जबलपुर। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने साफ किया है कि संविदा महिला कर्मचारियों को भी मैटरनिटी लीव (मातृत्व अवकाश) मिलने का हक है. इसे कोई नहीं रोक सकता. मध्यप्रदेश के लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी (पीएचई) विभाग में कार्यरत एक संविदा महिला कर्मचारी ने इस मामले में हाईकोर्ट में एक याचिका लगाई थी. जिसपर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने यह आदेश पारित किया है.
उमरिया का है मामला
मध्यप्रदेश के उमरिया में पीएचई विभाग में कार्यरत सुषमा नाम की महिला ने याचिका लगाई थी. जिसमें उसे अनुबंध के आधार पर नियुक्ति दिए जाने के मामले में विभाग ने उन्हें मातृत्व अवकाश का लाभ नहीं दे रहा था. अवकाश दिए जाने की मांग को लेकर सुषमा ने जबलपुर हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी. याचिका को स्वीकार करते हुए माननीय कोर्ट ने गुरूवार को इस मामले में सुनवाई की. कोर्ट ने आदेश पारित करते हुए कहा है कि राज्य सरकार के परिपत्र के मद्देनजर याचिकाकर्ता जो अनुबंध के आधार पर नियुक्त एक संविदा महिला कर्मी है को समान लाभ नहीं देने का कोई कारण नहीं दिखता है. संविदा महिलाकर्मी को भी मैटरनिटी लीव मिलने का पूरा हक है.
महिलाकर्मी ने कार्यपालन यंत्री के आदेश को दी थी चुनौती
दरअसल, उमरिया पीएचई विभाग में जिला परामर्शदाता (संविदा) के पद पर कार्यरत सुषमा ने मातृत्व अवकाश का लाभ नहीं दिये जाने के एक्जीक्युटिव इंजीनियर के 2018 के आदेश को हाई कोर्ट में चुनौती दी थी. याचिकाकर्ता ने संविदा सेवा के दौरान मातृत्व अवकाश प्रदान किए जाने के लिए आवेदन दिया था, जिसे कार्यपालन यंत्री उमरिया ने यह कहतेहुए निरस्त कर दिया था कि संविदा कर्मचारी के संदर्भ में कोई विभागीय सर्कुलर नहीं मिला है जिसमें संविदा महिला कर्मी को मातृत्व अवकाश प्रदान किया जाए. याचिकाकर्ता के वकील आशीष त्रिवेदी ने बताया कि मप्र उच्च न्यायालय ने विभाग को आदेश पारित करते हुए कहा है कि याचिकाकर्ता संविदा महिलाकर्मी भी मातृत्व अवकाश पाने की हकदार है.