में यही मनोवैज्ञानिक दांव खेल रहे हैं. भावी मुख्यमंत्री के रुप में कमलनाथ को प्रोजेक्ट किए जाने के पीछे कांग्रेस की रणनीति क्या है? क्या हाईकमान से कमलनाथ को हरी झंडी मिल चुकी है. 2018 में भी कांग्रेस ने ऐसा ही कॉन्फिडेंस दिखाया था. हांलाकि तब वोटिंग हो जाने के बाद कांग्रेस की सरकार बनवाने मतदाता को आभार जताते पोस्टर लगवाए गए थे, लेकिन 2023 में तो चुनावी साल की शुरुआत में कांग्रेस का इन तेवरों में आना सवाल ये है कि ये केवल कांग्रेस का कॉन्फिडेंस है या कुछ और.

मैनेजमेंट के माहिर का 'मनोवैज्ञानिक' खेल: कांग्रेस के कैम्पेन पर गौर कीजिए तो एक पंथ दो काज के अंदाज में पार्टी ने चुनावी साल की शुरुआत की है. इत्तेफाक नहीं कि पार्टी के मीडिया विभाग से जुड़े सदस्य एक साथ नए साल में नई सरकार और कमलनाथ को भावी मुख्यमंत्री बताते बधाई संदेशों के साथ नुमाया हुए हैं. खेल के मैदान में खड़े खिलाड़ी अपने बॉडी लैग्वेंज के जरिए मुकाबले में खड़ी टीम को जिस तरह से मनोवैज्ञानिक दांव से हताश करते हैं. कमलनाथ को भावी मुख्यमंत्री बताकर कांग्रेस उसी दांव का इस्तेमाल राजनीति में कर रही है, इस बार ये एक पंथ दो काज के लिए है. एक तरफ तो चुनावी साल की शुरुआत में ही इस आत्मविश्वास के जरिए विपक्षी पार्टी का मनोबल कमजोर करना है. दूसरा जब प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ भावी सीएम के बतौर प्रोजेक्ट किए जाएंगे तो कांग्रेस कार्यकर्ता का आत्मविश्वास भी बढ़ेगा कि ऐसी परिस्थितियां तो हैं कि एमपी में कांग्रेस फिर सरकार बना सकती है. वहीं जनता के बीच भी जब इस तरह का प्रचार जाता है तो भले हवा ही बनें लेकिन उस दल के लिए माहौल बनना तो शुरु हो ही जाता है.

कमलनाथ इसी राजनीति के माहिर: अगर 2018 के विधानसभा चुनाव की आपको याद हो तो 2017 के आखिरी दिनों से कमलनाथ इस ढंग से पेश आने लगे थे कि सरकार बदलना तय है. उस दौरान भी मतदान के बाद से ही कांग्रेस की ओर से ऐसे पोस्टर लगाए गए थे, जिनमें कांग्रेस की सरकार बनवाने के लिए मतदाता का आभार जताया गया था. उसी दौरान जब भी कमलनाथ ने ब्यूरोक्रेसी पर हमला बोला तो उनके बयान में एक पंक्ति निश्चित होती थी कि आज के बाद कल भी आता है. कमलनाथ अलग ढंग की राजनीति करते हैं और उनकी सियासत में ये मनोवैज्ञानिक दांव भी शामिल है.

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नए साल पर कांग्रेस का पोस्टर प्रचार

ये कांग्रेस के कैम्पेन का हिस्सा: असल में भारत जोड़ो यात्रा के बाद दिल्ली में राहुल गांधी का मध्यप्रदेश में कांग्रेस की सरकार वापिसी को लेकर दिया गया बयान जानकारों के मुताबिक कांग्रेस के कैम्पेन का ही हिस्सा है. इसे इत्तेफाक मत समझिए कि भारत जोड़ो यात्रा में मध्यप्रदेश में कांग्रेस की सरकार वापिसी का बयान दे चुके राहुल गांधी ने दिल्ली में फिर दोहराया कि एमपी में इस बार कांग्रेस की ही सरकार बनेगी. इसी कैम्पेन का एक्सटेंशन है नया साल नई सरकार. इसमें बहुत महीन सी उस लाईन को भी पकड़ा गया है. जिसमें बीजेपी लगातार अठारह साल से प्रदेश की सत्ता में है. 2018 में कांग्रेस वक्त है बदलाव का इस नारे के साथ चुनाव मैदान में उतरी थी. इस बार भी प्रचार की रणनीति का प्रमुख बिंदू बदलाव ही है. लिहाजा नारा नए साल में नई सरकार का दिया गया है.

