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Female Constable Gender Change: एमपी पुलिस ने अपनी महिला कांस्टेबल को जेंडर चेंज कराने की दी अनुमति, ऐसा प्रदेश में दूसरी बार हुआ - भोपाल न्यूज

एमपी में एक बार फिर एक महिला कांस्टेबल को जेंडर चेंज कराने की अनुमति मध्य प्रदेश पुलिस ने दी है. इसके पहले निवाड़ी जिले में भी एक महिला को अनुमति दी गई थी.

Female Constable Gender Change
एमपी पुलिस
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Published : Aug 14, 2023, 8:02 PM IST

Updated : Aug 14, 2023, 8:17 PM IST

भोपाल। जिस महिला कांस्टेबल को जेंडर चेंज कराने की अनुमति दी गई है. वह रतलाम जिले में पदस्थ है. गृह विभाग, एमपी शासन द्वारा सोमवार को जेंडर चेंज कराने की अनुमति का पत्र जारी किया गया है. इसके पहले साल 2021 में निवाड़ी जिले में पदस्थ महिला पुलिस कांस्टेबल को गृह विभाग, प्रदेश शासन ने जेंडर चेंज कराने की अनुमति दी थी. मामले में गृह विभाग के प्रमुख सचिव राजेश राजौरा ने बताया कि "जिस महिला कांस्टेबल को जेंडर चेंज की अनुमति दी गई है, वह लंबे समय से पुरुषों की भांति काम कर रही थी.

जेंडर आइडेंटिटी डिसऑर्डर: शासन की तरफ से जारी आदेश के अनुसार महिला कॉन्स्टेबल को जेंडर आइडेंटिटी डिसऑर्डर (GENDER IDENTITY DESORDER) बताया गया था. इस डिसऑर्डर की बात जब सामने आई तो पुष्टि कराने के लिए मनोचिकित्सक (Psychiatrist) डॉ. राजीव शर्मा (Rajeev Sharma) नई दिल्ली द्वारा वेरिफाई कराया गया. उन्होंने जांच के बाद माना कि महिला को जेंडर चेंज कराने की अनुमति दी जाना चाहिए और उनकी तरफ से सहमति भी दी गई. उनकी सहमति के बाद एमपी शासन पुलिस विभाग ने इस बात की सहमति दे दी. यह मामला 2019 से चल रहा है. तब पहली बार महिला कांस्टेबल ने जेंडर चेंज कराने के लिए अनुमति मांगने का आवेदन दिया था. इस अनुमति के बाद कॉन्स्टेबल को महिला होने के आधार पर मिलने वाली सभी सुविधा व लाभ आगे से नहीं मिलेंगे.

जिला मेडिकल बोर्ड ने भी किया परीक्षण: मामले में शासन ने बताया कि " इस महिला को बचपन से ही जेंडर आइडेंटी डिसऑर्डर है. इसकी पुष्टि नई दिल्ली के मनोचिकित्स डॉ. राजीव शर्मा ने की, इसके अलावा जिला मेडिकल बोर्ड रतलाम के सदस्यों ने भी परीक्षण किया. जिसकी रिपोर्ट 20 अप्रैल 2023 को दी गई. इसके पहले जिला निवाड़ी में पदस्थ एक महिला कांस्टेबल को भी जेंडर चेंज कराने की अनुमति दी गई थी. यह मामला जनवरी 2022 का है.

यहां पढ़ें...

लीगल ओपिनियर क्या कहती है?: जेंडर चेंज कराने की अनुमति में सुप्रीम कोर्ट के न्याय दृष्टांत नेशनल लीगल सर्विस अथॉरिटी विरुद्ध यूनियन ऑफ इंडिया व अन्य 2014 लॉ सूट सुप्रीम कोर्ट 289 में प्रतिपादित सिद्धांत अनुसार कोई वैधानिक बाधा नहीं है. इस संदर्भ में प्रशासकीय विभाग इस बावत विचार कर सकता है कि यदि नौकरी महिला होने के आधार पर प्राप्त हुई है तो लिंग परिवर्तन होने पर महिला के रूप में मिलने वाली समस्त सुविधा व लाभ आगे प्राप्त नहीं होंगे.

