विदिशा: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 1 फरवरी को संसद में केंद्रीय बजट पेश किया. यह उनका लगातार आठवां बजट था और नरेंद्र मोदी सरकार के 3.0 का पहला पूर्ण बजट था. निर्मला सीतारमण 8वां बजट पेश कर भारत के पूर्व वित्त मंत्री स्वर्गीय मोरारजी देसाई के लगातार 10 बजट पेश करने के रिकॉर्ड के करीब पहुंच गई हैं. मध्य प्रदेश सरकार में वित्त मंत्री रह चुके राघवजी ने ईटीवी भारत पर बजट को लेकर अपनी प्रतिक्रिया दी.
मध्यवर्ग के लिए राहत देने वाला बजट
राघवजी ने कहा "मध्यम वर्ग के लिए यह बजट राहत देने वाला है. क्योंकि इनकम टैक्स में बड़ा बदलाव किया गया है. पहले 7 लाख तक की आय कर मुक्त थी, जिसे अब 12 लाख तक बढ़ा दिया गया है. इसके अलावा इनकम टैक्स स्लैब में भी संशोधन किया गया है, जिससे मध्यम वर्ग को सीधा फायदा मिलेगा."
इस बजट में बिहार के लिए विशेष घोषणाएं की गई हैं. जिनकी फंडिंग केंद्र सरकार करेगी. राघवजी ने कहा "बिहार में आगामी चुनावों को देखते हुए यह कदम उठाया गया है. मध्यम वर्ग के लिए दी गई राहत भी चुनावी रणनीति का हिस्सा हो सकती है. क्योंकि यह तबका बड़े पैमाने पर मतदाता समूह को प्रभावित करता है."
'रुपए की गिरती कीमत के लिए नहीं उठाया कोई कदम'
पूर्व वित्त मंत्री राघवजी ने बजट की कमियों को भी उजागर किया. उन्होंने कहा, "रुपए की गिरती कीमत को रोकने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है, जिससे यह डॉलर के मुकाबले 86-87 तक पहुंच गया है. इसके अलावा, शिक्षित बेरोजगारों के लिए रोजगार के अवसरों पर कोई ठोस प्रावधान नहीं किया गया. किसानों की बढ़ती लागत और समर्थन मूल्य में अपेक्षित वृद्धि न होना भी चिंता का विषय है."
राज्यों को कर्ज लेने में मिली और ढील
निर्मला सीतारमण ने बजट में राज्यों सरकारों को राहत देते हुए राज्य की जीडीपी के 4.5% तक कर्ज लेने की छूट दी है. पहले यह सीमा 4% थी. इस पर राघवजी ने कहा, "यह कदम राज्य सरकारों को राहत तो देगा, लेकिन यह भी देखना होगा कि अधिक कर्ज लेना अर्थव्यवस्था के लिए कितना फायदेमंद होगा. हालांकि, कर्ज लेना अर्थव्यवस्था के लिए कितना उचित है यह विवादास्पद विषय है. ज्यादा कर्ज लेने से अर्थव्यवस्था बिगड़ती है." कुल मिलाकर राघवजी ने इस बजट को सामान्य रूप से ठीक बजट बताया.
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राघवजी कौन हैं?
बता दें कि राघवजी जी एक भारतीय राजनेता हैं. वे लोकसभा और राज्यसभा के सदस्य भी रह चुके हैं. साल 2013 में वे मध्य प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की सरकार में कैबिनेट मंत्री (वित्त मंत्री) भी रह चुके हैं. उन्होंने 5 जुलाई 2013 को घरेलू सहायक के यौन उत्पीड़न के आरोपों के बाद इस्तीफा दे दिया था. बाद में उन्हें भाजपा ने पार्टी से निकाल दिया था. लगभग 10 साल बाद, एमपी उच्च न्यायालय ने जून 2023 में उनके खिलाफ एफआईआर को रद्द कर दिया था और पिछले साल उन्हें सुप्रीम कोर्ट से क्लीन चिट मिल गई थी.