भोपाल। मध्य प्रदेश में सरकार और प्राइवेट स्कूल संचालकों के बीच तकरार जारी है. इस बीच सरकार ने करोना को ध्यान में रखते हुए प्राइवेट स्कूल संचालकों को सिर्फ ट्यूशन फीस लेने की छूट दी है. दूसरी तरफ प्राइवेट स्कूल अब अभिभावकों पर अन्य फीस देने का भी दबाव बना रहे हैं. ऐसे में बच्चों के अभिभावक प्राइवेट स्कूल संचालकों और सरकार के बीच खुद को असहाय पा रहे हैं.
प्राइवेट स्कूल संचालक बना रहे हैं दबाव
एमपी के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कोरोना के चलते प्रदेश के सभी प्राइवेट स्कूलों को सिर्फ ट्यूशन फीस लेने के निर्देश दिए हैं. प्राइवेट स्कूल लगातार इसका विरोध कर रहे हैं. कई अभिभावकों ने शिकायत की है कि अब प्राइवेट स्कूल अभिभावकों पर पूरी फीस देने का दबाव बना रहे हैं. राजधानी भोपाल में ही कई प्राइवेट स्कूल संचालक अभिभावकों को फोन करके पूरी फीस जमा करने के लिए दबाव बना रहे हैं. ऐसे कई अभिभावक हैं जिनके पास लगातार ट्यूशन फीस के अलावा पूरी फीस जमा करने के लिए फोन आए हैं.
स्कूल से आ रहे हैं अभिभावकों को फोन
उसी तरह अन्य अभिभावकों को भी इसी तरह के फोन आ रहे हैं. भोपाल के रहने वाले एक अभिभावक ने बताया कि उनकी बेटी पांचवी क्लास में पढ़ती है. उन्हें लगातार स्कूल की तरफ से फीस जमा करवाने के लिए फोन आ रहे हैं. ऐसे में इन अभिभावकों की मांग है कि वो इस तरह दबाव बनाने वाले स्कूलों पर तत्काल कार्रवाई करें.
लाखों में है 3 बड़े प्राइवेट स्कूलों की फीस
राजधानी भोपाल के सबसे प्रतिष्ठित स्कूल में कक्षा दसवीं से बारहवीं के बच्चों की सिर्फ ट्यूशन फीस 1 लाख रुपए है. इसके अलावा 7 हजार रुपए एग्जाम फीस के तौर पर भरवाए जाते हैं. इस स्कूल में जब शुरुआती दौर में बच्चा एडमिशन लेता है, तो 60 से 70 हजार रुपए भरवाए जाते हैं. ऐसा ही एक और प्राइवेट स्कूल है. जो शहर में दूसरा नंबर का सबसे जाना-माना स्कूल है. यहां भी दसवीं से बाहरवी तक के बच्चों से ट्यूशन फीस के नाम पर 1 लाख रुपए लिए जाते हैं. इसके अलावा सालाना चार्जेस के नाम पर 9000 हजार रुपए और इंप्रेस्ड के 4000 रुपए अलग से लिए जाते हैं.