भोपाल। जिस महिला कांस्टेबल को जेंडर चेंज कराने की अनुमति दी गई है. वह रतलाम जिले में पदस्थ है. गृह विभाग, एमपी शासन द्वारा सोमवार को जेंडर चेंज कराने की अनुमति का पत्र जारी किया गया है. इसके पहले साल 2021 में निवाड़ी जिले में पदस्थ महिला पुलिस कांस्टेबल को गृह विभाग, प्रदेश शासन ने जेंडर चेंज कराने की अनुमति दी थी. मामले में गृह विभाग के प्रमुख सचिव राजेश राजौरा ने बताया कि "जिस महिला कांस्टेबल को जेंडर चेंज की अनुमति दी गई है, वह लंबे समय से पुरुषों की भांति काम कर रही थी.

जेंडर आइडेंटिटी डिसऑर्डर: शासन की तरफ से जारी आदेश के अनुसार महिला कॉन्स्टेबल को जेंडर आइडेंटिटी डिसऑर्डर (GENDER IDENTITY DESORDER) बताया गया था. इस डिसऑर्डर की बात जब सामने आई तो पुष्टि कराने के लिए मनोचिकित्सक (Psychiatrist) डॉ. राजीव शर्मा (Rajeev Sharma) नई दिल्ली द्वारा वेरिफाई कराया गया. उन्होंने जांच के बाद माना कि महिला को जेंडर चेंज कराने की अनुमति दी जाना चाहिए और उनकी तरफ से सहमति भी दी गई. उनकी सहमति के बाद एमपी शासन पुलिस विभाग ने इस बात की सहमति दे दी. यह मामला 2019 से चल रहा है. तब पहली बार महिला कांस्टेबल ने जेंडर चेंज कराने के लिए अनुमति मांगने का आवेदन दिया था. इस अनुमति के बाद कॉन्स्टेबल को महिला होने के आधार पर मिलने वाली सभी सुविधा व लाभ आगे से नहीं मिलेंगे.

जिला मेडिकल बोर्ड ने भी किया परीक्षण: मामले में शासन ने बताया कि " इस महिला को बचपन से ही जेंडर आइडेंटी डिसऑर्डर है. इसकी पुष्टि नई दिल्ली के मनोचिकित्स डॉ. राजीव शर्मा ने की, इसके अलावा जिला मेडिकल बोर्ड रतलाम के सदस्यों ने भी परीक्षण किया. जिसकी रिपोर्ट 20 अप्रैल 2023 को दी गई. इसके पहले जिला निवाड़ी में पदस्थ एक महिला कांस्टेबल को भी जेंडर चेंज कराने की अनुमति दी गई थी. यह मामला जनवरी 2022 का है.

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लीगल ओपिनियर क्या कहती है?: जेंडर चेंज कराने की अनुमति में सुप्रीम कोर्ट के न्याय दृष्टांत नेशनल लीगल सर्विस अथॉरिटी विरुद्ध यूनियन ऑफ इंडिया व अन्य 2014 लॉ सूट सुप्रीम कोर्ट 289 में प्रतिपादित सिद्धांत अनुसार कोई वैधानिक बाधा नहीं है. इस संदर्भ में प्रशासकीय विभाग इस बावत विचार कर सकता है कि यदि नौकरी महिला होने के आधार पर प्राप्त हुई है तो लिंग परिवर्तन होने पर महिला के रूप में मिलने वाली समस्त सुविधा व लाभ आगे प्राप्त नहीं होंगे.

Last Updated : Aug 14, 2023, 8:17 PM IST
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