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MP में नतीजे से पहले शिवराज Vs कमलनाथ, अफसरों के बहाने किसने दिखाई दम...आ रहे हैं हम

Shivraj Vs Kamalnath: मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के मतदान का परिणाम 3 दिसंबर को आने वाला है. इससे पहले शिवराज सिंह चौहान और कमलनाथ दोनों अपनी ताकत दिखा रहे हैं. एक तरफ सीएम शिवराज मंत्रालय में बैठक बुलाकर संदेश दे रहे हैं तो दूसरी तरफ कमलनाथ ने फरमान जारी किया है.

Shivraj vs Kamalnath
शिवराज कमलनाथ
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Nov 22, 2023, 7:16 PM IST

भोपाल। वोटिंग के पहले सियासी गलियारों में ही जीत हार के दावे नहीं है. दिग्गज भी अपने अंदाज से दम दिखा रहे हैं और बता रहे हैं कि सरकार तो हमारी ही आ रही है. पिछले 72 घंटे के एमपी में हुए राजनीतिक घटनाक्रम पर गौर किया जाए...तो एक तरफ आचार संहिता लगी होने के बावजूद सीएम शिवराज ने मंत्रालय में सहकारिता विभाग की समीक्षा बैठक लेकर ये संदेश देने का प्रयास किया है कि रहेंगे तो हम ही. दूसरी तरफ इनके पहले पीसीसी चीफ कमलनाथ अपने उम्मीदवारों से ऐसे अधिकारियों की सूची मांग चुके हैं, जिन्होंने वोटिंग में बीजेपी को लाभ पहुंचाया है.

30 नवंबर तक बुलवाई गई इस सूची के साथ कमलनाथ का बयान काबिल ए गौर है, जिसमे वे कहते हैं कि 'तीन दिसम्बर के बाद इन सबकों देख लिया जाएगा.' दोनों तरफ से अफसरों के जरिए ये बताने की कोशिश जारी है...कि इस बार एमपी में सरकार हमारी है. क्या जीत हार से पहले ये अधिकारियों पर प्रेशर बिल्डिंग का भी दांव है.

MP Election 2023
सीएम शिवराज

सहकारिता की बैठक से क्या सियासी संदेश: राजनीति में सब कुछ कह कर ही नहीं बताया जाता. कुछ संदेश एक्शन से भी दिए जाते हैं. सीएम शिवराज तो इसमें माहिर हैं. तो जब सट्टा बाजार से लेकर सियासी गलियारों तक एक सवाल गूंज रहा है कि किसकी होगी एमपी में सरकार. अटकलो में रोज पार्टियां जीत और हार रही है. तब अचानक मंत्रालय पहुंचे सीएम शिवराज भले ये कहे कि आचार संहिता में भी जनता का काम ना रुके, इसके लिए ये बैठक बुलाई गई. लेकिन अपने हर एक्शन से कोई संदेश देने वाले शिवराज ने इशारो में ये बता दिया कि वो कहीं नहीं जा रहे.

बीजेपी एमपी में अपनी सत्ता का सफर जारी रखेगी. राजनीतिक विश्लेषक दिनेश गुप्ता कहते हैं 'अचानक मंत्रालय पहुंच कर बैठक लेना सीएम शिवराज का इसके संदेश को समझना चाहिए. ऐसा आसमानी तूफानी कुछ नहीं था और ब्यूरोक्रेसी में एमपी के अधिकारी बहुत जिम्मेदार हैं. कुछ होगा तो वे तुरंत सीएम को सूचित भी करेंगे. लेकिन इस ढंग से संदेश भी दिया जाता है. सीएम शिवराज ने ये मैसेज इस बैठक के साथ दे दिया कि वे फिर आ रहे हैं.

कमलनाथ की उम्मीदवारों को भेजी चिट्ठी का मजमून: उधर पीसीसी चीफ कमलनाथ ने जो चिट्ठी 230 सीटों पर अपने उम्मीदवारों को भेजी है. उसका मजमून भी कुछ कम सियासी नहीं. यूं तो कमलनाथ 2018 के विधानसभा चुनाव से अपने आत्मविश्वास को बताने अधिकारियों को निशाने पर लिया है. उन्होंने कहा है कि कमल का बिल्ला लगा कर घूम रहे अफसर सतर्क हो जाएं. चुनाव के दौरान तो कमलनाथ ने ये बयान इस बार भी दिया, लेकिन अब चुनाव खत्म होने के बाद बकायदा पीसीसी से एक पत्र 230 विधआनसभा सीटों के कांग्रेस उम्मीदवारों के लिए जारी हुआ है.

MP Election 2023
कमलनाथ पूर्व सीएम

यहां पढ़ें...

इस पत्र में ये कहा गया है कि उम्मीदवार अपने अपने क्षेत्र के ऐसे अफसरों के नाम भेजें. जिन्होंने बीजेपी के पक्ष में काम किया. कमलनाथ के बयान पर गौर किया जाना चाहिए कि इन्हें तीन दिसम्बर के बाद देख लिया जाएगा. कमलनाथ का अंदाज भी वही है कि इस बार हम ही सत्ता में आ रहे हैं. राजनीतिक विश्लेषक प्रकाश भटनागर कहते हैं 'ये कमलनाथ का पुराना स्टाइल है. 2018 के विधानसभा चुनाव में भी उन्होंने किया था. असल में राजनीति में ये प्रेशर बिल्डिंग का तरीका भी होता है.

