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बच्चे के इलाज के लिए पिता को बेचना पड़ा मां का मंगलसूत्र - अस्पतालों में दवाओं की कमी

महाराष्ट्र में कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच अस्पतालों में दवाओं की कमी मरीजों और तीमारदारों की परेशानी और बढ़ा रही है. औरंगाबाद में तो एक माता-पिता को बेटे का इलाज कराने के लिए मंगलसूत्र तक बेचना पड़ा. औरंगाबाद से खास रिपोर्ट.

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Published : Mar 26, 2021, 5:19 PM IST

औरंगाबाद/भोपाल। महाराष्ट्र में कोरोना के मामले बढ़ते जा रहे हैं जिसका असर स्वास्थ्य सुविधाओं पर पड़ रहा है. सरकारी कोविड अस्पतालों में दवाओं की कमी है. आलम ये है कि मरीजों के रिश्तेदारों को बाहर से दवाएं लानी पड़ रही हैं. ये लोग दवाओं के लिए पैसे किस तरह जुटा रहे हैं इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि एक पिता को अपने बेटे का इलाज कराने के लिए पत्नी का मंगलसूत्र तक बेचना पड़ा.

बच्चे के इलाज के लिए बेचा मंगलसूत्र

सात दिन पहले सुखदेव गोरे के बेटे को कोरोना के इलाज के लिए मेल्ट्रॉन कोविड केंद्र में भर्ती कराया गया था. सुखदेव गोरे ने सोचा था कि नगरपालिका के अस्पताल में इलाज के लिए पैसे नहीं खर्ज करने पड़ेगे. लेकिन उन्हें तब झटका लगा जब उन्हें बाहर से दवा लाने के लिए पर्चा पकड़ा दिया गया.

दवा दुकानदार ने साढ़े तीन हजार रुपये का बिल बनाया. अगले दिन फिर उसे बाहर से दवा लाने के लिए कहा गया. इस बार उसने किसी तरह रिश्तेदारों से पैसे उधार लेकर दवा की व्यवस्था की. दो दिन बाद दोबारा दवा लाने के लिए कहने पर दवा कैसे लाई जाए?

परेशान होकर सुखदेव गोरे ने पत्नी का मंगलसूत्र 5,000 रुपये में बेच दिया तब जाकर दवा की व्यवस्था हुई. अब वह इस बात से परेशान है कि अब अगर बाहर से दवा लानी पड़ी तो कहां से लाएगा.

ये स्थिति न सिर्फ सुखदेव गोरे की है बल्कि ऐसे कई लोग हैं जिन्हें अपने मरीजों के लिए बाहर ले दवा का इंतजाम करना पड़ रहा है. वर्तमान में औरंगाबाद शहर में 14 कोविड सेंटर हैं.

Receipt
रसीद

रोज सामने आ रहे 1800 मरीज

इन केंद्रों पर आने वाले रोगियों की संख्या तेजी से बढ़ रही है. वर्तमान आंकड़ों के अनुसार प्रति दिन 1700 से 1800 नए कोरोना रोगी सामने आ रहे हैं. कोरोना रोगियों के लिए एक नया कोविड सेंटर बनाया जा रहा है.

जिला प्रशासन ने बताया कि शहर में 31 से ज्यादा बैंक्वेट हॉल लिए जाएंगे ताकि मरीजों को उचित उपचार मिल सके. बिना लक्षणों वाले रोगियों को इन बैंक्वेट हॉलों में स्थानांतरित कर दिया जाएगा.

वर्तमान में निजी और सरकारी अस्पतालों में बड़ी संख्या में मरीज हैं और कम लक्षणों वाले रोगियों को कहीं और स्थानांतरित किया जाएगा ताकि रोगियों को ऑक्सीजन और वेंटिलेटर बेड उपलब्ध हों. लेकिन बड़ा सवाल है कि मरीजों को दवाएं कैसे उपलब्ध कराएंगे.

दवाओं की कमी से परेशान मरीजों के मुद्दे पर मनसे कार्यकर्ताओं में रोष है. इस मुद्दे पर जब इन लोगों ने नगर आयुक्त अतीक कुमार पांडे से मुलाकात की तो उन्होंने जवाब दिया कि वर्तमान में दवाएं उपलब्ध नहीं हैं इसलिए इस समय अस्पतालों आपूर्ति सुनिश्चित नहीं हो सकी. जब उनसे पूछा गया कि गरीब मरीजों को दवाएं कब मिलेंगी, इस पर उन्होंने टिप्पणी करने से इनकार कर दिया.

