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MP Assembly Elections बसपा के वोट बैंक पर बीजेपी की सेंधमारी की तैयारी, दलितों को रिझाने में कांग्रेस भी जुटी - मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव 2023

मध्यप्रदेश के आगामी Assembly Elections में भाजपा की नजर आदिवासी वोटरों के साथ-साथ (bsp) के वोट बैंक पर भी लगी हुई है. दलित वोटों का भी सत्ता हासिल करने में महती योगदान रहता है. जहां दलित वोटरों से प्रभावित कुल 35 सीटों में भाजपा ने 2013 में 28 सीटें हासिल कर सरकार बनाई थी. वहीं पिछले 2018 में उसे मात्र 18 सीटें मिली थीं. जिसके चलते वह सरकार बनाने से चूक गई थी.

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बसपा के वोट बैंक पर बीजेपी की सेंधमारी की तैयारी
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Published : Nov 11, 2022, 9:42 AM IST

भोपाल। मिशन 2023 में जुटी बीजेपी को 41 प्रतिशत वोट बैंक में 10 प्रतिशत और इजाफा करना है. इसके लिए पार्टी ने बसपा के वोट बैंक में सेंध लगाने की रणनीति बनाना शुरू कर दी है. 2018 के चुनावों पर गौर करें तो बीएसपी के कमजोर होने से उसका वोट बैंक लगातार गिरने लगा है.

आदिवासी के बाद दलित वोटर्स पर बीजेपी की नजरः यूपी में मायावती की बसपा का जोर एमपी से सटे इलाकों में बहुत रहा, लेकिन अब उसका वोट बैंक उससे दूर होने लगा है. प्रदेश में bsp का करीब 8 से 10 प्रतिशत वोट बैंक है. इसपर अब बीजेपी की नजर है. बीजेपी अहिरवार, चौधरी और जाटव सहित sc में आने वाली जातियों को साधने की कोशिश में है. अभी तक इस वर्ग का वोटर bsp के खेमे में था. बीजेपी की चिंता ये है कि इस वर्ग का वोटर अब कांग्रेस की तरफ झुक रहा है. हालांकि पिछले चुनावों में बीजेपी ने इस समाज के नेताओं को टिकट भी दिया था, लेकिन ये पार्टी को नहीं जिता पाए थे.

MP Mission 2023 आदिवासियों का खोया जनाधार पाने की कोशिश भाजपा, अनुसूचित जनजाति कार्यसमिति की बैठक में बनी रणनीति

बीजेपी नहीं ले पाई थी बढ़तः पिछले चुनावों में कांग्रेस का दलित वर्ग ने साथ दिया और कांग्रेस सत्ता में आ गई थी. विंध्य में दलित तो बीजेपी से नाराज थे, लेकिन सवर्ण सहित ओबीसी ने बीजेपी का साथ दिया जिससे पार्टी को विंध्य में खासी सफलता मिली थी. मध्यप्रदेश में 35 सीटें sc की हैं. 2013 में दलितों ने बीजेपी पर भरोसा जताया और उसे 28 सीटों पर जीत दिलाई तो वहीं 2018 में बीजेपी को 18 सीट ही मिल पाईं.

30 प्रतिशत सीटों पर बसपा का प्रभावः प्रदेश की करीब 66 विधानसभाओं में bsp का वोट शेयर 8 से 9 प्रतिशत था. ये आंकड़ा 2008 से 2013 यानी तीन विधानसभाओं का है. लेकिन 2018 में मायावती का प्रभाव कम हुआ उसे 5 प्रतिशत वोट मिले और एक सीट पर जीत मिली थी. वहीं 28 उपचुनावों में उसे एक भी सीट पर जीत नहीं मिली. लेकिन उसे 5.70 प्रतिशत वोट मिले थे. वहीं बीजेपी को 19 सीटों पर जीत मिली थी और उसका वोट शेयर 49.46 रहा. 2018 में बीजेपी का 41.6 तो कांग्रेस का 40.9 था.

क्या कहना है बीजेपी काः प्रवक्ता पंकज चतुर्वेदी का कहना है कि हम किसी को भी वोट बैंक की नजर से नहीं देखते. हम सबका साथ सबका विकास का नारा लेकर चलते हैं. मोदी सरकार का यही नारा है और इसी वजह से जनता हमको वोट देती है. ये कांग्रेस की नीति है की इस जाति के वोट बैंक में सेंध लगानी है.

