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मदर्स डे स्पेशलः देश सेवा का जज्बा, 7 महीने की बेटी को खुद से दूर कर निभा रहीं ड्यूटी - Dr. Anshuli Mishra

कोरोना काल में 7 महीने की बच्ची की मां ड्यूटी पर तैनात है. बेटी को दूर इसलिए भेज दिया कि कहीं वो संक्रमण की चपेट में ना आ जाए. जानिए कोरोना वॉरियर मदर डॉ अंशुली मिश्रा की कहानी...

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डॉ अंशुली मिश्रा
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Published : May 10, 2020, 9:53 PM IST

Updated : May 10, 2020, 10:08 PM IST

भोपाल। मां और बच्चे का रिश्ता ऐसा होता है कि बच्चा चाहे जितना बड़ा हो जाए, उसे हर उम्र में मां की जरूरत पड़ती ही है. लेकिन इस कोरोना काल ने इस रिश्ते को भी ऐसे मोड पर ला दिया है,जहां फर्ज की खातिर मां को अपने बच्चे को छोड़कर पहले इस महामारी से लड़ रही है. जिससे इस बीमारी के चलते किसी और मां की गोद सूनी ना पड़ पाए. राजधानी की ऐसी ही एक डॉक्टर हैं, डॉ अंशुली मिश्रा. जिनकी ड्यूटी इस समय सर्वे के काम में लगी है. जिसकी वजह से वे अपनी 7 महीने की बेटी को खुद से करीब 300 किलोमीटर दूर अपनी मां के पास भेज दिया है.

देश सेवा का जज्बा

अपनी इस परिस्थिति के बारे में डॉ अंशुली बतातीं हैं कि जब इस वायरस का असर शहर में बढ़ने लगा, तो हमारे लिए बहुत जरुरी था कि हम इसे रोकने के लिए हर मुमकिन कोशिश करें. ऐसे में हमें हाई रिस्क में रहना होता है. इसलिए मैंने ये तय किया कि अपनी बच्ची को अपने मायके में छोड़ दूं, क्योंकि यहां काम के चलते मैं उसकी देखभाल नहीं कर पाती थी और उसे भी खतरा रहता.

बच्ची को खुद से दूर करने का फैसला लेना उनके लिए मुश्किल जरूर था लेकिन दिल पर पत्थर रखा करना पड़ा. इसी में बच्ची भलाई थी. अंशुली बतातीं हैं कि जब भी समय मिलता है, उससे वीडियो कॉल पर देख लेती हूं. उनके इस फैसले में पूरा परिवार था. अंशुली के पति भी उनका पूरा सहयोग करते हैं.

संकट की इस घड़ी में अपनी 7 महीने की बच्ची से दूर रहना और देश सेवा करना, डॉ अंशुली के जज्बे को ईटीवी भारत सलाम करता है.

भोपाल। मां और बच्चे का रिश्ता ऐसा होता है कि बच्चा चाहे जितना बड़ा हो जाए, उसे हर उम्र में मां की जरूरत पड़ती ही है. लेकिन इस कोरोना काल ने इस रिश्ते को भी ऐसे मोड पर ला दिया है,जहां फर्ज की खातिर मां को अपने बच्चे को छोड़कर पहले इस महामारी से लड़ रही है. जिससे इस बीमारी के चलते किसी और मां की गोद सूनी ना पड़ पाए. राजधानी की ऐसी ही एक डॉक्टर हैं, डॉ अंशुली मिश्रा. जिनकी ड्यूटी इस समय सर्वे के काम में लगी है. जिसकी वजह से वे अपनी 7 महीने की बेटी को खुद से करीब 300 किलोमीटर दूर अपनी मां के पास भेज दिया है.

देश सेवा का जज्बा

अपनी इस परिस्थिति के बारे में डॉ अंशुली बतातीं हैं कि जब इस वायरस का असर शहर में बढ़ने लगा, तो हमारे लिए बहुत जरुरी था कि हम इसे रोकने के लिए हर मुमकिन कोशिश करें. ऐसे में हमें हाई रिस्क में रहना होता है. इसलिए मैंने ये तय किया कि अपनी बच्ची को अपने मायके में छोड़ दूं, क्योंकि यहां काम के चलते मैं उसकी देखभाल नहीं कर पाती थी और उसे भी खतरा रहता.

बच्ची को खुद से दूर करने का फैसला लेना उनके लिए मुश्किल जरूर था लेकिन दिल पर पत्थर रखा करना पड़ा. इसी में बच्ची भलाई थी. अंशुली बतातीं हैं कि जब भी समय मिलता है, उससे वीडियो कॉल पर देख लेती हूं. उनके इस फैसले में पूरा परिवार था. अंशुली के पति भी उनका पूरा सहयोग करते हैं.

संकट की इस घड़ी में अपनी 7 महीने की बच्ची से दूर रहना और देश सेवा करना, डॉ अंशुली के जज्बे को ईटीवी भारत सलाम करता है.

Last Updated : May 10, 2020, 10:08 PM IST
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