भोपाल। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि, ओंकारेश्वर में आदि शंकराचार्य की प्रतिमा स्थापना का कार्य अगस्त 2023 तक पूर्ण कर लिया जाएगा. अद्वैतधाम के निर्माण का कार्य समय-सीमा में पूर्ण करने के लिए सभी विभाग तथा एजेंसियों से परस्पर समन्वय बनाए रखने और अनुमतियां प्राप्त करने में विलम्ब को टालने के लिए साप्ताहिक आधार पर समीक्षा बैठकें की जाएं.
सीएम का निर्देश: अद्वैतधाम के निर्माण के साथ ही ओंकारेश्वर का सिटी मास्टर प्लान, नगर की स्वच्छता, इंदौर से ओंकारेश्वर की फोर लेन कनेक्टिविटी, नर्मदा नदी की साफ-सफाई, तटों का सौन्दर्यीकरण और यात्री निवास की कार्य-योजना बना कर समय-सीमा में क्रियान्वित किया जाए. मुख्यमंत्री श्री चौहान मंत्रालय में स्टेच्यू ऑफ वननेस प्रोजेक्ट की समीक्षा बैठक को संबोधित कर रहे थे. संस्कृति मंत्री उषा ठाकुर, मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस, अपर मुख्य सचिव वित्त अजीत केसरी, प्रमुख सचिव संस्कृति शिव शेखर शुक्ला, प्रमुख सचिव लोक निर्माण सुखवीर सिंह सहित संस्कृति विभाग और निर्माण एजेंसी के अधिकारी उपस्थित थे.
108 फीट ऊंची होगी प्रतिमा: जानकारी दी गई कि देश की उत्तर, दक्षिण, पूर्व और पश्चिम की स्थापत्य कलाओं को समाहित कर विकसित किए गए डिजाइन पर आधुनिकतम निर्माण तकनीक से अद्वैतधाम का निर्माण किया जा रहा है. आदि शंकराचार्य की 108 फिट ऊंची प्रतिमा और पेडस्टल की स्थापना की दिशा में हुई प्रगति, आचार्य शंकर संग्रहालय परिसर, आचार्य शंकर अंतर्राष्ट्रीय अद्वैत वेदांत संस्थान, अद्वैत वन आदि के निर्माण की दिशा में हुई प्रगति की जानकारी भी प्रस्तुत की गई.
Bageshwar Dham धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के समर्थन में द्वारका शारदा पीठाधीश्वर जगतगुरु शंकराचार्य
सीएम से हुई थी मुलाकात: हाल ही में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से पद्म विभूषण चित्रकूट तुलसी पीठाधीश्वर जगद्गुरू रामानंदाचार्य स्वामी रामभद्राचार्य महाराज ने मुख्यमंत्री निवास पर सौजन्य भेंट की थी. मुख्यमंत्री ने जगद्गुरु रामभद्राचार्य का पुष्पमाला और तिलक लगाकर स्वागत किया था. जगद्गुरु रामभद्राचार्य रामानन्द सम्प्रदाय के वर्तमान 4 जगद्गुरु रामानन्दाचार्यों में से एक हैं. इस पद पर 1988 से प्रतिष्ठित हैं. चित्रकूट में स्थित संत तुलसीदास के नाम पर स्थापित तुलसी पीठ नामक धार्मिक और सामाजिक सेवा संस्थान के संस्थापक और अध्यक्ष हैं. चित्रकूट स्थित जगद्गुरु रामभद्राचार्य विकलांग विश्वविद्यालय के संस्थापक और आजीवन कुलाधिपति हैं.