कांग्रेस दिखा रही 150 का दम: नए साल की शुरुआत में राजधानी भोपाल समेत प्रदेश के प्रमुख जिलों में नया साल नई सरकार, छंटेगा अंधकार आ रही है कमलनाथ सरकार जैसे नारों के साथ चुनावी माहौल तैयार कर रही कांग्रेस का दम है कि इस बार पार्टी 150 सीटें जीतेगी. हांलाकि बीजेपी अबकि बार दो सौ पार के नारे पर बढ़ रही है. कांग्रेस ने 2018 के विधानसभा चुनाव में 114 सीटे जीती थी. जबकि बीजेपी 109 सीटें ही हासिल कर पाई थी. बीएसपी के खाते में 2 सीटें और सपा के खाते में एक सीट आई थी. चार सीटों पर निर्दलीय जीते थे, जो पूरे पांच साल जहां दम वहां हम के अंदाज में राजनीति करते रहे.

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कांग्रेस का नारा नया साल नई सरकार

ख्वाब है ख्वाब ही रहेगा: प्रदेश के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कांग्रेस के इस कैम्पेन को लेकर सवाल उठाए हैं और कहा है कि जो कमलनाथ अपनी बनी बनाई सरकार नहीं चला पाए. वो नई सरकार क्या बना पाएंगे. नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि ये कांग्रेस का ख्वाब है और ख्वाब ही रहने वाला है. नरोतम ने कांग्रेस विधायक लक्ष्मण सिंह का हवाला देते हुए कहा कि कांग्रेस के ही विधायक लक्ष्मण सिंह कह चुके हैं कि कांग्रेस की केवल 54 सीटें आएंगी. मंत्री मिश्रा ने कहा कि मेरा व्यक्तिगत मत है इतनी भी नहीं आएंगी.

नई सरकार कमलनाथ सरकार , नारा नहीं संकल्प: कांग्रेस मीडिया विभाग के उपाध्यक्ष अजय सिंह यादव का कहना है कि असल में कांग्रेस पार्टी ने पूरे प्रदेश में नए वर्ष की शुरुआत ही इस संकल्प के साथ की है कि नए साल में एमपी में नई सरकार कांग्रेस सरकार. कमलनाथ सरकार लाने हर एक कांग्रेसी प्रतिबद्ध है. सभी जिला कांग्रेस कमेटियों से तिरंगा यात्रा भी निकाली जाएगी और यात्रा के बाद हर कांग्रेसी ये संकल्प लेगा कि नए साल में नई सरकार कमलनाथ सरकार.

भोपाल। कुश्ती के मैदान में कहा जाता है कि पहलवान आधा मुकाबला तो तभी जीत लेता है कि जब वो शुरुआती कसरत दिखाकर ही सामने खड़े प्रतिद्वंदी का मनोबल तोड़ देता है. राजनीति रेसलिंग का मैदान बेशक नहीं है लेकिन कई बार सियासत में भी ऐसे दांव पेंच काम कर जाते हैं. प्रबंधन के माहिर कमलनाथ 2023 की शुरुआत से ही क्या एमपी में यही मनोवैज्ञानिक दांव खेल रहे हैं. भावी मुख्यमंत्री के रुप में कमलनाथ को प्रोजेक्ट किए जाने के पीछे कांग्रेस की रणनीति क्या है? क्या हाईकमान से कमलनाथ को हरी झंडी मिल चुकी है. 2018 में भी कांग्रेस ने ऐसा ही कॉन्फिडेंस दिखाया था. हांलाकि तब वोटिंग हो जाने के बाद कांग्रेस की सरकार बनवाने मतदाता को आभार जताते पोस्टर लगवाए गए थे, लेकिन 2023 में तो चुनावी साल की शुरुआत में कांग्रेस का इन तेवरों में आना सवाल ये है कि ये केवल कांग्रेस का कॉन्फिडेंस है या कुछ और.

मैनेजमेंट के माहिर का 'मनोवैज्ञानिक' खेल: कांग्रेस के कैम्पेन पर गौर कीजिए तो एक पंथ दो काज के अंदाज में पार्टी ने चुनावी साल की शुरुआत की है. इत्तेफाक नहीं कि पार्टी के मीडिया विभाग से जुड़े सदस्य एक साथ नए साल में नई सरकार और कमलनाथ को भावी मुख्यमंत्री बताते बधाई संदेशों के साथ नुमाया हुए हैं. खेल के मैदान में खड़े खिलाड़ी अपने बॉडी लैग्वेंज के जरिए मुकाबले में खड़ी टीम को जिस तरह से मनोवैज्ञानिक दांव से हताश करते हैं. कमलनाथ को भावी मुख्यमंत्री बताकर कांग्रेस उसी दांव का इस्तेमाल राजनीति में कर रही है, इस बार ये एक पंथ दो काज के लिए है. एक तरफ तो चुनावी साल की शुरुआत में ही इस आत्मविश्वास के जरिए विपक्षी पार्टी का मनोबल कमजोर करना है. दूसरा जब प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ भावी सीएम के बतौर प्रोजेक्ट किए जाएंगे तो कांग्रेस कार्यकर्ता का आत्मविश्वास भी बढ़ेगा कि ऐसी परिस्थितियां तो हैं कि एमपी में कांग्रेस फिर सरकार बना सकती है. वहीं जनता के बीच भी जब इस तरह का प्रचार जाता है तो भले हवा ही बनें लेकिन उस दल के लिए माहौल बनना तो शुरु हो ही जाता है.

