भोपाल। मध्यप्रदेश कांग्रेस मीडिया विभाग के अध्यक्ष केके मिश्रा ने शिवराज सरकार पर मोदी सरकार की योजना को मप्र में रोक लगाने के आरोप लगाए हैं. मिश्रा का कहना है कि "आंकड़ों की बाजीगरी से लाड़ली बहनाओं को 450 रू. के गैस सिलेण्डर देने में छल किया जा रहा है, आधी अधूरी योजनाओं के बीच पात्र बहनों के नामों की सूची अगर सही है, तो उसे सार्वजनिक किया जाए."
कांग्रेस का शिवराज सरकार पर हमला: केके मिश्रा ने कहा कि "एमपी विधानसभा चुनाव 2023 के पहले प्रदेश की भाजपा सरकार लाड़ली बहनाओं को 450 रू में गैस सिलेण्डर दे रही है, जिसमें शिवराज सरकार छल कर रही है. शिवराज अन्य योजनाओं की तरह ही आंकड़ों की बाजीगरी करके सिर्फ झूठ और फरेब का प्रचार-प्रसार कर रही है. इस तरह की योजनाएं उन्होंने वर्ष 2020 में खरीदी हुई सरकार के मुखिया बनने के साथ ही प्रारंभ क्यों नहीं की थी, जिस वक्त मप्र में लाड़ली बहनों को 450 रू में गैस का सिलेण्डर दिए जाने की घोषणा शिवराज ने की? उसके बाद ही केंद्र में काबिज मोदी सरकार ने गैस सिलेण्डर पर 200 रूपये घटा दिये, इस लिहाज से डबल इंजन की सरकार का फायदा देते हुए शिवराज सरकार को लाड़ली बहनों को गैस का सिलेण्डर 250 रू. में देना चाहिए, किंतु ऐसा नहीं हुआ.. हुआ क्या? यह लाड़ली बहनों की आड़ में वोटों की राजनीति है. हमारी जानकारी मे एक भी लाड़ली बहना सामने नहीं आयी है, जिसे 450 या 250 रू. की रसीद के आधार पर गैस एजेंसी ने गैस सिलेण्डर दिया हो, क्योंकि 70 फीसदी गैस के कनेक्शन लाड़ली बहना के नाम पर है ही नहीं, यह झूठी और आधी अधूरी घोषणाएं हैं."
भाजपा कर रही चुनावी स्टंट: मिश्रा ने बताया कि "मुरैना में लाड़ली बहनों की संख्या 3.41 लाख है, जबकि 450 रू. का सिलेण्डर लेने के लिए आवेदन सिर्फ 957 ही आए. भिण्ड जिले में 2.69 लाख से अधिक लाड़ली बहना हैं, जबकि पंजीयन सिर्फ 300 बहनें के हुए. छतरपुर जिले में भी 3.36 लाड़ली बहनें हैं, जबकि 1.22 लाख के नाम गैस का कनेक्शन ही नहीं है. अतंराष्ट्रीय बाजार में एलपीजी की कीमत लगभग 500 रू. प्रति सिलेण्डर होने के बाद भी पिछले पांच वर्षों तक मोदी सरकार ने 1150 रू. में लाड़ली बहनों को सिलेण्डर देकर जो मुनाफा कमाया है, क्या वह राशि उन्हें वापस होगी? नये कनेक्शन लेने के लिए भी रिश्वत ली जा रही है, 5900 रू. का कनेक्शन 7000 रू. में द्वारा दिया जा रहा है. 1 सितम्बर 2023 के बाद जो बहनें नया कनेक्शन ले रही है, उन्हें इस योजना से वंचित क्यों किया गया? क्या यह चुनावी स्टंट नहीं है?"