भोपाल। वोटिंग के पहले सियासी गलियारों में ही जीत हार के दावे नहीं है. दिग्गज भी अपने अंदाज से दम दिखा रहे हैं और बता रहे हैं कि सरकार तो हमारी ही आ रही है. पिछले 72 घंटे के एमपी में हुए राजनीतिक घटनाक्रम पर गौर किया जाए...तो एक तरफ आचार संहिता लगी होने के बावजूद सीएम शिवराज ने मंत्रालय में सहकारिता विभाग की समीक्षा बैठक लेकर ये संदेश देने का प्रयास किया है कि रहेंगे तो हम ही. दूसरी तरफ इनके पहले पीसीसी चीफ कमलनाथ अपने उम्मीदवारों से ऐसे अधिकारियों की सूची मांग चुके हैं, जिन्होंने वोटिंग में बीजेपी को लाभ पहुंचाया है.

30 नवंबर तक बुलवाई गई इस सूची के साथ कमलनाथ का बयान काबिल ए गौर है, जिसमे वे कहते हैं कि 'तीन दिसम्बर के बाद इन सबकों देख लिया जाएगा.' दोनों तरफ से अफसरों के जरिए ये बताने की कोशिश जारी है...कि इस बार एमपी में सरकार हमारी है. क्या जीत हार से पहले ये अधिकारियों पर प्रेशर बिल्डिंग का भी दांव है.

MP Election 2023
सीएम शिवराज

सहकारिता की बैठक से क्या सियासी संदेश: राजनीति में सब कुछ कह कर ही नहीं बताया जाता. कुछ संदेश एक्शन से भी दिए जाते हैं. सीएम शिवराज तो इसमें माहिर हैं. तो जब सट्टा बाजार से लेकर सियासी गलियारों तक एक सवाल गूंज रहा है कि किसकी होगी एमपी में सरकार. अटकलो में रोज पार्टियां जीत और हार रही है. तब अचानक मंत्रालय पहुंचे सीएम शिवराज भले ये कहे कि आचार संहिता में भी जनता का काम ना रुके, इसके लिए ये बैठक बुलाई गई. लेकिन अपने हर एक्शन से कोई संदेश देने वाले शिवराज ने इशारो में ये बता दिया कि वो कहीं नहीं जा रहे.

बीजेपी एमपी में अपनी सत्ता का सफर जारी रखेगी. राजनीतिक विश्लेषक दिनेश गुप्ता कहते हैं 'अचानक मंत्रालय पहुंच कर बैठक लेना सीएम शिवराज का इसके संदेश को समझना चाहिए. ऐसा आसमानी तूफानी कुछ नहीं था और ब्यूरोक्रेसी में एमपी के अधिकारी बहुत जिम्मेदार हैं. कुछ होगा तो वे तुरंत सीएम को सूचित भी करेंगे. लेकिन इस ढंग से संदेश भी दिया जाता है. सीएम शिवराज ने ये मैसेज इस बैठक के साथ दे दिया कि वे फिर आ रहे हैं.

कमलनाथ की उम्मीदवारों को भेजी चिट्ठी का मजमून: उधर पीसीसी चीफ कमलनाथ ने जो चिट्ठी 230 सीटों पर अपने उम्मीदवारों को भेजी है. उसका मजमून भी कुछ कम सियासी नहीं. यूं तो कमलनाथ 2018 के विधानसभा चुनाव से अपने आत्मविश्वास को बताने अधिकारियों को निशाने पर लिया है. उन्होंने कहा है कि कमल का बिल्ला लगा कर घूम रहे अफसर सतर्क हो जाएं. चुनाव के दौरान तो कमलनाथ ने ये बयान इस बार भी दिया, लेकिन अब चुनाव खत्म होने के बाद बकायदा पीसीसी से एक पत्र 230 विधआनसभा सीटों के कांग्रेस उम्मीदवारों के लिए जारी हुआ है.

MP Election 2023
कमलनाथ पूर्व सीएम

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इस पत्र में ये कहा गया है कि उम्मीदवार अपने अपने क्षेत्र के ऐसे अफसरों के नाम भेजें. जिन्होंने बीजेपी के पक्ष में काम किया. कमलनाथ के बयान पर गौर किया जाना चाहिए कि इन्हें तीन दिसम्बर के बाद देख लिया जाएगा. कमलनाथ का अंदाज भी वही है कि इस बार हम ही सत्ता में आ रहे हैं. राजनीतिक विश्लेषक प्रकाश भटनागर कहते हैं 'ये कमलनाथ का पुराना स्टाइल है. 2018 के विधानसभा चुनाव में भी उन्होंने किया था. असल में राजनीति में ये प्रेशर बिल्डिंग का तरीका भी होता है.

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