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OBC वर्ग को लुभाने कांग्रेस का बड़ा दांव, ओबीसी वर्ग के 42 फीसदी प्रत्याशी, क्या मास्टर स्ट्रोक साबित होगा यह कदम... - एमपी में 62 सीट पर ओबीसी उम्मीदवार को टिकट

MP Congress Politics on OBC: मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में बीजेपी-कांग्रेस एड़ी चोटी का जोर लगा रहे हैं. हर बार ओबीसी वर्ग की बात करने वाली कांग्रेस पार्टी ने एमपी में ओबीसी वर्ग को लेकर बड़ा दांव खेला है. कांग्रेस ने 230 विधानसभा सीटों में से 62 सीटों पर ओबीसी समुदाय के उम्मीदवारों को चुनाव मैदान में उतारा है.

MP Congress Politics on OBC
कांग्रेस का मास्टर स्ट्रोक
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Oct 29, 2023, 11:05 PM IST

भोपाल। मध्य प्रदेश में जातिगत जनगणना के वादे के साथ चुनाव मैदान में उतरी कांग्रेस ने टिकट वितरण के जरिए बड़ा सियासी दांव खेला है. प्रदेश में ओबीसी वर्ग को साधने के लिए कांग्रेस ने 230 विधानसभा सीटों में से 62 सीटों पर ओबीसी समुदाय के उम्मीदवारों को चुनाव मैदान में उतारा है. इस तरह कांग्रेस ने सूबे में करीब 42 फीसदी ओबीसी वर्ग के उम्मीदवारों को टिकट दिया है. कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व मध्य प्रदेश में सत्ता में आने जातिगत जनगणना का लगातार वादा कर रही है. टिकट वितरण में 42 फीसदी ओबीसी वर्ग के उम्मीदवारों को टिकट देकर कांग्रेस ने अपने इस वादे को और पक्का करने का काम किया है. राजनीतिक विश्लेषकों की मन तो कांग्रेस ने प्रदेश की बड़े वर्ग को लुभाने के लिए दांव चला है, लेकिन यह कितना कारगर साबित होगा यह रिजल्ट में दिखाई देगा.

कांग्रेस के टिकट वितरण में जातिगत समीकरण का गणित: मध्य प्रदेश की 230 विधानसभा सीटों पर उम्मीदवार उतारने के पहले कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ ने जमकर एक्सरसाइज की है. कांग्रेस द्वारा टिकट की पहली तीन अलग-अलग विधानसभा सीट पर कराए गए आखरी सर्वे सितंबर माह में कराया गया था. कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ खुद बयान दे चुके हैं की टिकट वितरण में स्थानीय जातिगत समीकरणों का खास ख्याल रखा गया है. कमलनाथ के बयान की हकीकत कांग्रेस की प्रत्याशियों की सूची में भी दिखाई देता है. कांग्रेस ने ओबीसी वर्ग को लेकर बड़ा दांव खेला है, कांग्रेस ने 42% ओबीसी उम्मीदवारों को चुनाव मैदान में उतारा है. इसके अलावा गैर आरक्षित 148 विधानसभा सीटों में से कांग्रेस ने 80 सीटों पर ब्राह्मण, ठाकुर और अन्य समान वर्ग के उम्मीदवारों को अपना प्रत्याशी बनाया है. जबकि कांग्रेस ने दो मुस्लिम चेहरों को भी टिकट दिया है. जबकि 2018 की विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के टिकट वितरण को देखा जाए तो कांग्रेस ने 74 टिकट सामान्य जाति वर्ग के उम्मीदवारों को दिए थे, जबकि ओबीसी वर्ग को 60 टिकट दिए गए थे.

कांग्रेस का जातिगत जनगणना का वादा: कांग्रेस को शीर्ष नेतृत्व खासतौर से राहुल गांधी लगातार जातिगत जनगणना कराए जाने का बयान दे रहे हैं. मध्य प्रदेश में भी अपने चुनावी दौरों के दौरान राहुल गांधी मध्य प्रदेश में कांग्रेस की सरकार आने पर जातिगत जनगणना करने की बात कह चुके हैं. पिछले दिनों उन्होंने यहां तक बयान दिया था कि देश के सरकारी तंत्र में सर्वोच्च पदों पर ओबीसी सदस्यों की संख्या ना के बराबर है. मध्य प्रदेश कांग्रेस द्वारा जारी किए गए अपने चुनावी वचन पत्र में भी पिछड़ा वर्ग को साधने के लिए कई वादे किए गए हैं. इनमें से एक महत्वपूर्ण वादा सामाजिक और आर्थिक स्थितियां पर सर्वेक्षण करने का है.

यहां पढ़ें...

ओबीसी को लेकर इसलिए पार्टियों का फोकस: कांग्रेस ही नहीं बल्कि बीजेपी ने भी टिकट वितरण में ओबीसी वर्ग का खास ख्याल रखा है. बीजेपी ने ओबीसी वर्ग की 6 महिलाओं को अपना प्रत्याशी बनाया है. दरअसल मध्य प्रदेश में करीब 48 फीसदी मतदाता पिछड़ा वर्ग से है. खासतौर से मध्य प्रदेश के महाकौशल बुंदेलखंड और विंध्य क्षेत्र की कई विधानसभा सीटों पर ओबीसी मतदाता निर्णायक भूमिका निभाते हैं. प्रदेश की करीबन 70 से ज्यादा विधानसभा सीटों पर ओबीसी मतदाता निर्णायक भूमिका निभाते हैं. यही वजह है कि बीजेपी ने भी इस बार ओबीसी वर्ग के 66 प्रत्याशियों को मैदान में उतारा है.

