ETV Bharat / state

भोपाल में 2 महीने में 156 मिसिंग पर्सन, इनमें 66 लड़कियां, साइकोलॉजिस्ट बोले- बच्चों को कम दे मोबाइल

राजधानी भोपाल में लगातार मिसिंग गर्ल का आंकड़ा बढ़ रहा है. सिर्फ 2 महीने में 66 लड़कियां लापता हो गई हैं, यानी हर महीने 33, जबकि बीते साल औसतन 20 गर्ल ही मिसिंग हुई थी. यह आंकड़ा पुलिस की तरफ से दिया गया है. इनके अलावा हर दिन घर छोड़ने वालों की बात करें तो वर्ष 2023 की शुरूआत से अब तक यह आंकड़ा 200 पार कर गया है. साइकोलॉजिस्ट के अनुसार पेरेंटस से दूरी और सोशल मीडिया का प्रभाव इसके लिए जिम्मेदार.

Bhopal missing girl Case
भोपाल मिसिंग केस
author img

By

Published : Mar 16, 2023, 10:21 PM IST

भोपाल। सोशल मीडिया का प्रभाव, बाहरी चकाचौंध, पेरेंटस का हस्तक्षेप और फाइनेंसियल स्ट्रक्चर के कारण हीन भावना. यह कुछ कारण है, जिनकी वजह से शहर में रहने वाली छोटी बच्चियां अपना घर छोड़कर बाहर जा रही हैं. इस साल जनवरी और फरवरी कुल 156 ने बिना बताए घर छाेड़ा. इनमें 66 लड़कियां थी और 31 लड़के. 66 में नाबालिग लड़कियां बड़ी संख्या में थी. पुलिस की स्पेशल टीम ने इन 66 में से 59 को रिकवर करने का दावा किया है. जब यह रिकवर हुई तो पता चला कि सोशल मीडिया के प्रभाव में आकर शार्ट टेंपर होने के कारण यह घर छोड़कर चली गई. बड़ी बात यह है कि यह आंकड़ा लगातार बढ़ता जा रहा है.
चलाया था ऑपरेशन मुस्कान: पुलिस रिकॉर्ड के अनुसार प्रदेश से हर दिन 21 बच्चियां गायब हुई थी. यह आंकड़ा वर्ष 2021 का है. इसमें भोपाल में 349 नाबालिग बच्चियां लापता हुई थी. बीते साल यह आंकड़ा 350 प्लस था, लेकिन इस साल सिर्फ दो महीने में 66 लापता हो गई. मध्य प्रदेश पुलिस ने नाबालिग बच्चियों के लापता होने के मामले बढ़ते देख जनवरी 2021 में ऑपरेशन मुस्कान की शुरुआत की थी. इस अभियान के तहत पुलिस ने 2 चरणों में, अलग-अलग कारणों से लापता हुई 4402 लड़कियों को बरामद किया था. इनमें से प्रदेश के अलग अलग जिलों से 3713 लड़कियां और 689 लड़कियां दूसरे राज्यों से बरामद की.

साइकोलॉजिस्ट ने बताए ये कारण: इस बारे में शहर की काउंसिलिंग साइकोलॉजिस्ट डॉ. दीप्ति सिंघल से बात की तो उन्होंने साफ कहा कि उनके पास इस तरह के बहुत केस आते हैं. इनमें जो कारण सामने आते हैं, उनमें बच्चों का शार्ट टेंपर होना है. वहीं फाइनेंसियल स्ट्रक्चर यानी परिवार की कमजोर आर्थिक स्थिति भी एक बड़ा कारण है. मिडिल क्लास फैमिली में यह स्थिति अधिक देखी जाती है. सोशल मीडिया के बहुत अधिक इस्तेमाल से बच्चों आक्रामक हो गए हैं और वे हाईफाई लाइफ जीना चाहते हैं. ऐसी स्थिति होने के पीछे बड़ा करण है कि, सिंगल पेरेंट होना या वर्किंग पेरेंटस का होना. बाहर के लोग मौका पाकर बच्चियों को बहला फुसला लेते हैं और वे बाहरी अट्रेक्शन के कारण घर छोड़कर चली जाती हैं. हालात यह है कि बच्चे पेरेंटस की सुनने के लिए तैयार नहीं है. यदि फेसिलिटी भी दे दी तो पेरेंटस का समय नहीं मिलता.

