भोपाल। हम नहीं सुधरेगें चाहे आप कुछ भी कर लो .. हमारा काम हंगामा करने का है और ऐसी भाषा हमारी परंपरा में शामिल हो गई है .. जो मर्यादा के नाम पर कलंक कही जा सकती है. मध्यप्रदेश विधानसभा के मानसून सत्र के पहले दिन सदन में स्वर्गीय सदस्यों को श्रद्धांजलि दी गई और इसके बाद आदिवासी दिवस को लेकर हुई राजनीति के दौरान सत्तापक्ष और विपक्ष ने भाषा की मर्यादा को जमकर तार तार किया. ये सब तक हुआ जब रविवार को ही असंसदीय शब्दों का सदन में उपयोग न करने को लेकर विधानसभा सदस्यों की ही एक किताब का विमोचन हुआ. लेकिन सदन के सदस्यों पर इसका कोई असर नहीं दिखा. सदन में ही ऐसे शब्दों का जमकर इस्तेमाल हुआ जो असंसदीय थे जिन्हें विलोपित करना पड़ा. एक रिपोर्ट
लाइब्रेरी में किताब, सदन में हिसाब-किताब
एक दिन पहले प्रकाशित इस किताब में शर्मशार , बंटाधार , शर्म आनी चाहिए . जैसे करीब 1161 शब्दों को अंससदीय बताकर इनका उपयोग न करने की सलाह सदन के सदस्यों को दी गई थी. लेकिन मैं चाहे जो करुं मेरी मर्ज़ी को चरितार्थ करते हुए खुद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ तक ने उन सभी शब्दों का खूब इस्तेमाल किया जो कि सदन की कार्यवाही में "अ"संसदीय , "अ"मर्यादित बताकर विलोपित किए गए.
श्रद्धांजलि और हंगामा दोनों साथ-साथ
विधानसभा के मानसून सत्र की शुरुआत हंगामे से हुई. दिवंगतों को श्रद्धांजलि दिए जाने से पहले ही विश्व आदिवासी दिवस पर छुट्टी घोषित किए जाने की मांग पर जमकर हंगामा हुआ. इस दौरान सत्ता और विपक्ष के सदस्यों ने खूब असंसदीय भाषा का उपयोग किया .. दोनों ने एक दूसरे पर आदिवासियों को लेकर स्तरहीन राजनीति करने के आरोप प्रत्यारोप लगाए. कांग्रेस के सदस्यों ने आसंदी को घेर लिया और हंगामा करते हुए सदन से वाकआउट कर गए. कमलनाथ ने आदिवासी दिवस पर श्रद्धांजलि दी , इस पर विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि किसी दिवस पर कोई श्रद्धांजलि होती है क्या ..तो वहीं शिवराज ने कहा कि श्रद्धांजलि के नाम पर ये घटिया राजनिति कर रहे हैं.
माननीय भूले मर्यादा, कुछ ऐसे उड़ी भाषा की धज्जियां
सदन शुरु होते ही कांग्रेस विधायक (आदिवासी) बाला बच्चन - सरकार आदिवासियों का अपमान कर रही है ..
विजयलक्ष्मी साधौ - सरकार आदिवासियों के खिलाफ है ..आदिवासी विरोधी है ..
नरोत्तम मिश्रा - कलावति भूरिया भी आदिवासी महिला थीं .. क्या ये बातें और किसी फोरम पर नहीं उठाई जा सकती थीं.
मुख्यमंत्री शिवराज ने हंगामा देख कहा - इस तरह की राजनीति कभी नहीं देखी .. यह गलत राजनीति हो रही है .. दिवंगतों को श्रद्धांजलि देने के बाद इस पर बात की जा सकती है ( इस दौरान शिवराज के चेहरे पर गुस्सा भी दिखाई दिया)
नेता प्रतिपक्ष कमलनाथ - सरकार को सोचना था कि प्रदेश में आदिवासी बड़ी संख्या में है उन्हें अवकाश दिया जाना था ,कमलनाथ ने आदिवासी दिवस पर श्रद्धांजलि भी दी , इस पर विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि किसी दिवस की श्रद्धांजलि होती है क्या ..तो वहीं शिवराज ने कहा कि श्रद्धांजलि के नाम पर घटिया राजनिति कर रहे हैं.
मंत्री गोपाल भार्गव - मैं भी कमलनाथ के समय नेता प्रतिपक्ष था, लेकिन ऐसा कृत्य नहीं किया जिससे शर्म महसूस हो ..
कमलनाथ- कल पुस्तक का विमोचन हुआ और आज असंसदीय शब्दों का उपयोग किया जा रहा है ..
संसदीय कार्य मंत्री नरोत्तम मिश्रा - भाजपा आदिवासियों का सम्मान करती है आदिवासी हमारी सरकार की प्राथमिकता है , उस पर कांग्रेस राजनीति न करे
किसने बोला कौन सा असंसदीय शब्द
शिवराज - आपको शर्म आना चाहिए .. आप घटिया राजनिति कर रहे हैं
कमलनाथ - आप ऐसा कह रहे हैं आपको शर्म आना चाहिए
शिवराज सिंह - आपको शर्मा आना चाहिए .. आप आदिवासियों के ऊपर घटिया राजनीति कर रहे हैं ..
गोपाल भार्गव - यह शर्मनाक है अध्यक्ष महोदय
रामेश्वर शर्मा - पहली बार ऐसा गलत हुआ है कि हम पांच पांच आदिवासी नेताओं को श्रद्धांजलि दे रहे हैं ..नेशनल खिलाड़ी को श्रद्धांजलि दी ..क्या ये बदतमीजी है
श्रद्धांजलि चलती रही .. और आदिवासी मुद्दा सदन में गूंजता रहा है.. हंगामा शांत नहीं हुआ.. दिवंगतों को श्रद्धांजलि दिए जाने के बाद विधानसभा की कार्यवाई को अगले दिन तक के लिए स्थगित कर दिया गया. मंगलवार को भी विधानसभा में हंगामे के आसार हैं. मंगलवार को सदन में जिन मुद्दों पर चर्चा होगी उनमें ग्वालियर चंबल सहित अन्य क्षेत्रों में आई बाढ़, जहरीली शराब , महंगाई इसके अलावा इस सत्र में 1184 सवाल पूछे गए हैं, वहीं 17 स्थगन प्रस्ताव भी हैं.