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MP Election 2023: भाजपा की मुश्किलें बढ़ाएगी RSS के पूर्व प्रचारकों की नई पार्टी! जनहित पार्टी से होगा जनता का भला - RSS के पूर्व प्रचारकों की नई पार्टी

एमपी में जैसे जैसे चुनाव करीब आ रहे हैं, वैसे वैसे नए नए राजनीतिक दल और नए समीकरण दिखाई दे रहे हैं. लेकिन सबसे चौंकाने वाला मामला तब आया, जब राजनीति से दूर रहकर दिशा दिखाने वाले राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ के प्रचारकों ने मिलकर ही पार्टी बना ली. भोपाल में इसकी रविवार को पहली बैठक हुई, जिसमें एजेंडे घोषित किए गए और दल बनाने का प्रस्ताव रखा गया. ईटीवी भारत ने संघ के प्रचारकों की इस नई पार्टी के प्रमुख से बात की और समझा कि इनके क्या है मुख्य मुद्दे.

New Party Janhit Party
एमपी में जनहित पार्टी का गठन
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Sep 10, 2023, 8:38 PM IST

Updated : Sep 10, 2023, 8:57 PM IST

RSS के पूर्व प्रचारकों की नई पार्टी जनहित पार्टी

भोपाल। "हम तो पूरे राजनीतिक प्रणाली का ट्रेंड बदलना चाहते हैं, सरकार के रवैयों में लोकतांत्रिकता है ही नहीं, जनता का तत्काल फायदा लेते हैं. आज मैं नाराज हूं तो आपको चुन लूंगा और कल से उनसे नाराज हुआ तो फिर वापस उसी दल में, राजनीतिक दल की भी शैली है. जनता भी ऊब चुकी है, वादे पर वादे करते जाना और उन्हें पूरा नहीं करना. यह कहना है कि एमपी में नई उभरत अनरजिस्टर्ड पार्टी के प्रमुख अभय जैन का, जो कि संघ के पूर्व प्रचारक रहे हैं. अभय जैन ने कहा कि हमने अपनी नई पार्टी का नाम जनहित पार्टी रखा है, इसका मुख्य मुद्दा शासकीय दफ्तरों के कार्य की प्रणाली, जनता के प्रति जो रवैया है वो पारदर्शी करना है.

मुद्दों को बेहतर ढंग से हल करने के लिए पार्टी का गठन अभय जैन ने बताया कि "हम 15 साल से जन आंदोलन कर रहे हैं, सड़क पर आंदोलन करते हैं. जेल भी जाते हैं और मीडिया में भी जाते हैं, हमको लगा कि ज्यादा बेहतर तरीके से राजनीति की जो प्रणाली है, उसमें शायद जनता के मुद्दे बेहतर ढंग से हल कर पाएंगे. इसलिए 4 जून को हमने चर्चा करके निर्णय लिया." जब उनसे पूछा कि संघ में कितने समय काम किया तो बोले कि प्रचारक के रूप में 1986 से 2007 तक काम किया है, इसके बाद हमने एक साल तक भारत की यात्रा की है. अलग-अलग राज्यों में जो हमारे संघ के साथी मित्र थे, पुराने सब उनसे बात की. हमने उनसे कहा कि आपके राज्य में, गांव में, घरों में हमें आपकी जिंदगी समझने अनुभव करने का मौका दो. केरल से अरुणाचल प्रदेश तक 9 से 10 महीने तक घूमे, अचानक आंदोलन की नौबत आ गई. एक दंगे में हिंदुओं के ऊपर झूठे मामले दर्ज हो गए थे तो हमने उन्हें बचाने के लिए आंदोलन शुरू किया, मुझे बुलाया और आंदोलन चलाया. उस आंदोलन की परिणीति ठीक नहीं रही."

भाजपा को संघ के संस्कार और विचार करते हैं कंट्रोल: जब पूछा कि भाजपा को संघ नियंत्रित करती है तो फिर आपने संघ के जरिए क्याें अपनी बात नहीं रखी. इस पर बोले कि भाजपा को संघ के संस्कार और विचार हैं वो कंट्रोल करते हैं, संघ ने औपचारिक तौर पर न भाजपा को कंट्रोल करने का दावा किया है. जब कहा कि संघ के रूप में एक फोरम था और संघ के लोग ही भाजपा में संगठन मंत्री बनते हैं तो फिर बात क्यों नही रखी? इस बर बोले कि संघ के लोग अपनी भूमिका का निर्वहन करते हैं, उसका कोई संविधान नहीं है. उनसे कहा कि इस समय देश भर में हिंदुत्व की लहर है जो फिर क्या नाराजगी है? इस पर बोले कि गवर्नेंस की समस्या तो बनी ही हुई है, हिंदुत्व की विचारधारा पर राजनीति होने लगी है, लेकिन गवर्नेंस नहीं. जो सिस्टम भारतीय संस्कृति के अनुसार चलना चाहिए, वो नहीं चल रही है.

