भोपाल। मध्य प्रदेश में साइबर फ्राॅड करने वाले नित नए तरीके इजाद करके वारदात को अंजाम दे रहे हैं. यह साइबर पुलिस के ट्रेकिंग सिस्टम से दूर हैं. पुलिस इनको ट्रैक करने की कोशिश करती है और ये फिर एक नया तरीका ढूंढ लेते हैं. इन दिनों मध्य प्रदेश के किसानों को अचानक एक मैसेज मिलता है कि आपके खाते में फसल का पैसा ट्रांसफर करना है कृपया वेरिफिकेशन कर दें. सीधे-साधे किसान जैसे ही वेरिफिकेशन कोर्ट पर क्लिक करते हैं उनके खाते में जमा राशि साफ हो जाती है. बैरसिया के किसान रामनरेश गुर्जर को 2 मई को मैसेज मिला कि आपकी फसल बिक्री का नंबर लगाया है, कृपया करके वेरिफिकेशन कर दें. किसान ने वेरिफाई किया तो ऑटोमेटिक उनके खाते से करीब 5200 रुपए कट गए. जिस नंबर से मैसेज आया, उसमें लिखा था RKMANDI.ORG चेक करवाया तो यह फेक मैसेज था. इन सब मामलों के बाद साइबर पुलिस ने एलर्ट जारी कर दिया.
केस 1: रायसेन जिले के भगवान सिंह पटेल को 11 दिन पहले मैसेज आया कि आपकी फसल खराब हो गई और उसका क्षति अनुदान सरकार देने जा रही है. मैसेज में एक लिंक भेजी गई और लिखा कि इसमें अपना पेन और आधार कार्ड नंबर अपडेट करके ओटीपी वेरिफिकेशन कर दें. भगवान सिंह ने ऐसा ही किया और ओटीपी वेरिफिकेशन करते ही उनको एक के बाद एक मैसेज आए, जिनमें पहले 5500 रुपए, फिर 3200 रुपए और तीसरी बार में 8200 रुपए कट गए. भगवान सिंह ने इसके बाद मामले की मामले की शिकायत की, लेकिन फ्रॅाड करने वाला नहीं पकड़ा गया.
केस दो: राजगढ़ के ब्यावरा जनपद में करीब 15 किसानों को कृषि उपकरण यानी, ट्रैक्टर के लिए सरकार की तरफ से सब्सिडी देने का मैसेज प्राप्त हुआ. इसमें भी लिंक भेजी गई और लिखा कि सब्सिडी के लिए ओटीपी वेरिफाई करें. ऐसा मैसेज एक साथ सैकड़ों किसानों को मिला था, लेकिन शिकायत सिर्फ 15 की तरफ से ही आई. इन किसानों ने जब ओटीपी वेरिफिकेशन किया तो इनके खाते में सेंध लग गई. करीब 82 हजार रुपए की ठगी इनके साथ हुई है. इसके पहले साइबर ठगों द्वारा www.kissantractoryojana.in के नाम से वेबसाइट बनाकर ठगी को अंजाम दिया जा चुका है.
ऐसे करते हैं ठगी: साइबर पुलिस ने बताया कि किसानों द्वारा अपनी फसल मंडी, सहकारी समिति या स्वसहायता समूह को बेची जाती है. इसकी विक्रय राशि का भुगतान बाद में ऑनलाइन खातों में किया जाता है. साइबर ठगी इसी सुविधा का लाभ उठाते हैं. साइबर ठग किसानों को मंडी, सहकारी समिति और स्वसहायता समूहों के नाम से मैसेज भेजकर या कॉल करके वेरिफिकेशन के लिए कहते हैं. वेरिफाई करते ही राशि वे अपने खातों में ट्रांसफर कर लेते हैं. ओटीपी 4 से 8 अंकों का होता है जो सुरक्षा कोड होता है और एक ही बार जारी किया जाता है.
यह सावधानी बरतें: साइबर पुलिस द्वारा जारी एलर्ट में किसानाें को एहतियात बरतने के निर्देश दिए हैं. पुलिस ने समझाईश दी है कि किसी भी स्थिति में अपना ओटीपी, पिन, पासवर्ड, एटीएम कार्ड नंबर, सीवीवी क्रमांक, कार्ड समाप्ति की तारीख और अपनी जन्म तारीख शेयर नहीं करें. यदि फसल बेचने के बाद राशि आने में देरी होती है तो फिर सीधे मंडी के अफसर या अन्य किसी परिचित से संपर्क करके जानकारी लें. साइबर ठगी होने पर 1930 पर कॉल करके तत्काल सूचना दें. किसानों के साथ फसल बेचने के बाद राशि का भुगतान करने के नाम पर ठगी की जाती है. इसीलिए साइबर पुलिस ने एलर्ट जारी किया है. इसमें हमने बताया कि कैसे ठगी होती है और कैसे बचाव कर सकते हैं.