MP Missing Case से जुड़ी ये खबरें जरूर पढ़ें...

कम दें मोबाइल: डॉ. दीप्ति बताती हैं कि, बेहतर होगा कि पेरेंटस बच्चों को मोबाइल देना कम कर दें. उनके साथ क्वालिटी टाइम बिताएं. जैसे खाना खा रहे हैं तो दिन भर की एक्टिविटी की बात करें. संबंधों की गर्माहट महसूस होना चाहिए. बच्चों के सामने अपनी रेपो बनाएं.

भोपाल। सोशल मीडिया का प्रभाव, बाहरी चकाचौंध, पेरेंटस का हस्तक्षेप और फाइनेंसियल स्ट्रक्चर के कारण हीन भावना. यह कुछ कारण है, जिनकी वजह से शहर में रहने वाली छोटी बच्चियां अपना घर छोड़कर बाहर जा रही हैं. इस साल जनवरी और फरवरी कुल 156 ने बिना बताए घर छाेड़ा. इनमें 66 लड़कियां थी और 31 लड़के. 66 में नाबालिग लड़कियां बड़ी संख्या में थी. पुलिस की स्पेशल टीम ने इन 66 में से 59 को रिकवर करने का दावा किया है. जब यह रिकवर हुई तो पता चला कि सोशल मीडिया के प्रभाव में आकर शार्ट टेंपर होने के कारण यह घर छोड़कर चली गई. बड़ी बात यह है कि यह आंकड़ा लगातार बढ़ता जा रहा है.
चलाया था ऑपरेशन मुस्कान: पुलिस रिकॉर्ड के अनुसार प्रदेश से हर दिन 21 बच्चियां गायब हुई थी. यह आंकड़ा वर्ष 2021 का है. इसमें भोपाल में 349 नाबालिग बच्चियां लापता हुई थी. बीते साल यह आंकड़ा 350 प्लस था, लेकिन इस साल सिर्फ दो महीने में 66 लापता हो गई. मध्य प्रदेश पुलिस ने नाबालिग बच्चियों के लापता होने के मामले बढ़ते देख जनवरी 2021 में ऑपरेशन मुस्कान की शुरुआत की थी. इस अभियान के तहत पुलिस ने 2 चरणों में, अलग-अलग कारणों से लापता हुई 4402 लड़कियों को बरामद किया था. इनमें से प्रदेश के अलग अलग जिलों से 3713 लड़कियां और 689 लड़कियां दूसरे राज्यों से बरामद की.

साइकोलॉजिस्ट ने बताए ये कारण: इस बारे में शहर की काउंसिलिंग साइकोलॉजिस्ट डॉ. दीप्ति सिंघल से बात की तो उन्होंने साफ कहा कि उनके पास इस तरह के बहुत केस आते हैं. इनमें जो कारण सामने आते हैं, उनमें बच्चों का शार्ट टेंपर होना है. वहीं फाइनेंसियल स्ट्रक्चर यानी परिवार की कमजोर आर्थिक स्थिति भी एक बड़ा कारण है. मिडिल क्लास फैमिली में यह स्थिति अधिक देखी जाती है. सोशल मीडिया के बहुत अधिक इस्तेमाल से बच्चों आक्रामक हो गए हैं और वे हाईफाई लाइफ जीना चाहते हैं. ऐसी स्थिति होने के पीछे बड़ा करण है कि, सिंगल पेरेंट होना या वर्किंग पेरेंटस का होना. बाहर के लोग मौका पाकर बच्चियों को बहला फुसला लेते हैं और वे बाहरी अट्रेक्शन के कारण घर छोड़कर चली जाती हैं. हालात यह है कि बच्चे पेरेंटस की सुनने के लिए तैयार नहीं है. यदि फेसिलिटी भी दे दी तो पेरेंटस का समय नहीं मिलता.

MP Missing Case से जुड़ी ये खबरें जरूर पढ़ें...

कम दें मोबाइल: डॉ. दीप्ति बताती हैं कि, बेहतर होगा कि पेरेंटस बच्चों को मोबाइल देना कम कर दें. उनके साथ क्वालिटी टाइम बिताएं. जैसे खाना खा रहे हैं तो दिन भर की एक्टिविटी की बात करें. संबंधों की गर्माहट महसूस होना चाहिए. बच्चों के सामने अपनी रेपो बनाएं.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.