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राजस्थान में रानीखेत बीमारी से हुई सैकड़ों मोरों की मौत, विशेषज्ञों ने की पुष्टि

पाली में मोरों के मौत का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है. जहां विशेषज्ञों ने मोरों की मौत के पीछे रानीखेत बीमारी होना बताया है.

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मोरों की मौत
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Published : May 25, 2021, 3:37 PM IST

भोपाल/ पाली. जिले के रोहट उपखंड के विभिन्न गांवों में पिछले एक माह से राष्ट्रीय पक्षी मोर के मौत का सिलसिला रुकने का नाम नहीं ले रहा है. पशु चिकित्सा विभाग की ओर से कई बार इन मोरों के शव के सैंपल भोपाल लैब में जांच के लिए भी भेजे, लेकिन वहां भी इनकी मौत के पीछे कारणों की पुष्टि नहीं हो पाई.

लगातार हो रही है इन मौतों के चलते प्रशासन ने सोमवार को अजमेर से विशेषज्ञों की टीम को पाली बुलवाया. विशेषज्ञों ने जांच करने करने के बाद मोरों की मौत के पीछे रानीखेत बीमारी को कारण माना है. पशु चिकित्सकों ने भी बीमारी की पुष्टि कर दी है. वहीं, मोरों की मौत के सिलसिले को रोकने के लिए वैक्सीन भी बताया गया है.

जानकारी के अनुसार मोरों की मौत के कारणों का पता नहीं चलने और वन्यजीव प्रेमियों में लगातार बढ़ रहे आक्रोश को देखते हुए पशुपालन विभाग के संयुक्त निदेशक डॉ. चक्रवती गौतम ने राज्य के कुक्कुट प्रशिक्षण संस्थान अजमेर के वरिष्ठ पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ. आलोक खरे को रोहट बुलाया था. डॉ. खरे ने इन मोरों के बारे में जानकारी जुटाई. उसके बाद मृत मोरों की भी जांच की.

मोरों की मौत

उन्होंने कहा कि रानीखेत बीमारी से इन मोरों की मौत हो रही है. इन दिनों प्रदेश में यह वायरस काफी सक्रिय है, जो पक्षियों को चपेट में ले रहा है. अजमेर में तो इस वायरस की चपेट में आने से बड़ी संख्या में मुर्गियों की मौत हुई है. उन्होंने बताया कि इसकी रोकथाम के लिए करीब 1,000 मोरों के लिए असोटा वैक्सीन मंगवाई गई है. डॉ. खरे ने बताया कि मोरों को पीने के पानी के साथ इस वैक्सीन को दिया जाएगा. इसके लिए रोहट क्षेत्र के सांवलता खुर्द के भाकरी वाला गांव के अलग-अलग स्थानों पर पीने के पानी के पात्र रखे जाएंगे.

पढ़ेंः सड़क कार्य का वर्चुअल शिलान्यास : मुख्यमंत्री ने कहा- जनप्रतिनिधि अपने क्षेत्र के प्रस्ताव भेजें, विकास कार्यों में कमी नहीं रखेंगे

क्या है रानीखेत बीमारी

रानीखेत रोग (Virulent Newcastle disease (VN) एक विषाणुजनित ऐसा रोग हैं, जो घरेलू पक्षियों और अनेकों जंगली पक्षी प्रजातियों को प्रभावित करता है. यह बीमारी होने के बाद दो तीन दिन में ही पक्षी कमजोर हो जाते हैं और मर जाते हैं. यह रोग सर्वप्रथम उत्तराखंड के रानीखेत क्षेत्र के पक्षियों में पाया गया था. इसलिए इसका नाम भी रानीखेत रोग रखा गया. विशेषज्ञों के मुताबिक रोग होने के बाद मृत्युदर अधिक बढ़ जाती है.

भोपाल/ पाली. जिले के रोहट उपखंड के विभिन्न गांवों में पिछले एक माह से राष्ट्रीय पक्षी मोर के मौत का सिलसिला रुकने का नाम नहीं ले रहा है. पशु चिकित्सा विभाग की ओर से कई बार इन मोरों के शव के सैंपल भोपाल लैब में जांच के लिए भी भेजे, लेकिन वहां भी इनकी मौत के पीछे कारणों की पुष्टि नहीं हो पाई.

लगातार हो रही है इन मौतों के चलते प्रशासन ने सोमवार को अजमेर से विशेषज्ञों की टीम को पाली बुलवाया. विशेषज्ञों ने जांच करने करने के बाद मोरों की मौत के पीछे रानीखेत बीमारी को कारण माना है. पशु चिकित्सकों ने भी बीमारी की पुष्टि कर दी है. वहीं, मोरों की मौत के सिलसिले को रोकने के लिए वैक्सीन भी बताया गया है.

जानकारी के अनुसार मोरों की मौत के कारणों का पता नहीं चलने और वन्यजीव प्रेमियों में लगातार बढ़ रहे आक्रोश को देखते हुए पशुपालन विभाग के संयुक्त निदेशक डॉ. चक्रवती गौतम ने राज्य के कुक्कुट प्रशिक्षण संस्थान अजमेर के वरिष्ठ पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ. आलोक खरे को रोहट बुलाया था. डॉ. खरे ने इन मोरों के बारे में जानकारी जुटाई. उसके बाद मृत मोरों की भी जांच की.

मोरों की मौत

उन्होंने कहा कि रानीखेत बीमारी से इन मोरों की मौत हो रही है. इन दिनों प्रदेश में यह वायरस काफी सक्रिय है, जो पक्षियों को चपेट में ले रहा है. अजमेर में तो इस वायरस की चपेट में आने से बड़ी संख्या में मुर्गियों की मौत हुई है. उन्होंने बताया कि इसकी रोकथाम के लिए करीब 1,000 मोरों के लिए असोटा वैक्सीन मंगवाई गई है. डॉ. खरे ने बताया कि मोरों को पीने के पानी के साथ इस वैक्सीन को दिया जाएगा. इसके लिए रोहट क्षेत्र के सांवलता खुर्द के भाकरी वाला गांव के अलग-अलग स्थानों पर पीने के पानी के पात्र रखे जाएंगे.

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क्या है रानीखेत बीमारी

रानीखेत रोग (Virulent Newcastle disease (VN) एक विषाणुजनित ऐसा रोग हैं, जो घरेलू पक्षियों और अनेकों जंगली पक्षी प्रजातियों को प्रभावित करता है. यह बीमारी होने के बाद दो तीन दिन में ही पक्षी कमजोर हो जाते हैं और मर जाते हैं. यह रोग सर्वप्रथम उत्तराखंड के रानीखेत क्षेत्र के पक्षियों में पाया गया था. इसलिए इसका नाम भी रानीखेत रोग रखा गया. विशेषज्ञों के मुताबिक रोग होने के बाद मृत्युदर अधिक बढ़ जाती है.

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