जनहित पार्टी की आईटी सेल है जनता: उद्योग, व्यापार और शासन प्रशासन के दफ्तर में जो अपेक्षित है, उसमें वही सब चल रहा है. उन्होंने बताया कि ज्यादातर एमपी और झारखंड में है, यही काम चलेगा. 200 लोग हैं और लगभग पूर्व स्वयंसेवक संघ है, हमारी शैली सहज और साधारण रहेगी. हम बैनर लगाकर बैठ जाते हैं, जन जागरण होता रहता है. राजनीति में भी यही है, बस स्टेंड पर बैठ जाएंगे, गली में बैठ जाएंगे. भाजपा की आईटी सेल को लेकर बोले कि हमारी आईटी सेल जनता है, वही मुकाबला करेगी. उन्होंने बताया कि एक दाे दिन में पंजीयन के लिए आवेदन कर देंगे, आज प्रस्ताव हुआ है. कार्रवाई रजिस्टर हो रही है.

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संघ की तर्ज पर हुई बैठक, भोजन और विश्राम: जब पूछा कि जैसे जयस कांग्रेस की बी पार्टी है, कहीं आप तो भाजपा की बी पार्टी नही बन जाएंगे. इस पर बोले कि यह तो समय बताएगा कि कौन किसकी बी पार्टी है. संघ के पूर्व प्रचारकों की नई पार्टी की पहली बैठक संघ और भाजपा की तर्ज पर ही की गई, यानी भोजन, बैठक और विश्राम. भोपाल के सलैया इलाके में स्थित एक निजी कॉलेज के परिसर में यह बैठक आयोजित की गई, बैठक में करीब 200 लोग आए थे और इनमें ज्यादा संघ के स्वयंसेवक थे. इनमें एमपी के भोपाल, इंदौर, शाजापुर, उज्जैन, आगर आदि से लोग आए थे तो वहीं झारखंड से भी काफी संख्या में लोग थे. आगर के पूर्व विधायक भी इस बैठक में मौजूद थे, हालांकि वे मीडिया से दूरी बनाए रखे.

बैठक की शुरूआत सुबह से हुई और संघ व भाजपा की तर्ज पर सत्र तय किए गए, दोपहर के समय में नीचे बैठकर भोजन कराया. एकदम सादा भोजन था, उसमें बिना तेज मसालों वाली दाल, सब्जी और बिना घी की मोटी मोटी रोटी थी. पराेसने का सिस्टम वैसा ही था और जो भोजन कर रहे थे, वे अपनी थाली उठाकर स्वयं रख रहे थे. सत्र यानी बैठक के लिए एक हाॅल में व्यवस्था की गई थी। एक छोटा मंच था, जिसकी बगल में भारत माता की तस्वीर थी और मंच पर थे अभय जैन. वे अपने कार्यकर्ताओं को मेंबर बनाने के बारे में बता रहे थे, संघ की तर्ज पर जूते रखे हुए थे. सबकुछ वैसा ही, बस अलग था तो यह कि खुलकर राजनीतिक दल बनाने की बात की जा रही थी. इस बैठक में कुछ ऐसे भी चेहरे थे, जो वर्तमान में संघ के विभिन्न दायित्वों पर अभी काम कर रहे हैं.

RSS के पूर्व प्रचारकों की नई पार्टी जनहित पार्टी

भोपाल। "हम तो पूरे राजनीतिक प्रणाली का ट्रेंड बदलना चाहते हैं, सरकार के रवैयों में लोकतांत्रिकता है ही नहीं, जनता का तत्काल फायदा लेते हैं. आज मैं नाराज हूं तो आपको चुन लूंगा और कल से उनसे नाराज हुआ तो फिर वापस उसी दल में, राजनीतिक दल की भी शैली है. जनता भी ऊब चुकी है, वादे पर वादे करते जाना और उन्हें पूरा नहीं करना. यह कहना है कि एमपी में नई उभरत अनरजिस्टर्ड पार्टी के प्रमुख अभय जैन का, जो कि संघ के पूर्व प्रचारक रहे हैं. अभय जैन ने कहा कि हमने अपनी नई पार्टी का नाम जनहित पार्टी रखा है, इसका मुख्य मुद्दा शासकीय दफ्तरों के कार्य की प्रणाली, जनता के प्रति जो रवैया है वो पारदर्शी करना है.

मुद्दों को बेहतर ढंग से हल करने के लिए पार्टी का गठन अभय जैन ने बताया कि "हम 15 साल से जन आंदोलन कर रहे हैं, सड़क पर आंदोलन करते हैं. जेल भी जाते हैं और मीडिया में भी जाते हैं, हमको लगा कि ज्यादा बेहतर तरीके से राजनीति की जो प्रणाली है, उसमें शायद जनता के मुद्दे बेहतर ढंग से हल कर पाएंगे. इसलिए 4 जून को हमने चर्चा करके निर्णय लिया." जब उनसे पूछा कि संघ में कितने समय काम किया तो बोले कि प्रचारक के रूप में 1986 से 2007 तक काम किया है, इसके बाद हमने एक साल तक भारत की यात्रा की है. अलग-अलग राज्यों में जो हमारे संघ के साथी मित्र थे, पुराने सब उनसे बात की. हमने उनसे कहा कि आपके राज्य में, गांव में, घरों में हमें आपकी जिंदगी समझने अनुभव करने का मौका दो. केरल से अरुणाचल प्रदेश तक 9 से 10 महीने तक घूमे, अचानक आंदोलन की नौबत आ गई. एक दंगे में हिंदुओं के ऊपर झूठे मामले दर्ज हो गए थे तो हमने उन्हें बचाने के लिए आंदोलन शुरू किया, मुझे बुलाया और आंदोलन चलाया. उस आंदोलन की परिणीति ठीक नहीं रही."

