भोपाल। मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव से 5 पहले पहले बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष के लिए नए चेहरे की तलाश में हैं. कई दावेदार सामने आ रहे हैं. माना जा रहा है कि चुनाव मद्देनजर अनुभव वाले चेहरे को ही पार्टी प्राथमिकता देगी. कैलाश विजयवर्गीय, नरेंद्र सिंह तोमर,राजेंद्र शुक्ला के नाम दावेदारों के रूप में सामने आ रहे हैं. वहीं, शिवराज सरकार महिलाओं को लुभाने में जुटी हुई है. लिहाजा यह कयास भी लगाया जा रहा है कि किसी महिला नेता को प्रदेश अध्यक्ष की कमान दी जा सकती है.
जातीय समीकरण पर नजर : पार्टी को जातीय समीकरणों का भी ध्यान रखना है. 2018 में बीजेपी से सामान्य वर्ग नाराज था. सीएम शिवराज का माई के लाल वाला बयान पार्टी के लिए नेगेटिव रहा. इसके चलते बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा. सबसे तगड़े दावेदारों में कैलाश विजयवर्गीय और नरेंद्र सिंह तोमर का नाम सामने आ रहा है. वहीं तीसरा नाम राजेंद्र शुक्ला का है. विंध्य पर पार्टी का फोकस है और राजेंद्र शुक्ला एक ऐसे नेता हैं, जो विवादों से दूर रहते हैं. पार्टी उनका चेहरा भी सामने ला सकती है. वहीं ये देखा जा रहा है कि सीएम शिवराज की पसंद को भी ध्यान में रखा जाए. इस मायने में नरेंद्र सिंह तोमर और राजेंद्र शुक्ला फिट हैं. तीसरा नाम कैलाश विजयवर्गीय का हो सकता है. हालांकि सीएम के नजदीकी नरेंद्र सिंह तोमर और राजेंद्र शुक्ला ही हैं.
वीडी के खिलाफ बगावत बढ़ी : वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा के खिलाफ नेता और कार्यकर्ता खुलकर बोलने लगे हैं. साथ ही उत्खनन को लेकर कांग्रेस उन पर खुला आरोप लगा रही है. दिग्विजय सिंह ने तो खुलकर कहा कि खजुराहो संसदीय क्षेत्र मे जो अवैध उत्खनन हो रहा है, उसमें प्रदेश अध्यक्ष और एक मंत्री की पार्टनरशिप है. इन दोनों की साठगांठ से ये सब हो रहा है. वीडी शर्मा पार्टी की अंतरकलह को दूर करने में असफल हैं. अभी जिस तरह का माहौल है, उसको देखते हुए पार्टी को लग रहा है कि 2023 उसके लिए जीतना लगातार कठिन होता जा रहा है.
कैलाश विजयवर्गीय का दावा मजबूत : प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए कैलाश विजयवर्गीय का नाम भी जोरों से चल रहा है. पार्टी का मानना है कि उनमें नेतृत्व क्षमता है. वह शिवराज सरकार में मंत्री भी रहे. यदि वह प्रदेश अध्यक्ष की कमान संभालते हैं तो अंदरूनी मनमुटाव भी दूर करने में सफल हो सकते हैं. केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर की बात करें तो अभी वे केंद्र में मंत्री हैं और पीएम मोदी की गुडबुक में भी. ऐसे में उनको प्रदेश अध्यक्ष यदि पार्टी बनाती है तो मंत्री पद छोड़ना पड़ेगा. फिलहाल नरेंद्र सिंह तोमर मंत्री पद छोड़ने के मूड में नहीं दिख रहे. उनके संसदीय क्षेत्र में उनकी रिपोर्ट उतनी अच्छी नहीं है. पिछली बार भी उन्हें अपना संसदीय क्षेत्र बदलना पड़ा था.
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पार्टी में अंदरूनी कलह जारी : मध्यप्रदेश बीजेपी में इस वक्त अंदरूनी कलह जमकर चल रही है. बीजेपी की तमाम कोशिशों के बावजूद हालात ठीक नहीं हैं. कार्यकर्ता भी उतना डटकर मैदान में काम नहीं कर रहे हैं. परिस्थितियों को देखते हुए यदि महिला चेहरा को पार्टी सामने लाती है तो इन सब परिस्थितियों में क्या वह सारे समीकरणों को साधने में कामयाब होगी या फिर स्थिति और बिगड़ेगी, ये आकलन भी पार्टी कर रही है.अभी तक महिलाओं में ऐसा कोई चेहरा नहीं है, जिसकी एप्रोच पूरे प्रदेश में हो.
महिला चेहरे में ये हैं दावेदार : पूर्व मंत्री अर्चना चिटनिस फिलहाल प्रवक्ता हैं. उनके नाम पर पार्टी विचार कर सकती है, लेकिन माना जाता है कि वह भी सभी को लेकर नहीं चलती. पूर्व प्रदेश अध्यक्ष नंदकुमार सिंह चौहान और अर्चना चिटनिस का मनमुटाव जगजाहिर था और ऐसे में ये पहलू भी पार्टी के लिए चिंता का सबब है. दूसरा चेहरा महामंत्री कविता पाटीदार का है, लेकिन जातीय समीकरणों के लिहाज से मुख्यमंत्री भी ओबीसी से आते हैं और कविता पाटीदार भी इसी वर्ग से हैं. कविता पाटीदार को प्रदेश अध्यक्ष बनाने में पार्टी की जातीय समीकरण बिगड़ सकते हैं.