भोपाल। देशभर में पुलिस द्वारा कानून की भाषा में उर्दू और फारसी शब्दों के उपयोग किए जाने पर बीजेपी विधायक ने आपत्ति जताई है. इन शब्दों के स्थान पर हिंदू शब्दों का उपयोग किए जाने को लेकर बीजेपी विधायक यशपाल सिंह सिसौदिया विधानसभा में अशासकीय प्रस्ताव लेकर आए. बीजेपी विधायक के मुताबिक दंड विधान संहिता में वर्ष 1896 से चली आ रही शब्दावली को बदलने की जरूरत है. इसके स्थान पर हिंदी शब्दकोश के शब्दों का उपयोग किया जाए. बता दें कि मध्यप्रदेश विधानसभा का अभी बजट सत्र चल रहा है.
क्यों है उर्दू-अरबी-फारसी शब्दों पर एतराज : बीजेपी विधायक यशपाल सिंह सिसौदिया के मुताबिक दंड विधान संहिता जब बना उस वक्त के प्रचलित अरबी, उर्दू और फारसी शब्दों का उसमें उपयोग किया गया, लेकिन आज के दौर में यह शब्द न सिर्फ प्रचलन से बाहर हो गए हैं, बल्कि आम लोगों के लिए इनका अर्थ समझना भी मुश्किल होता है. जैसे कानून की भाषा में इस्तगासा शब्द का उपयोग किया जाता है, जिसका अर्थ परिवाद होता है, जिसे लोग आसानी से समझ सकते हैं. इसलिए उन्होंने विधानसभा में अशासकीय संकल्प के जरिए केन्द्र सरकार से मांग करेंगे कि कानून की भाषा में अरबी-फारसी ऊर्दू शब्दों के स्थान पर हिंदी शब्दों का उपयोग किया जाए.
प्रदेश में बदले जा रहे हैं ऐसे शब्द : मध्यप्रदेश में कानून की भाषा में उर्दू-अरबी-फारसी शब्दों से पहले ही पुलिस ने तौबा करना शुरू कर दिया है. इसके लिए प्रदेश पुलिस द्वारा इन शब्दों का हिंदी में विकल्प ढूंढकर उनके उपयोग के निर्देश दे दिए हैं. मध्य प्रदेश पुलिस द्वारा कानून की भाषा में उर्दू फारसी और अरबी शब्दों के स्थान पर हिंदी शब्दों भारत के विकल्पों गुड मॉर्निंग के लिए एक कमेटी भी गठित पूर्व में की जा चुकी है. इस तरह के शब्दों को लेकर है एतराज जताया गया है जैसे रोजनामचा, खात्मा-खारिजी, मुचलका, इस्तगासा, माल वाजयाफ्ता, दौरान-ए-गश्त, जरायम आदि.