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एमपी विधानसभा चुनाव 2023 में किसके लिए संकट बनेंगे केजरीवाल, जानें क्या है बीजेपी-कांग्रेस का फार्मूला - mp assembly election kejriwal

दो दलीय राजनीति वाले एमपी में नए खिलाड़ी की तरह एंट्री ले रही आम आदमी पार्टी क्या एमपी की सत्ता में आएगी ये बड़ा सवाल नहीं है. सवाल ये है कि, आप के आने से कौन सी पार्टी का पत्ता साफ होगा. खेलने से ज्यादा खेल बिगाड़ने का सियासी इतिहास लेकर चल रही आम आदमी पार्टी गुजरात का खेला एमपी में भी कर सकती है. अगर ये तस्वीर बनी तो केजरीवाल के भाषण के निशाने पर भले बीजेपी और शिवराज हो, लेकिन असल नुकसान कांग्रेस को ही होगा.वोट कांग्रेस के ही कटेंगे.

mp bjp formula
एमपी बीजेपी फार्मूला
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Published : Mar 15, 2023, 4:32 PM IST

भोपाल। 12 हजार बूथ विस्तारक के साथ 103 सीटों पर फोकस के जरिए 230 सीटों की मजबूती का बीजेपी का दांव क्या है. कैसे इस बार हारी हुई 65 सीटों की तासीर बदलने में जुटी है कांग्रेस. आईटी सेल को धार देने के पीछे कांग्रेस की रणनीति क्या है. 2023 के विधानसभा चुनाव में मुफ्त बिजली की सौगात किसके लिए होगी बड़ा आघात. क्या गुजरात की तरह कांग्रेस का खेल बिगाड़ने के अंदाज में ही मैदान में आएंगे केजरीवाल.

जीत के लिए कौन सी जुगत:विधानसभा चुनाव 2023 में कांग्रेस और बीजेपी 230 सीटों पर जीत के लिए जुगत लगा रही है. दोनों दल अपने कमजोर पक्ष को मजबूती देने में जुटे हैं. कोशिश ये है कि, कोई मोर्चा छूटने ना पाए. बीजेपी की सबसे बड़ी ताकत और सबसे बड़ी कमजोरी कार्यकर्ता हैं. निकाय चुनाव में कार्यकर्ता की अनदेखी का असर पार्टी देख चुकी है. लिहाजा अभी से 12 हजार बूथ विस्तारकों के सथ पार्टी ने हर बूथ को डिजीटल और सशक्त बनाने की कवायद शुरु कर दी है.

आकांक्षी सीटों पर फोकस: दस दिन तक लगातार पार्टी संगठन इन बूथों को मजबूत करने के काम में जुटा है. पार्टी ने बाकायदा रणनीति के तहत सीटों पर काम शुरु किया है. जहां पार्टी पिछले दस पंद्रह सालों से लगातार जीत दर्ज कराती रही है. उनसे पहले पार्टी की प्राथमिकता में वो सीटें हैं जो पिछले चुनाव में बहुत थोड़े मार्जिन से बीजेपी के हाथ से फिसल गई थी. ऐसी 103 सीट को बीजेपी का सबसे ज्यादा फोकस है. आकांक्षी सीटें नाम दिया है बीजेपी ने इन्हें और इनमें से ज्यादातर सीटें रिजर्व हैं.

तासीर बदलने में जुटी कांग्रेस: कांग्रेस ने रणनीति उन 65 सीटों को लेकर बनाई है. जो कांग्रेस के लिए हमेशा दूर की कौड़ी रही हैं. ये वो सीटें हैं जिन्हें बीजेपी का गढ़ मान लिया गया है. जहां दशक बीत जाने के बाद भी वोटर ने अपना सियासी मत नहीं बदला है. इन 65 विधानसभा सीटों को कांग्रेस ने टारगेट पर लिया है. 2018 के विधानसभा चुनाव में संगत में पंगत से कई सीटों पर जनादेश बदलने वाले दिग्विजय सिंह कांग्रेस के लिए सुप्त अवस्था में पड़ी इन सीटों का असर बदलने में जुटे हैं. इस कोशिश में जुटे हैं कि कैसे इन सीटों को एक्टिव किया जाए. 60 दिन में 65 सीटों का टारगेट लेकर चल रहे हैं दिग्विजय सिंह. दूसरी तरफ कमलनाथ डिजीटल रास्ते से पार्टी को मजबूती देने में जुटे हैं. आईटी प्रोफेशन्ल्स की टीम पार्टी ने हायर की है जो भोपाल से लेकर दिल्ली तक सोशल मीडिया पर माहौल बनाने के साथ बूथ पर पार्टी की मजबूती का ड्राफ्ट तैयार कर रही है.

मध्यप्रदेश की राजनीति से जुड़ी ये खबरें जरूर पढे़ं...

