भोपाल। मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में बीजेपी उम्मीदवारों की पहली सूची जारी होने के बाद अब दूसरी सूची का इंतजार है. बीजेपी ने पहली सूची में 39 हारी सीटों पर प्रत्याशी घोषित किए. अब बीजेपी की नजर कांग्रेस के मजबूत गढ़ों पर है. पार्टी लगातार लहार, राघौगढ़ जैसी अभेद्य सीटों को लेकर प्रत्याशी उतारने की तैयारी में है. यहां पर चौंकाने वाले चेहरे आ सकते हैं. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के इन्हीं दांव पर सियासी नजरें टिकी हैं. इसके साथ ही बीजेपी पहली सूची के बाद उठे विरोध के स्वर भी दबाने में जुट गई है.
बीजेपी में बगावत नजरअंदाज : सूची घोषित होने के बाद छतरपुर, लांजी (बालाघाट) सहित कुछ सीटों पर विरोध के सुर उठे हैं. लेकिन केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के दौरे और सीधे फैसलों के चलते ऐसे विरोध को नजरअंदाज किया रहा है. प्रदेश अध्यक्ष वीडी अपने खास समर्थक भोपाल जिलाध्यक्ष सुमित पचौरी को टिकट नहीं दिला सके हैं. सुमित भोपाल मध्य से टिकट मांग रहे थे. यहां से टिकट ध्रुव नारायण सिंह को मिला है. वीडी शर्मा सुमित के लिए दक्षिण-पश्चिम से भी टिकट चाह रहे हैं. इस सीट को लेकर भी खींचतान है. यहां उमाशंकर गुप्ता पिछले चुनाव में हार गए थे.
बीजेपी की दूसरी सूची कब : केंद्रीय चुनाव समिति की पिछली बैठक में चर्चा के बाद कुल 50 नाम घोषित करने पर बात हुई थी, लेकिन बाकी नामों पर सहमति नहीं बन पाई है. अब बची हुई आकांक्षी 64 सीटों पर प्रत्याशी घोषित हो सकते हैं. इस मामले में बीजेपी प्रवक्ता गुलरेज शेख का कहना है कि पार्टी की रणनीति साफ है. हमारा फोकस जीत पर है और चाहे वो गोविंद सिंह का लहार हो या दिग्गी का राघोगढ़. सभी को ढहाने की तैयारी पार्टी ने कर ली है.
कांग्रेस ने 66 सीटों पर किया फोकस : वहीं, कांग्रेस ने लगातार हार रही 66 सीटों पर फोकस किया है. कांग्रेस की कोशिश है कि बड़े नेताओं को उनके ही विधानसभा क्षेत्र में घेराबंदी की जाए. इनमें से कुछ सीटों पर चौंकाने वाले चेहरे भी सामने आ सकते हैं. कांग्रेस ने सीएम शिवराज की बुधनी विधानसभा सीट को भी टारगेट किया है. कांग्रेस यहां युवा चेहरे का टिकट देने की तैयारी कर रही है. इसके साथ ही इंदौर-2, भोपाल जिले की गोविंदपुरा, नरेला, हुजूर, सागर की रहली, खुरई, बीना, जबलपुर केंट, रीवा, सिरोज सहित अन्य सीटो को लेकर भी कांग्रेस गंभीर है. वहीं, कांग्रेस प्रवक्ता शोभा ओझा का कहना है कि बीजेपी अपने मजबूत किले तो बचा नहीं पा रही है. बीजेपी की हालत बहुत खराब है.
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सर्वे के साथ ही कार्यकर्ताओं से फीडबैक : बता दें कि लगातार हारी सीटों पर कांग्रेस लगातार सर्वे के साथ कार्यकर्ताओं के साथ संवाद कर रही है. दिग्विजय सिंह सभी सीटों पर बैठकें कर चुके हैं. कमलनाथ भी मॉनीटरिंग कर रहे हैं. सीहोर जिले की बुधनी सीट पर 15 चुनाव हुए. यहां 6 बार भाजपा जीती, 5 बार कांग्रेस. कांग्रेस को अखिरी बार 1998 में जीत मिली थी. लेकिन 2003 से भाजपा काबिज है. सागर जिले की रहली अहम सीट है. यहां 2018 में भाजपा के गोपाल भार्गव 8वीं बार जीते. गोविंदपुरा सीट पर करीब 40 साल से भाजपा का कब्जा है. जबलपुर कैंट भी 1993 से भाजपा के कब्जे में है.