भोपाल। प्रदेश के कई जिलों में कोरोना संक्रमण तेजी से फैलता चला जा रहा है, जिसकी वजह से अब संक्रमित मरीजों की संख्या में भी लगातार इजाफा हो रहा है. ऐसी स्थिति में प्रदेश के कई अस्पतालों में बेड खाली नहीं हैं और कई संक्रमित मरीजों को निजी अस्पतालों का रुख भी करना पड़ रहा है. प्रदेश में अनलॉक 4 की शुरुआत के साथ ही प्रदेश के सभी शासकीय कार्यालय में 100 फ़ीसदी उपस्थिति के साथ काम शुरू कर दिया गया है, लेकिन इस दौरान सरकारी कर्मचारी और उनके परिवार भी तेजी से संक्रमित हो रहे हैं.
इन विषम परिस्थितियों में सरकारी कर्मचारी को या उसके आश्रित परिजन को निजी अस्पताल में भर्ती कराना पड़ रहा है, लेकिन निजी अस्पतालों के बिल को लेकर लगातार असमंजस बना हुआ था, लेकिन सरकार ने आदेश जारी करते हुए सरकारी कर्मचारियों और उनके परिवारों को एक बड़ी राहत दी है. जारी किए गए आदेश के तहत बताया गया है कि सरकारी कर्मचारी या उसके आश्रित परिजन को कोरोना संक्रमित होने पर यदि निजी अस्पताल में भी एडमिट किया जाता है तो नियमों के हिसाब से उस बिल का भुगतान सरकार के द्वारा किया जाएगा.
विभाग के द्वारा जारी किए गए आदेश में बताया गया है कि मध्यप्रदेश शासन के शासकीय सेवक एवं उनके परिवार के आश्रित सदस्य, जो आपदा कोविड-19 से संक्रमित होते हैं, ऐसे मरीज के इलाज के लिए प्रदेश के सभी जिलों के अशासकीय निजी चिकित्सालय (नर्सिग होम एक्ट के तहत पंजीकृत निजी चिकित्सालय) में आंतरिक रोगी (आईपीडी) के रूप में जांच/उपचार एवं दवाइयों के चिकित्सा व्यय की प्रतिपूर्ति होगी. आयुक्त स्वास्थ्य संजय गोयल ने इस आशय का आदेश सभी विभाग, विभागाध्यक्ष, संभागीय आयुक्त सहित सभी जिला कलेक्टर को भेजा है. कोविड-19 के इलाज में उपयोग आने वाली दवाइयां-टेबलेट फेविपिराविर, इंजेक्शन रेमडिसिविर एवं टोसिलिजुमेब आदि के नाम शामिल हैं.
आयुक्त स्वास्थ्य ने कहा है कि शासकीय सेवक कोविड-19 इलाज के चिकित्सा देयक अपने विभाग के माध्यम से जिले के सिविल सर्जन-सह-मुख्य अस्पताल अधीक्षक मध्यप्रदेश के प्रति हस्ताक्षर कराने के बाद शासकीय सेवक के संबंधित विभाग द्वारा ऐसे चिकित्सा देयकों की नियमानुसार भुगतान की कार्रवाई की जाएगी. यह व्यवस्था आपदा कोविड-19 के मरीजों के चिकित्सा देयकों पर लागू होगी. इसके लिये परिपत्र में 16 विभिन्न बिन्दुओं के संबंध में स्थिति भी स्पष्ट की गई है.
इस आदेश में यह भी बताया गया है कि आकस्मिक स्थिति में यदि सरकारी कर्मचारी या उसके परिवार के सदस्य को कोरोना संक्रमण हो जाता है और उसे तत्काल निजी अस्पताल में भर्ती कराना पड़ता है तो वह ऐसा कर सकता है लेकिन इसके बाद उसे संबंधित विभाग को इसकी सूचना देना होगी उसके बाद ही संबंधित प्रकरण में चिकित्सा प्रतिपूर्ति के लिए बिल प्रस्तुत किया जा सकता है.