भोपाल। राजधानी भोपाल को पिग फ्री सिटी बनाने की कवायद जारी है. इसके लिए सभी प्रोसेस लगभग पूरे हो चुके हैं. जमीनों की अंतिम लिस्ट भी तैयार हो गई है. अब इस प्रस्ताव को शासन को भेजने की तैयारी है. इसके बाद शासन से जब यह प्रस्ताव पारित होगा और जमीनों का आवंटन होगा, उसके बाद निश्चित ही भोपाल पिग मुक्त सिटी हो जाएगी. इस मामले को लेकर नगर निगम अध्यक्ष किशन सूर्यवंशी ने ईटीवी भारत से बात कर बताया कि शहर को पिग फ्री सिटी बनाने के लिए क्या कोशिशें की जा रही हैं और आखिर क्यों पिग फ्री सिटी बनाने की कवायद की जा रही है.
निगम परिषद की बैठक में प्रस्ताव पारित: घर के आसपास गंदगी और सुअरों का जमावड़ा अक्सर देखने में आता है. इसके कारण कई गंभीर बीमारियां भी होती हैं. ऐसे में लोगों की सेहत को ध्यान में रखते हुए, भोपाल नगर निगम ने अब भोपाल शहर को पिग फ्री सिटी बनाने की कवायद शुरू कर दी है. इसके तहत भोपाल में जो भी इसका पालन करते हैं, यानी सुअर पालन में जो लोग लगे हुए हैं, उनसे चर्चा कर पिग फार्म डिवेलप कराने की तैयारी की जा रही है. इस प्रस्ताव को नगर निगम परिषद की बैठक से भी पारित कर दिया गया था. सभी पार्षदों ने इस पर सहमति भी दे दी थी. वहीं नगर निगम अध्यक्ष किशन सूर्यवंशी का इस मामले में कहना है कि शहर में लगातार पिग यानी सुअरों के कारण गंदगी का आलम कई जगह देखने को मिल रहा है. इसकी शिकायतें भी निगम में लगातार आ रही है. लोगों का कहना है कि उनके घर के आसपास यह सुअर बच्चे देते हैं और उनमें से कुछ के मर जाने से गंदगी का अंबार हो जाता है, जिससे बदबू फैलती है.
पिग संचालकों के साथ हुई बैठक: इन पिग से कई गंभीर बीमारियां भी होती हैं. इस सभी की रोकथाम के लिए नगर निगम ने यह प्रस्ताव तैयार किया है. इसके तहत शहर से बाहर पिग फॉर्म विकसित किए जाएंगे. जिस तरह से डेरियो का विस्थापन शहर से बाहर किया गया है. उसी तर्ज पर अब पिग फॉर्म शहर के बाहर बनाए जाएंगे. नगर निगम अध्यक्ष किशन सूर्यवंशी का कहना है कि इस मामले से जुड़े पिग संचालकों से भी उनकी दो बैठक हो चुकी है. अधिकतर लोगों ने इसके लिए सहमति भी दे दी है.
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भोपाल में 52 लोग व्यवसाय से जुड़े: फिलहाल नगर निगम ने इसके लिए जगह भी चिन्हित करनी शुरू कर दी है. भोपाल के नीलबड़, बैरागढ़ से सीहोर रोड के बीच, रायसेन रोड के पास और मिसरोद के आगे होशंगाबाद रोड के पास इसके लिए जगह ढूंढी जा चुकी है. अगर इन जगहों पर सहमति बनती है, तो यहां पर पिग फार्म विकसित किए जाएंगे. जो कि रहवासी कॉलोनी से दूर होंगे. बता दें भोपाल में 52 लोग इस व्यवसाय से जुड़े हुए हैं. 52 पिग संचालकों में से अधिकतर ने इसके लिए सहमति भी दे दी है. जबकि शहर में सुअरों की संख्या हजारों में है. ऐसे में कहा जा सकता है कि आने वाले दिनों में अगर आप भोपाल आएंगे तो आपको यह सिटी पिग मुक्त ही नजर आएगी.