भोपाल। मध्य प्रदेश में जातिगत जनगणना के वादे के साथ चुनाव मैदान में उतरी कांग्रेस ने टिकट वितरण के जरिए बड़ा सियासी दांव खेला है. प्रदेश में ओबीसी वर्ग को साधने के लिए कांग्रेस ने 230 विधानसभा सीटों में से 62 सीटों पर ओबीसी समुदाय के उम्मीदवारों को चुनाव मैदान में उतारा है. इस तरह कांग्रेस ने सूबे में करीब 42 फीसदी ओबीसी वर्ग के उम्मीदवारों को टिकट दिया है. कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व मध्य प्रदेश में सत्ता में आने जातिगत जनगणना का लगातार वादा कर रही है. टिकट वितरण में 42 फीसदी ओबीसी वर्ग के उम्मीदवारों को टिकट देकर कांग्रेस ने अपने इस वादे को और पक्का करने का काम किया है. राजनीतिक विश्लेषकों की मन तो कांग्रेस ने प्रदेश की बड़े वर्ग को लुभाने के लिए दांव चला है, लेकिन यह कितना कारगर साबित होगा यह रिजल्ट में दिखाई देगा.

कांग्रेस के टिकट वितरण में जातिगत समीकरण का गणित: मध्य प्रदेश की 230 विधानसभा सीटों पर उम्मीदवार उतारने के पहले कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ ने जमकर एक्सरसाइज की है. कांग्रेस द्वारा टिकट की पहली तीन अलग-अलग विधानसभा सीट पर कराए गए आखरी सर्वे सितंबर माह में कराया गया था. कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ खुद बयान दे चुके हैं की टिकट वितरण में स्थानीय जातिगत समीकरणों का खास ख्याल रखा गया है. कमलनाथ के बयान की हकीकत कांग्रेस की प्रत्याशियों की सूची में भी दिखाई देता है. कांग्रेस ने ओबीसी वर्ग को लेकर बड़ा दांव खेला है, कांग्रेस ने 42% ओबीसी उम्मीदवारों को चुनाव मैदान में उतारा है. इसके अलावा गैर आरक्षित 148 विधानसभा सीटों में से कांग्रेस ने 80 सीटों पर ब्राह्मण, ठाकुर और अन्य समान वर्ग के उम्मीदवारों को अपना प्रत्याशी बनाया है. जबकि कांग्रेस ने दो मुस्लिम चेहरों को भी टिकट दिया है. जबकि 2018 की विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के टिकट वितरण को देखा जाए तो कांग्रेस ने 74 टिकट सामान्य जाति वर्ग के उम्मीदवारों को दिए थे, जबकि ओबीसी वर्ग को 60 टिकट दिए गए थे.

कांग्रेस का जातिगत जनगणना का वादा: कांग्रेस को शीर्ष नेतृत्व खासतौर से राहुल गांधी लगातार जातिगत जनगणना कराए जाने का बयान दे रहे हैं. मध्य प्रदेश में भी अपने चुनावी दौरों के दौरान राहुल गांधी मध्य प्रदेश में कांग्रेस की सरकार आने पर जातिगत जनगणना करने की बात कह चुके हैं. पिछले दिनों उन्होंने यहां तक बयान दिया था कि देश के सरकारी तंत्र में सर्वोच्च पदों पर ओबीसी सदस्यों की संख्या ना के बराबर है. मध्य प्रदेश कांग्रेस द्वारा जारी किए गए अपने चुनावी वचन पत्र में भी पिछड़ा वर्ग को साधने के लिए कई वादे किए गए हैं. इनमें से एक महत्वपूर्ण वादा सामाजिक और आर्थिक स्थितियां पर सर्वेक्षण करने का है.

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ओबीसी को लेकर इसलिए पार्टियों का फोकस: कांग्रेस ही नहीं बल्कि बीजेपी ने भी टिकट वितरण में ओबीसी वर्ग का खास ख्याल रखा है. बीजेपी ने ओबीसी वर्ग की 6 महिलाओं को अपना प्रत्याशी बनाया है. दरअसल मध्य प्रदेश में करीब 48 फीसदी मतदाता पिछड़ा वर्ग से है. खासतौर से मध्य प्रदेश के महाकौशल बुंदेलखंड और विंध्य क्षेत्र की कई विधानसभा सीटों पर ओबीसी मतदाता निर्णायक भूमिका निभाते हैं. प्रदेश की करीबन 70 से ज्यादा विधानसभा सीटों पर ओबीसी मतदाता निर्णायक भूमिका निभाते हैं. यही वजह है कि बीजेपी ने भी इस बार ओबीसी वर्ग के 66 प्रत्याशियों को मैदान में उतारा है.

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