पढ़ें- परमबीर सिंह ने बॉम्बे हाईकोर्ट में दायर की याचिका, सीबीआई जांच की मांग

ऐसी स्थिति में सरकारी तंत्र पर निर्भर रहने वाले मरीजों का इलाज कैसे होगा.ये लोग कोरोना-वायरस महामारी से खुद को कैसे बचा सकेंगे?

औरंगाबाद/भोपाल। महाराष्ट्र में कोरोना के मामले बढ़ते जा रहे हैं जिसका असर स्वास्थ्य सुविधाओं पर पड़ रहा है. सरकारी कोविड अस्पतालों में दवाओं की कमी है. आलम ये है कि मरीजों के रिश्तेदारों को बाहर से दवाएं लानी पड़ रही हैं. ये लोग दवाओं के लिए पैसे किस तरह जुटा रहे हैं इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि एक पिता को अपने बेटे का इलाज कराने के लिए पत्नी का मंगलसूत्र तक बेचना पड़ा.

बच्चे के इलाज के लिए बेचा मंगलसूत्र

सात दिन पहले सुखदेव गोरे के बेटे को कोरोना के इलाज के लिए मेल्ट्रॉन कोविड केंद्र में भर्ती कराया गया था. सुखदेव गोरे ने सोचा था कि नगरपालिका के अस्पताल में इलाज के लिए पैसे नहीं खर्ज करने पड़ेगे. लेकिन उन्हें तब झटका लगा जब उन्हें बाहर से दवा लाने के लिए पर्चा पकड़ा दिया गया.

दवा दुकानदार ने साढ़े तीन हजार रुपये का बिल बनाया. अगले दिन फिर उसे बाहर से दवा लाने के लिए कहा गया. इस बार उसने किसी तरह रिश्तेदारों से पैसे उधार लेकर दवा की व्यवस्था की. दो दिन बाद दोबारा दवा लाने के लिए कहने पर दवा कैसे लाई जाए?

परेशान होकर सुखदेव गोरे ने पत्नी का मंगलसूत्र 5,000 रुपये में बेच दिया तब जाकर दवा की व्यवस्था हुई. अब वह इस बात से परेशान है कि अब अगर बाहर से दवा लानी पड़ी तो कहां से लाएगा.

ये स्थिति न सिर्फ सुखदेव गोरे की है बल्कि ऐसे कई लोग हैं जिन्हें अपने मरीजों के लिए बाहर ले दवा का इंतजाम करना पड़ रहा है. वर्तमान में औरंगाबाद शहर में 14 कोविड सेंटर हैं.

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रोज सामने आ रहे 1800 मरीज

इन केंद्रों पर आने वाले रोगियों की संख्या तेजी से बढ़ रही है. वर्तमान आंकड़ों के अनुसार प्रति दिन 1700 से 1800 नए कोरोना रोगी सामने आ रहे हैं. कोरोना रोगियों के लिए एक नया कोविड सेंटर बनाया जा रहा है.

जिला प्रशासन ने बताया कि शहर में 31 से ज्यादा बैंक्वेट हॉल लिए जाएंगे ताकि मरीजों को उचित उपचार मिल सके. बिना लक्षणों वाले रोगियों को इन बैंक्वेट हॉलों में स्थानांतरित कर दिया जाएगा.

वर्तमान में निजी और सरकारी अस्पतालों में बड़ी संख्या में मरीज हैं और कम लक्षणों वाले रोगियों को कहीं और स्थानांतरित किया जाएगा ताकि रोगियों को ऑक्सीजन और वेंटिलेटर बेड उपलब्ध हों. लेकिन बड़ा सवाल है कि मरीजों को दवाएं कैसे उपलब्ध कराएंगे.

दवाओं की कमी से परेशान मरीजों के मुद्दे पर मनसे कार्यकर्ताओं में रोष है. इस मुद्दे पर जब इन लोगों ने नगर आयुक्त अतीक कुमार पांडे से मुलाकात की तो उन्होंने जवाब दिया कि वर्तमान में दवाएं उपलब्ध नहीं हैं इसलिए इस समय अस्पतालों आपूर्ति सुनिश्चित नहीं हो सकी. जब उनसे पूछा गया कि गरीब मरीजों को दवाएं कब मिलेंगी, इस पर उन्होंने टिप्पणी करने से इनकार कर दिया.

पढ़ें- परमबीर सिंह ने बॉम्बे हाईकोर्ट में दायर की याचिका, सीबीआई जांच की मांग

ऐसी स्थिति में सरकारी तंत्र पर निर्भर रहने वाले मरीजों का इलाज कैसे होगा.ये लोग कोरोना-वायरस महामारी से खुद को कैसे बचा सकेंगे?

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