भोपाल। मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव 2023 का ऐलान हो चुका है. भाजपा की चौथी सूची में पार्टी ने गोविंद सिंह राजपूत, तुलसी सिलावट, राज्यवर्धन सिंह दत्तीगांव समेत ऐसे उम्मीदवारों को भी मौका दिया है, जिनकी वजह से सरकार और पार्टी की किरकिरी होती रही है. पार्टी उन नेताओं का भी टिकट नहीं काट पाई जो मौके-मौके पर संगठन को कोसते रहे हैं. ये लोग बीजेपी को ही बार बार कटघरे में खड़े करते रहे. उमा कांत शर्मा से लेकर मंत्री पद को लेकर पूरे साढ़े तीन साल नाराज रहे अजय विश्नोई को भी पार्टी ने चुनाव मैदान में उतारा है.
तो क्या ये दाग अच्छे हैं....: 2020 के बाद से बीजेपी में सिंधिया बीजेपी और मूल बीजेपी की लकीर खिंची हुई थी और ये माना जा रहा था कि 2023 के विधानसभा चुनाव आने तक संगठन के फिल्टर से काफी कुछ अलग हो जाएगा. लेकिन बीजेपी की चौथी सूची बता रही है कि सिंधिया समर्थकों से किनारा कर पाना पार्टी के लिए इतना आसान नहीं. पार्टी सिंधिया समर्थक उन मंत्रियों को भी अलग नहीं कर पाई जिनके कारण बीजेपी की किरकिरी हुई. गोविंद सिंह राजपूत को सुरखी सीट से पार्टी ने उम्मीदवार बनाया है. गोविंद सिंह राजपूत के चर्चित घोटाले के बाद भी पार्टी ने उन्हें उम्मीदवार बनाया. इसी तरह तुलसी सिलावट के जलसंसाधन मंत्री रहते हुए कारम डैम लीक कांड के बावजूद पार्टी ने उन पर भरोसा जताया.
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जिन्होंने आंखे तरेरी उनको भी मौका: पूर्व मंत्री 2020 के बाद से लगातार मंत्री पद दिए जाने की अपनी हसरत को लेकर पार्टी के खिलाफ बयान बाजी करते रहे. आखिरी तक उनकी सुनवाई हुई भी नहीं. लेकिन पिछले साढे तीन साल में कई मौकों पर बीजेपी को आईना दिखा चुके विश्नोई का टिकट नहीं काट पाई बीजेपी. इसी तरह बीजेपी के गढ़ के तौर पर देखी जाने वाली सिरोंज विधानसभा सीट से चुनाव मैदान में उतरे उमाकांत शर्मा भी कई बार पार्टी के खिलाफ बयानबाजी कर चुके हैं. हालांकि उनके परिवार की सिरोंज लटेरी क्षेत्र में मजबूत स्थिति है. 2013 का चुनाव छोड़ दें तो 1993 से लेकर 2018 तक पहले दिवंगत नेता लक्षमीकांत शर्मा और फिर उमाकांत शर्मा इस सीट से चुनाव जीते रहे हैं.