भाजपा को संघ के संस्कार और विचार करते हैं कंट्रोल: जब पूछा कि भाजपा को संघ नियंत्रित करती है तो फिर आपने संघ के जरिए क्याें अपनी बात नहीं रखी. इस पर बोले कि भाजपा को संघ के संस्कार और विचार हैं वो कंट्रोल करते हैं, संघ ने औपचारिक तौर पर न भाजपा को कंट्रोल करने का दावा किया है. जब कहा कि संघ के रूप में एक फोरम था और संघ के लोग ही भाजपा में संगठन मंत्री बनते हैं तो फिर बात क्यों नही रखी? इस बर बोले कि संघ के लोग अपनी भूमिका का निर्वहन करते हैं, उसका कोई संविधान नहीं है. उनसे कहा कि इस समय देश भर में हिंदुत्व की लहर है जो फिर क्या नाराजगी है? इस पर बोले कि गवर्नेंस की समस्या तो बनी ही हुई है, हिंदुत्व की विचारधारा पर राजनीति होने लगी है, लेकिन गवर्नेंस नहीं. जो सिस्टम भारतीय संस्कृति के अनुसार चलना चाहिए, वो नहीं चल रही है.

जनहित पार्टी की आईटी सेल है जनता: उद्योग, व्यापार और शासन प्रशासन के दफ्तर में जो अपेक्षित है, उसमें वही सब चल रहा है. उन्होंने बताया कि ज्यादातर एमपी और झारखंड में है, यही काम चलेगा. 200 लोग हैं और लगभग पूर्व स्वयंसेवक संघ है, हमारी शैली सहज और साधारण रहेगी. हम बैनर लगाकर बैठ जाते हैं, जन जागरण होता रहता है. राजनीति में भी यही है, बस स्टेंड पर बैठ जाएंगे, गली में बैठ जाएंगे. भाजपा की आईटी सेल को लेकर बोले कि हमारी आईटी सेल जनता है, वही मुकाबला करेगी. उन्होंने बताया कि एक दाे दिन में पंजीयन के लिए आवेदन कर देंगे, आज प्रस्ताव हुआ है. कार्रवाई रजिस्टर हो रही है.

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संघ की तर्ज पर हुई बैठक, भोजन और विश्राम: जब पूछा कि जैसे जयस कांग्रेस की बी पार्टी है, कहीं आप तो भाजपा की बी पार्टी नही बन जाएंगे. इस पर बोले कि यह तो समय बताएगा कि कौन किसकी बी पार्टी है. संघ के पूर्व प्रचारकों की नई पार्टी की पहली बैठक संघ और भाजपा की तर्ज पर ही की गई, यानी भोजन, बैठक और विश्राम. भोपाल के सलैया इलाके में स्थित एक निजी कॉलेज के परिसर में यह बैठक आयोजित की गई, बैठक में करीब 200 लोग आए थे और इनमें ज्यादा संघ के स्वयंसेवक थे. इनमें एमपी के भोपाल, इंदौर, शाजापुर, उज्जैन, आगर आदि से लोग आए थे तो वहीं झारखंड से भी काफी संख्या में लोग थे. आगर के पूर्व विधायक भी इस बैठक में मौजूद थे, हालांकि वे मीडिया से दूरी बनाए रखे.

बैठक की शुरूआत सुबह से हुई और संघ व भाजपा की तर्ज पर सत्र तय किए गए, दोपहर के समय में नीचे बैठकर भोजन कराया. एकदम सादा भोजन था, उसमें बिना तेज मसालों वाली दाल, सब्जी और बिना घी की मोटी मोटी रोटी थी. पराेसने का सिस्टम वैसा ही था और जो भोजन कर रहे थे, वे अपनी थाली उठाकर स्वयं रख रहे थे. सत्र यानी बैठक के लिए एक हाॅल में व्यवस्था की गई थी। एक छोटा मंच था, जिसकी बगल में भारत माता की तस्वीर थी और मंच पर थे अभय जैन. वे अपने कार्यकर्ताओं को मेंबर बनाने के बारे में बता रहे थे, संघ की तर्ज पर जूते रखे हुए थे. सबकुछ वैसा ही, बस अलग था तो यह कि खुलकर राजनीतिक दल बनाने की बात की जा रही थी. इस बैठक में कुछ ऐसे भी चेहरे थे, जो वर्तमान में संघ के विभिन्न दायित्वों पर अभी काम कर रहे हैं.

Last Updated : Sep 10, 2023, 8:57 PM IST
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