बीजेपी को पहले अपने गिरेबा में झांकना चाहिएः कांग्रेस प्रवक्ता संगीता शर्मा का कहना है कि पिछले चुनावों में दलित वर्ग ने हमारा साथ दिया. उन्होंने देख लिया की बीजेपी के राज में उनको जो वादे किए गए थे वे पूरे नहीं किए.लेकिन पूर्व मुखमंत्री कमलनाथ ने उनकी बात सुनी. जिसके कारण दलितों का हमारी पार्टी को जमकर समर्थन मिला.

भोपाल। मिशन 2023 में जुटी बीजेपी को 41 प्रतिशत वोट बैंक में 10 प्रतिशत और इजाफा करना है. इसके लिए पार्टी ने बसपा के वोट बैंक में सेंध लगाने की रणनीति बनाना शुरू कर दी है. 2018 के चुनावों पर गौर करें तो बीएसपी के कमजोर होने से उसका वोट बैंक लगातार गिरने लगा है.

आदिवासी के बाद दलित वोटर्स पर बीजेपी की नजरः यूपी में मायावती की बसपा का जोर एमपी से सटे इलाकों में बहुत रहा, लेकिन अब उसका वोट बैंक उससे दूर होने लगा है. प्रदेश में bsp का करीब 8 से 10 प्रतिशत वोट बैंक है. इसपर अब बीजेपी की नजर है. बीजेपी अहिरवार, चौधरी और जाटव सहित sc में आने वाली जातियों को साधने की कोशिश में है. अभी तक इस वर्ग का वोटर bsp के खेमे में था. बीजेपी की चिंता ये है कि इस वर्ग का वोटर अब कांग्रेस की तरफ झुक रहा है. हालांकि पिछले चुनावों में बीजेपी ने इस समाज के नेताओं को टिकट भी दिया था, लेकिन ये पार्टी को नहीं जिता पाए थे.

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बीजेपी नहीं ले पाई थी बढ़तः पिछले चुनावों में कांग्रेस का दलित वर्ग ने साथ दिया और कांग्रेस सत्ता में आ गई थी. विंध्य में दलित तो बीजेपी से नाराज थे, लेकिन सवर्ण सहित ओबीसी ने बीजेपी का साथ दिया जिससे पार्टी को विंध्य में खासी सफलता मिली थी. मध्यप्रदेश में 35 सीटें sc की हैं. 2013 में दलितों ने बीजेपी पर भरोसा जताया और उसे 28 सीटों पर जीत दिलाई तो वहीं 2018 में बीजेपी को 18 सीट ही मिल पाईं.

30 प्रतिशत सीटों पर बसपा का प्रभावः प्रदेश की करीब 66 विधानसभाओं में bsp का वोट शेयर 8 से 9 प्रतिशत था. ये आंकड़ा 2008 से 2013 यानी तीन विधानसभाओं का है. लेकिन 2018 में मायावती का प्रभाव कम हुआ उसे 5 प्रतिशत वोट मिले और एक सीट पर जीत मिली थी. वहीं 28 उपचुनावों में उसे एक भी सीट पर जीत नहीं मिली. लेकिन उसे 5.70 प्रतिशत वोट मिले थे. वहीं बीजेपी को 19 सीटों पर जीत मिली थी और उसका वोट शेयर 49.46 रहा. 2018 में बीजेपी का 41.6 तो कांग्रेस का 40.9 था.

क्या कहना है बीजेपी काः प्रवक्ता पंकज चतुर्वेदी का कहना है कि हम किसी को भी वोट बैंक की नजर से नहीं देखते. हम सबका साथ सबका विकास का नारा लेकर चलते हैं. मोदी सरकार का यही नारा है और इसी वजह से जनता हमको वोट देती है. ये कांग्रेस की नीति है की इस जाति के वोट बैंक में सेंध लगानी है.

बीजेपी को पहले अपने गिरेबा में झांकना चाहिएः कांग्रेस प्रवक्ता संगीता शर्मा का कहना है कि पिछले चुनावों में दलित वर्ग ने हमारा साथ दिया. उन्होंने देख लिया की बीजेपी के राज में उनको जो वादे किए गए थे वे पूरे नहीं किए.लेकिन पूर्व मुखमंत्री कमलनाथ ने उनकी बात सुनी. जिसके कारण दलितों का हमारी पार्टी को जमकर समर्थन मिला.

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