भोपाल। मध्यप्रदेश में साल के आखिर में विधानसभा चुनाव होने हैं. चुनावी साल में प्रदेश में रूठों को मानने की कवायद शुरू हो चुकी है. इसकी शुरुआत बीजेपी में नरोत्तम मिश्रा के गढ़ से हुई है. बीजेपी के पूर्व विधायक रामदयाल प्रभाकर पार्टी के उपेक्षा से नाराज चल रहे थे. ग्वालियर चंबल में बीजेपी को 2018 में मिली हार के बाद अब बीजेपी चुनाव के पहले डैमेज कंट्रोल में जुट गई है. वहीं घर वापसी के बाद भाजपा के पूर्व विधायक रामदयाल प्रभाकर ने कहा कि मैंने बिना शर्त पार्टी में वापसी है.
रामदयाल ने मानी गलती: पूर्व विधायक रामदयाल प्रभाकर ने कहा कि भाजपा ने मुझे बहुत कुछ दिया है. मैं भाजपा से पहले भी विधायक रह चुका हूं. उन्होंने कहा कि मैं पूरी निष्ठा से भाजपा की सेवा करूंगा. पार्टी छोड़ने के सवाल पर रामदयाल प्रभाकर ने कहा कि मुझसे गलती हो गई थी. वहीं कांग्रेस से ऑफर के सवाल पर कहा कि किस ने ऑफर दिया, किसने ऑफर नहीं दिया यह सब राजनीति में चलता रहता है.
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कब तक रहे विधायक: बता दें जुलाई 2020 में रामदयाल प्रभाकर ने बीजेपी से इस्तीफा दिया था. बीजेपी पर उपेक्षा का आरोप लगाकर इस्तीफा देकर कांग्रेस में जाने की बात कही थी. 1993 से 2003 तक दो बार विधायक रहे हैं. रामदयाल प्रभाकर दतिया की सेवंड़ा विधानसभा से विधायक रहे हैं. चुनावी तैयारियों में जुटी बीजेपी ने प्रदेश में रूठे कार्यकर्ताओं को मनाने की जिम्मेदारी 14 दिग्गज नेताओं को सौंपी है. कोर ग्रुप की बैठक में दिग्गज नेताओ ने अपनी ग्राउंड रिपोर्ट सौंपी है. माना जा रहा है कि कई नेता और कार्यकर्ता जो पार्टी से नाराज थे या छोड़ कर चले गए थे, उनकी वापसी अब आने वाले दिनों में होनी वाली है.