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MP Fake Poor Campaign : फर्जी गरीबों को ढूंढे़गी सरकार, 19 अक्टूबर से शुरू होगा अभियान, सभी 3 करोड़ गरीबों का होगा KYC

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Published : Oct 18, 2022, 6:11 PM IST

मध्यप्रदेश में एक बार फिर गरीबों की सूची में शामिल होकर राशन डकार रहे फर्जी गरीबों को ढूंढने की तैयारी की जा रही है. ऐसे फर्जी गरीबों को ढूंढकर उन्हें गरीबों की सूची से बाहर करने के लिए खाद्य नागरिक आपूर्ति और उपभोक्ता संरक्षण विभाग प्रदेश भर में अभियान शुरू करने जा रहा है. इसमें प्रदेश के सभी 3 करोड़ गरीबों का केवायसी कराया जाएगा. साथ ही उनके मोबाइल नंबरों का वैरीफिकेशन किया जाएगा. साथ ही आधार कार्ड से इन्हें जोड़ा जाएगा. प्रदेश में पिछले 7 सालों में करीब 24 लाख फर्जी बीपीएल कार्ड धारकों के नाम सूची से हटाए जा चुके हैं. (MP government find fake poor) (Campaign start from October 19) (All 3 crore poor again KYC)

MP Fake Poor Campaign
MP फर्जी गरीबों को ढूंढेगी सरकार

भोपाल। प्रदेश भर में फर्जी गरीबों को ढूंढ़ने और उनके साथ बीपीएल सूची से हटाने के लिए राज्य सरकार द्वारा 19 अक्टूबर से प्रदेश भर में अभियान शुरू किया जा रहा है. इसके तहत प्रदेश भर में पीडीएस की दुकानों से राशन लेने वाले उपभोक्ताओं का वैरीफिकेशन किया जाएगा. दरअसल, प्रदेश भर में करीबन 3 करोड़ लोग बीपीएल की सूची में शामिल हैं, जो गरीबों का राशन ले रहे हैं, लेकिन इनमें से 47 फीसदी परिवारों का ही डेटाबेस पूरी तरह से अपडेट हैं. लेकिन अब अभियान चलाकर सभी हितग्राहियों का रिकॉर्ड अपडेट किया जाएगा.

मोबाइल नंबर दर्ज और अपडेट किए जाएंगे : इस अभियान के तहत प्रदेश के सभी तीन करोड़ 9 लाख हितग्राहियों के ई- केवायसी और 64 लाख परिवारों के मोबाइल नंबर दर्ज और अपडेट किए जाएंगे. हितग्राहियों का ई- केवायसी में आधार कार्ड नंबर भी अपडेट किया जाएगा, ताकि पता किया जा सके कि हितग्राही गरीबी के दायरे में आ रहा है या नहीं. ई- केवायसी के लिए हितग्राही को उचित मूल्य की दुकानों पर जाना होगा, जहां पीओएस मशीन के माध्यम से उनके रिकॉर्ड को अपडेट किया जाएगा. रिकॉर्ड में दर्ज मोबाइल नंबर को ओटीपी के माध्यम से सत्यापित किया जाएगा. यदि पात्र परिवार के किसी भी सदस्य के पास संबंधित नंबर नहीं है, तो उनका रिकॉर्ड अलग से रखा जाएगा. वैरीकिफेशन के दौरान रिकॉर्ड सही न पाए जाने पर उनका नाम सूची से हटाया जाएगा.

अभी तक हटाए जा चुके 24 लाख फर्जी : प्रदेश में फर्जी गरीबों का मुद्दा पूर्व में विधानसभा तक में उठ चुका है. हालांकि बाद में खाद्य नागरिक आपूर्ति और उपभोक्ता संरक्षण विभाग द्वारा कई महीनों से राशन न लेने वाले बीपीएल कार्ड धारकों के नाम सूची से हटा दिए थे. गरीबों के राशन वितरण में फर्जीवाड़े को रोकने के लिए 2014 से अभी तक करीबन 24 लाख फर्जी राशन कार्डधारकों के नाम सूची से हटाए जा चुके हैं. विभागीय अधिकारियों की मानें तो फर्जी राशन कार्ड बनवाने वालों में ऐसे लोगों की संख्या भी है, जो राशन तो नहीं लेते, लेकिन शासन की दूसरी योजनाओं जैसे आरटीई, आयुष्मान आदि का लाभ ले रहे हैं. तीन माह से ज्यादा समय से राशन न लेने वालों के नाम बीपीएल सूची से हटाए गए हैं.