कमलनाथ इसी राजनीति के माहिर: अगर 2018 के विधानसभा चुनाव की आपको याद हो तो 2017 के आखिरी दिनों से कमलनाथ इस ढंग से पेश आने लगे थे कि सरकार बदलना तय है. उस दौरान भी मतदान के बाद से ही कांग्रेस की ओर से ऐसे पोस्टर लगाए गए थे, जिनमें कांग्रेस की सरकार बनवाने के लिए मतदाता का आभार जताया गया था. उसी दौरान जब भी कमलनाथ ने ब्यूरोक्रेसी पर हमला बोला तो उनके बयान में एक पंक्ति निश्चित होती थी कि आज के बाद कल भी आता है. कमलनाथ अलग ढंग की राजनीति करते हैं और उनकी सियासत में ये मनोवैज्ञानिक दांव भी शामिल है.

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नए साल पर कांग्रेस का पोस्टर प्रचार

ये कांग्रेस के कैम्पेन का हिस्सा: असल में भारत जोड़ो यात्रा के बाद दिल्ली में राहुल गांधी का मध्यप्रदेश में कांग्रेस की सरकार वापिसी को लेकर दिया गया बयान जानकारों के मुताबिक कांग्रेस के कैम्पेन का ही हिस्सा है. इसे इत्तेफाक मत समझिए कि भारत जोड़ो यात्रा में मध्यप्रदेश में कांग्रेस की सरकार वापिसी का बयान दे चुके राहुल गांधी ने दिल्ली में फिर दोहराया कि एमपी में इस बार कांग्रेस की ही सरकार बनेगी. इसी कैम्पेन का एक्सटेंशन है नया साल नई सरकार. इसमें बहुत महीन सी उस लाईन को भी पकड़ा गया है. जिसमें बीजेपी लगातार अठारह साल से प्रदेश की सत्ता में है. 2018 में कांग्रेस वक्त है बदलाव का इस नारे के साथ चुनाव मैदान में उतरी थी. इस बार भी प्रचार की रणनीति का प्रमुख बिंदू बदलाव ही है. लिहाजा नारा नए साल में नई सरकार का दिया गया है.

कांग्रेस दिखा रही 150 का दम: नए साल की शुरुआत में राजधानी भोपाल समेत प्रदेश के प्रमुख जिलों में नया साल नई सरकार, छंटेगा अंधकार आ रही है कमलनाथ सरकार जैसे नारों के साथ चुनावी माहौल तैयार कर रही कांग्रेस का दम है कि इस बार पार्टी 150 सीटें जीतेगी. हांलाकि बीजेपी अबकि बार दो सौ पार के नारे पर बढ़ रही है. कांग्रेस ने 2018 के विधानसभा चुनाव में 114 सीटे जीती थी. जबकि बीजेपी 109 सीटें ही हासिल कर पाई थी. बीएसपी के खाते में 2 सीटें और सपा के खाते में एक सीट आई थी. चार सीटों पर निर्दलीय जीते थे, जो पूरे पांच साल जहां दम वहां हम के अंदाज में राजनीति करते रहे.

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कांग्रेस का नारा नया साल नई सरकार

ख्वाब है ख्वाब ही रहेगा: प्रदेश के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कांग्रेस के इस कैम्पेन को लेकर सवाल उठाए हैं और कहा है कि जो कमलनाथ अपनी बनी बनाई सरकार नहीं चला पाए. वो नई सरकार क्या बना पाएंगे. नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि ये कांग्रेस का ख्वाब है और ख्वाब ही रहने वाला है. नरोतम ने कांग्रेस विधायक लक्ष्मण सिंह का हवाला देते हुए कहा कि कांग्रेस के ही विधायक लक्ष्मण सिंह कह चुके हैं कि कांग्रेस की केवल 54 सीटें आएंगी. मंत्री मिश्रा ने कहा कि मेरा व्यक्तिगत मत है इतनी भी नहीं आएंगी.

नई सरकार कमलनाथ सरकार , नारा नहीं संकल्प: कांग्रेस मीडिया विभाग के उपाध्यक्ष अजय सिंह यादव का कहना है कि असल में कांग्रेस पार्टी ने पूरे प्रदेश में नए वर्ष की शुरुआत ही इस संकल्प के साथ की है कि नए साल में एमपी में नई सरकार कांग्रेस सरकार. कमलनाथ सरकार लाने हर एक कांग्रेसी प्रतिबद्ध है. सभी जिला कांग्रेस कमेटियों से तिरंगा यात्रा भी निकाली जाएगी और यात्रा के बाद हर कांग्रेसी ये संकल्प लेगा कि नए साल में नई सरकार कमलनाथ सरकार.

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