भोपाल। आगामी विधानसभा चुनाव से पहले शिवराज सरकार द्वारा लांच की गई लाडली बहना योजना के प्रचार-प्रसार पर सरकार जमकर पैसा खर्च कर रही है. इस योजना के प्रचार-प्रसार के लिए सरकार अब तक 17 जिलों में इवेंट कर चुकी हैं. एक इवेंट पर सरकार ने 2 करोड़ रुपए खर्च किए. इस तरह 17 जिलों में इवेंट पर सरकार ने 34 करोड़ रुपए फूंक डाले. शिवराज सरकार ने कांग्रेस विधायक जीतू पटवारी के सवाल पर विधानसभा में इसकी जानकारी दी है. उधर कांग्रेस विधायक ने सीएम स्वेच्छा निधि को लेकर भी सवाल उठाए हैं. जीतू पटवारी ने आरोप लगाया कि सीएम ने बीजेपी कार्यकर्ताओं को मनमर्जी से स्वेच्छानुदान दिया.
यह पूछा था कांग्रेस विधायक ने सवाल: पूर्व मंत्री और कांग्रेस विधायक जीतू पटवारी ने सरकार से सवाल पूछा था कि 10 जून 2023 को एक क्लिक पर 1 हजार रुपए प्रति महिला के हिसाब से कितनी महिलाओं को कितनी राशि उनके खातों में जमा की गई. योजना के हितग्राही की जिलेवार संख्या और उनके खातों में जमा की गई राशि कितनी है? पिछले 6 माह में मुख्यमंत्री द्वारा किस-किस जिले में मुख्यमंत्री लाड़ली बहना योजना समारोह या सम्मेलन का आयोजन किया गया और उस पर प्रति समारोह कितना खर्च किया गया.
17 जिलों में सरकार कर चुकी आयोजन: मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने लिखित जवाब में बताया कि इस योजना के तहत 1 करोड़ 11 लाख 70 हजार 835 महिलाओं के खातों में एक-एक हजार रुपए की राशि डाली गई है. वहीं पिछले 6 माह में 17 महिला सम्मेलन का आयोजन किया गया. इसमें 5 मार्च को पहला राज्य स्तरीय सम्मेलन भोपाल में किया गया था. इसके बाद 17 जिलों में यह सम्मेलन किए जा चुके हैं. एक सम्मेलन पर सरकार ने 2 करोड़ रुपए खर्च किए. इस तरह 17 सम्मेलन पर सरकार द्वारा 33 करोड़ 84 लाख 35 हजार रुपए की राशि खर्च की गई. यह पैसा महिला एवं बाल विकास विभाग के मद से खर्च किया गया.
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स्वेच्छा अनुदान पर भी उठाया सवाल: कांग्रेस विधायक जीतू पटवारी ने मुख्यमंत्री स्वेच्छा अनुदान को लेकर भी सवाल उठाया है. विधानसभा में पूछे गए सवाल के जवाब को लेकर उन्होंने कहा कि जब साल 2022-23 में स्वेच्छा अनुदान देने के लिए लिमिट जब 2 लाख रुपए तय थी और किसी भी केस में स्वेच्छानुदान में 2 लाख रुपए से ज्यादा देने का प्रावधान नहीं है, लेकिन मुख्यमंत्री ने इस नियम के विरूद्ध जाकर बीजेपी कार्यकर्ताओं को 2 लाख से ज्यादा का अनुदान दिया है, यह प्रश्न के उत्तर में सरकार ने स्वीकार किया है. 31 दिसंबर 2022 की स्थिति में 2812 केस के विरूद्ध 164 करोड़ रुपए खर्च किए गए, जो बताता है कि प्रति केस 5.80 लाख खर्च किए गए.