भोपाल। कृषि मंडियों में किसानों का गेहूं समर्थन मूल्य से कम मूल्य पर खरीदा जा रहा है. इसकी वजह से कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि प्रदेश की मंडियों में किसानों पर दबाव बनाकर समर्थन मूल्य से कम पर अनाज खरीदा जा रहा है. कांग्रेस विधायक कुणाल चौधरी ने आरोप लगाया कि सरकार ने गेहूं का समर्थन मूल्य 2 हजार 125 रुपए क्विंटल तय किया है, लेकिन किसानों से जबरन फॉर्म भरवाकर 1 हजार 950 रुपए क्विंटल में गेहूं खरीदा जा रहा है. कांग्रेस विधायक ने आरोप लगाया कि सरकार ने सोसायटियों में ब्याज की राशि भरने का समय बढ़ा दिया है, लेकिन कलेक्टरों ने आदेश जारी कर ऋण की राशि काटकर ही शेष भुगतान करने के आदेश दिए हैं. सरकार किसानों के साथ दोहरा खेल खेल रही है.
समर्थन मूल्य पर नहीं हो रही खरीदी: कांग्रेस विधायक कुणाल चौधरी ने आरोप लगाया कि खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग रेट कंट्रोल के नाम पर अंतिम अतिशेष स्टॉक को बाजार में तब निकाला जाता है जब किसान का माल मंडी में आने वाला होता है. इससे दाम घट जाते हैं और नुकसान किसान का होता है. सरकार ने गेहूं का समर्थन मूल्य 2 हजार 125 रुपए प्रति क्विंटल तय किया था लेकिन अब मंडियों में किसानों से फॉर्म भरवाकर उनसे 1 हजार 950 रुपए प्रति क्विंटल में गेहूं खरीदा जा रहा है. इसके बाद भी सरकार द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है, यही हाल दूसरी फसलों का भी है. उन्होंने आरोप लगाया है कि राज्य सरकार ने दावा किया था कि फसल बेचने के 7 दिन बाद ही किसानों को फसल का भुगतान कर दिया जाएगा, लेकिन जिन किसानों ने 25 मार्च को अपनी फसल बेची, उसका पैस आज तक उनके खातों में नहीं आया.
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फसल विक्रय के साथ ही ऋण की कटौती: कांग्रेस विधायक कुणाल चौधरी ने आरोप लगाया कि राज्य सरकार ने आदेश जारी किया था कि सोसायटियों का ब्याज भरने की आखिरी तारीख एक माह यानी इस महीने के आखिर तक तय की गई है. लेकिन कलेक्टरों द्वारा सभी सोसायटियों को आदेश जारी किया गया है कि विक्रय करने वाले किसान के उपार्जन पोर्टल पर दर्ज ऋण की कटोती की जाए. कांग्रेस विधायक ने आरोप लगाया कि सरकार किसानों को छलने का काम कर रही है.