एमपी के रण के लिए प्रदेश की कांग्रेस और बीजेपी दोनों पार्टियां दमखम लगा रही हैं. लेकिन कुछ उम्मीदवार हैं, जो इन दोनों पार्टियों के लिए सिरदर्द बने हुए है. ये सभी निर्दलीय उम्मीदवार हैं. इनमें से कुछ ऐसे उम्मीदवार भी हैं, जिन्हें पार्टी ने चुनावी मैदान में नहीं उतारा है, तो वे बगावत के रास्ते निर्दलीय मैदान में अपना जोर दिखा रहे हैं. प्रदेश में आगामी विधानसभा चुनाव के लिए 17 नवंबर को वोटिंग होना है. 230 सीटों पर मतदान किया जाएगा. 3 दिसंबर को चुनाव का रिजल्ट भी जारी किया जाएगा.
निर्दलियों में नए-पुराने और पूर्व विधायक-सांसद मैदान में: इस बार पार्टी के चुनाव में नए पुराने चेहरे तो हैं ही, इनमें कांग्रेस और बीजेपी के वो नेता भी हैं, जिनमें कई के टिकट कट गए हैं, या जिन्हें परफोर्मेंस की वजह से पार्टी ने चुनाव में नहीं उतारा है. इनमें कुछ ऐसे भी हैं, जिनके ऊपर पूर्व विधायक और सांसद का टैग लगा हुआ है. इसी के चलते 2023 के चुनाव में निर्दलीय नेताओं की संख्या बढ़ गई है. निर्दलियों के मैदान में आ जाने की वजह से पार्टियों के लिए सिरदर्द बन गए हैं.
कैसे बिगाड़ सकते हैं निर्दलीय गणित: प्रदेश में लगभग 12 सीटें ऐसी है, जिनपर निर्दलीय उम्मीदवार गणित बिगाड़ सकते हैं. ये दोनों नेता कांग्रेस और बीजेपी का गणित बिगाड़ सकते हैं. इनमें महू से कांग्रेस नेता अंतर सिंह दरबार निर्दलीय मैदान में हैं, तो अलोट से प्रेमचंद गुड्डू चुनावी मैदान में हैं. इनके अलावा गोटेगांव से शेखर चौधरी, सिवनी से ओम रघुवंशी, होशंगाबाद से भगवती चौरे निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं.
इनरे अलावा प्रदेश की राजनीति के जाने माने नाम कुलदीप सिंह बुंदेला, बड़नगर से राजेंद्र सिंह सोलंकी, भोपाल नॉर्थ से नासिर इस्लाम-आमिर अकील और मल्हारगढ़ से श्यामलाल जोकचंद चुनावी मैदान में बतौर निर्दलीय उम्मीदवार उतरे हैं.
सरकार बनाने में सबसे आगे निर्दलीय: पिछले चुनाव की बात की जाए तो 2018 में भी कई निर्दलीय मैदान में उतरे थे. इनमें कई जीते भी. इस बार भी बड़ी संख्या में निर्दलीय चुनावी मैदान में उतरे हैं. जब बहुमत वाली सरकार बनाने की बारी आती है, तो ये निर्दलीय ही सबसे आगे होते हैं. निर्दलीय जीत के बाद किसी न किसी पार्टी का दामन थाम लेते हैं. पिछली बार भी प्रदेश में चार निर्दलीय चुनाव जीते थे. इनमें दो ने कांग्रेस तो दो अन्य निर्दलीय उम्मीदवारों ने चुनाव के बाद बीजेपी का दामन थाम लिया था.