भोपाल। डायनामिक एश्योर्ड करियर प्रोसेस (डीएसीपी) लागू करने सहित मेडिकल कॉलेजों में प्रशासक की नियुक्ति के विरोध को लेकर डॉक्टर लामबंद हो गए हैं. मेडिकल टीचर्स एसोसिएशन के समर्थन में मध्यप्रदेश के तमाम डॉक्टर और जूनियर डॉक्टर ने मेडिकल कॉलेजों में मंगलवार को 2 घंटे काम बंद रखा. इसके बाद सभी मेडिकल कॉलेज के बाहर लगे पंडालों में एकत्र हुए और सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की.
ये हैं डॉक्टर्स की मांगें : मेडिकल टीचर एसोसिएशन का कहना है कि सरकार ने पिछली बार मांगों के समाधान का निर्णय लिया था, जिसके बाद उन्होंने अपनी हड़ताल स्थगित कर दी थी. लेकिन 2 महीने बीतने के बाद भी सरकार का वही रवैया है. ऐसे में अब आर-पार की लड़ाई होगी. बुधवार से मध्य प्रदेश के सभी मेडिकल कॉलेजों में अनिश्चितकालीन हड़ताल शुरू की जाएगी. आज 2 घंटे काम बंद रखा. एसोसिएशन के सचिव राकेश मालवीय का कहना है कि अधिकारियों की हठधर्मिता के कारण चिकित्सकों के लिए DACP को लागू करने एवं विभिन्न चिकित्सक संवर्गों की वर्षों से लंबित विभागीय विसंगतियों को दूर करने के संबंध में मुख्यमंत्री के निर्देश भी बेअसर हो गए हैं.
सीएम का आश्वासन भी काम नहीं आया : डॉक्टर्स का कहना है कि 2 माह पहले उन्होंने इसी मांग को लेकर आंदोलन किया था और मुख्यमंत्री के आश्वासन के बाद हड़ताल वापस ली थी, जिसमें इनकी मांगों के लिए एक समिति का गठन किया गया था. लेकिन क्या उच्च स्तरीय समिति सिर्फ प्रदेश के चिकित्सकों के आंदोलन को खत्म करने और उनके संगठन को तोड़ने हेतु निर्मित की गई थी. क्या वरिष्ठतम प्रशासनिक अधिकारियों के आश्वासन एवं वादों की कोई साख नहीं रही. पूरे प्रदेश के 15 हजार चिकित्सक वरिष्ठ अधिकारियों की मनमानी के विरुद्ध सम्मान की लड़ाई के लिए अनिश्चितकालीन आंदोलन पर हैं.
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आईएमए भी समर्थन में : बता दें यह सभी सोमवार से काली पट्टी बांधकर काम शुरू कर चुके हैं. एसोसिएशन ने चेतावनी दी है कि इनकी मांगों का निराकरण जल्द से जल्द नहीं होता सभी बुधवार से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले जाएंगे. ऐसे में स्वास्थ्य व्यवस्थाएं अगर खराब होती हैं तो इसकी जिम्मेदारी सरकार की होगी. मेडिकल टीचर्स की इस हड़ताल को प्रदेश भर में डॉक्टर्स का समर्थन मिला है. आईएमए ने भी उनके समर्थन में अपना पत्र जारी किया है. ऐसे में प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाएं चरमाने की पूरी आशंका है.