MP में अब डोर-टू-डोर होगा राशन वितरण! बीपीएल फर्जीवाड़े पर लगेगी रोक

यह है बीपीएल सूची में नाम जुड़वाने का मापदंड : गरीबी रेखा की सूची यानी बीपीएल कार्ड उन्हीं के बनाए जाते हैं, जिसकी मासिक आय 522 रुपए प्रति व्यक्ति से ज्यादा न हो. इसके बाद भी प्रदेश की आधी से ज्यादा आबादी गरीब है. यानी प्रदेश में 3 करोड़ से ज्यादा सदस्य हर माह बीपीएल के दायरे में आकर अनाज ले रहे हैं. (MP government find fake poor) (Campaign start from October 19) (All 3 crore poor again KYC)

भोपाल। प्रदेश भर में फर्जी गरीबों को ढूंढ़ने और उनके साथ बीपीएल सूची से हटाने के लिए राज्य सरकार द्वारा 19 अक्टूबर से प्रदेश भर में अभियान शुरू किया जा रहा है. इसके तहत प्रदेश भर में पीडीएस की दुकानों से राशन लेने वाले उपभोक्ताओं का वैरीफिकेशन किया जाएगा. दरअसल, प्रदेश भर में करीबन 3 करोड़ लोग बीपीएल की सूची में शामिल हैं, जो गरीबों का राशन ले रहे हैं, लेकिन इनमें से 47 फीसदी परिवारों का ही डेटाबेस पूरी तरह से अपडेट हैं. लेकिन अब अभियान चलाकर सभी हितग्राहियों का रिकॉर्ड अपडेट किया जाएगा.

मोबाइल नंबर दर्ज और अपडेट किए जाएंगे : इस अभियान के तहत प्रदेश के सभी तीन करोड़ 9 लाख हितग्राहियों के ई- केवायसी और 64 लाख परिवारों के मोबाइल नंबर दर्ज और अपडेट किए जाएंगे. हितग्राहियों का ई- केवायसी में आधार कार्ड नंबर भी अपडेट किया जाएगा, ताकि पता किया जा सके कि हितग्राही गरीबी के दायरे में आ रहा है या नहीं. ई- केवायसी के लिए हितग्राही को उचित मूल्य की दुकानों पर जाना होगा, जहां पीओएस मशीन के माध्यम से उनके रिकॉर्ड को अपडेट किया जाएगा. रिकॉर्ड में दर्ज मोबाइल नंबर को ओटीपी के माध्यम से सत्यापित किया जाएगा. यदि पात्र परिवार के किसी भी सदस्य के पास संबंधित नंबर नहीं है, तो उनका रिकॉर्ड अलग से रखा जाएगा. वैरीकिफेशन के दौरान रिकॉर्ड सही न पाए जाने पर उनका नाम सूची से हटाया जाएगा.

अभी तक हटाए जा चुके 24 लाख फर्जी : प्रदेश में फर्जी गरीबों का मुद्दा पूर्व में विधानसभा तक में उठ चुका है. हालांकि बाद में खाद्य नागरिक आपूर्ति और उपभोक्ता संरक्षण विभाग द्वारा कई महीनों से राशन न लेने वाले बीपीएल कार्ड धारकों के नाम सूची से हटा दिए थे. गरीबों के राशन वितरण में फर्जीवाड़े को रोकने के लिए 2014 से अभी तक करीबन 24 लाख फर्जी राशन कार्डधारकों के नाम सूची से हटाए जा चुके हैं. विभागीय अधिकारियों की मानें तो फर्जी राशन कार्ड बनवाने वालों में ऐसे लोगों की संख्या भी है, जो राशन तो नहीं लेते, लेकिन शासन की दूसरी योजनाओं जैसे आरटीई, आयुष्मान आदि का लाभ ले रहे हैं. तीन माह से ज्यादा समय से राशन न लेने वालों के नाम बीपीएल सूची से हटाए गए हैं.

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यह है बीपीएल सूची में नाम जुड़वाने का मापदंड : गरीबी रेखा की सूची यानी बीपीएल कार्ड उन्हीं के बनाए जाते हैं, जिसकी मासिक आय 522 रुपए प्रति व्यक्ति से ज्यादा न हो. इसके बाद भी प्रदेश की आधी से ज्यादा आबादी गरीब है. यानी प्रदेश में 3 करोड़ से ज्यादा सदस्य हर माह बीपीएल के दायरे में आकर अनाज ले रहे हैं. (MP government find fake poor) (Campaign start from October 19) (All 3 crore poor again KYC)

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