भोपाल। प्रदेश कांग्रेस के प्रमुख प्रवक्ता केके मिश्रा ने कहा " मैंने 21 जून 2014 को जब व्यापमं महाघोटाले को सार्वजनिक किया तो सरकार ने राजदंड दिलवाकर दो साल की सजा और जुर्माने से नवाजा था. आज फिर सर्वोच्च न्यायालय द्वारा पारित उस आदेश के आधार पर मैं फिर कहना चाहूंगा कि परिवहन आरक्षक भर्ती परीक्षा पूरी तरह भ्रष्टाचार में तब्दील हो गई थी और बड़े लेनदेन के बाद योग्य अभार्थियों की उपेक्षा कर अपात्र और अयोग्य लोगों का चयन भारी भरकम लेनदेन के बाद किया गया."
स्वीकृत पद 100, भर्ती केवल 40 : केके मिश्रा ने कहा कि यही नहीं इस परीक्षा में आरक्षित महिला आरक्षकों के लिए स्वीकृत 100 पदों के बदले सिर्फ 40 महिला आरक्षकों की ही भर्ती की गई थी. जिसे देश की सर्वोच्च अदालत ने अब गलत माना है. मिश्रा ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को घेरते हुए कहा कि वे बताएं कि वोटों की फसल काटने के लिए रक्षाबंधन पर बहन-बेटियों को एक ओर जहां पुलिस भर्ती में 35 प्रतिशत आरक्षण दिये जाने की घोषणा करते हैं, वहीं दूसरी ओर व्यापमं के माध्यम से संपन्न परिवहन आरक्षण भर्ती परीक्षा-2014 में उनकी सरकार आरक्षित 60 प्रतिशत आरक्षण में हेराफेरी कर 40 प्रतिशत कर देती है.
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ये आरोप भी लगाए : केके मिश्रा ने कहा कि 198 परिवहन आरक्षकों की भर्ती का उल्लेख किया गया था तो 332 परिवहन आरक्षकों को चयनित कैसे, किसकी अनुमति से और किस वैधानिक प्रक्रिया को अपनाने के बाद चयन किया गया. मिश्रा ने यह भी कहा कि अब तो सर्वोच्च न्यायालय ने भी इस बात पर आपत्ति जता दी है कि महिला और पुरुष आवेदकों के चयन में शारीरिक और हाइट संबंधी माप के अलग-अलग मापदंड नहीं थे, ऐसा क्यों और किन्हें लाभ पहुंचाने के लिए किया गया?