आप की एंट्री से कितना असर: बीते चुनाव में बीजेपी कांग्रेस के बीच नेक टू नेक फाइट रही थी. इस बार कांग्रेस के सामने चुनौतियां ज्यादा है. और इसमें बड़ा इम्तेहान आम आदमी पार्टी भी लेगी. सीधा नुकसान भी कांग्रेस को पहुंचाएगी. एमपी में मुफ्त बिजली की सौगात देने का एलान कर चुके केजरीवाल कांग्रेस को झटका दे सकते है ये आप का सियासी इतिहास कहता है. बाकी इस पार्टी कि नए फ्रंट पर परफार्मेंस अभी बाकी है.

भोपाल। 12 हजार बूथ विस्तारक के साथ 103 सीटों पर फोकस के जरिए 230 सीटों की मजबूती का बीजेपी का दांव क्या है. कैसे इस बार हारी हुई 65 सीटों की तासीर बदलने में जुटी है कांग्रेस. आईटी सेल को धार देने के पीछे कांग्रेस की रणनीति क्या है. 2023 के विधानसभा चुनाव में मुफ्त बिजली की सौगात किसके लिए होगी बड़ा आघात. क्या गुजरात की तरह कांग्रेस का खेल बिगाड़ने के अंदाज में ही मैदान में आएंगे केजरीवाल.

जीत के लिए कौन सी जुगत:विधानसभा चुनाव 2023 में कांग्रेस और बीजेपी 230 सीटों पर जीत के लिए जुगत लगा रही है. दोनों दल अपने कमजोर पक्ष को मजबूती देने में जुटे हैं. कोशिश ये है कि, कोई मोर्चा छूटने ना पाए. बीजेपी की सबसे बड़ी ताकत और सबसे बड़ी कमजोरी कार्यकर्ता हैं. निकाय चुनाव में कार्यकर्ता की अनदेखी का असर पार्टी देख चुकी है. लिहाजा अभी से 12 हजार बूथ विस्तारकों के सथ पार्टी ने हर बूथ को डिजीटल और सशक्त बनाने की कवायद शुरु कर दी है.

आकांक्षी सीटों पर फोकस: दस दिन तक लगातार पार्टी संगठन इन बूथों को मजबूत करने के काम में जुटा है. पार्टी ने बाकायदा रणनीति के तहत सीटों पर काम शुरु किया है. जहां पार्टी पिछले दस पंद्रह सालों से लगातार जीत दर्ज कराती रही है. उनसे पहले पार्टी की प्राथमिकता में वो सीटें हैं जो पिछले चुनाव में बहुत थोड़े मार्जिन से बीजेपी के हाथ से फिसल गई थी. ऐसी 103 सीट को बीजेपी का सबसे ज्यादा फोकस है. आकांक्षी सीटें नाम दिया है बीजेपी ने इन्हें और इनमें से ज्यादातर सीटें रिजर्व हैं.

तासीर बदलने में जुटी कांग्रेस: कांग्रेस ने रणनीति उन 65 सीटों को लेकर बनाई है. जो कांग्रेस के लिए हमेशा दूर की कौड़ी रही हैं. ये वो सीटें हैं जिन्हें बीजेपी का गढ़ मान लिया गया है. जहां दशक बीत जाने के बाद भी वोटर ने अपना सियासी मत नहीं बदला है. इन 65 विधानसभा सीटों को कांग्रेस ने टारगेट पर लिया है. 2018 के विधानसभा चुनाव में संगत में पंगत से कई सीटों पर जनादेश बदलने वाले दिग्विजय सिंह कांग्रेस के लिए सुप्त अवस्था में पड़ी इन सीटों का असर बदलने में जुटे हैं. इस कोशिश में जुटे हैं कि कैसे इन सीटों को एक्टिव किया जाए. 60 दिन में 65 सीटों का टारगेट लेकर चल रहे हैं दिग्विजय सिंह. दूसरी तरफ कमलनाथ डिजीटल रास्ते से पार्टी को मजबूती देने में जुटे हैं. आईटी प्रोफेशन्ल्स की टीम पार्टी ने हायर की है जो भोपाल से लेकर दिल्ली तक सोशल मीडिया पर माहौल बनाने के साथ बूथ पर पार्टी की मजबूती का ड्राफ्ट तैयार कर रही है.

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आप की एंट्री से कितना असर: बीते चुनाव में बीजेपी कांग्रेस के बीच नेक टू नेक फाइट रही थी. इस बार कांग्रेस के सामने चुनौतियां ज्यादा है. और इसमें बड़ा इम्तेहान आम आदमी पार्टी भी लेगी. सीधा नुकसान भी कांग्रेस को पहुंचाएगी. एमपी में मुफ्त बिजली की सौगात देने का एलान कर चुके केजरीवाल कांग्रेस को झटका दे सकते है ये आप का सियासी इतिहास कहता है. बाकी इस पार्टी कि नए फ्रंट पर परफार्मेंस अभी बाकी है.

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