भोपाल। तालों-झीलों का शहर, मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में कई जल स्त्रोत हैं, जहां से जिलेवासियों के लिए पानी का सप्लाई किया जाता है. भोपाल की जन संख्या करीब 25 लाख है, जिसकी प्यास बुझाने के लिए 160 पानी की टंकियों के सहारे पानी का सप्लाई होता है. शहर की जनसंख्या के मुताबिक रोजाना 90 MGD पानी की आवश्यकता होती है. इसके बावजूद नगर निगम इससे ज्यादा पानी सप्लाई करता है लेकिन लीकेज के कारण 90 MGD में से करीब 15 से 20 MGD पानी फालतू बह जाता है, यानी बर्बाद हो जाता है.
चार जल स्रोतों से होती है 104 MGD पानी की सप्लाई
भोपाल में चार जल स्त्रोत से पानी सप्लाई की जाती है, जिनमें नर्मदा नदी, बड़ा तालाब, कोलार और केरवा डैम शामिल है.
- नर्मदा नदी से 34 MGD सप्लाई होता है, जो 70 किलोमीटर दूर शाहगंज से लाया जाता है.
- कोलार से भी 34 MGD पानी सप्लाई होती है.
- भोपाल की लाइप लाइन बड़ा तालाब से 30 MGD पानी की सप्लाई होती है.
- केरवा डैम से 6 MGD पानी लिया जाता है, यानी भोपाल में एक दिन में 104 MGD पानी की सप्लाई होती है, जो जरूरत से 14 MGD ज्यादा है.
15 से 20 फीसदी पानी बर्बाद
शहर में नगर निगम भले ही सामान्य से ज्यादा पानी सप्लाई करता है, लेकिन निगम के सही सप्लाई सिस्टम नहीं होने के कारण लोगों तक पानी नहीं पहुंच पाता है. उसकी वजह लीकेज होना बताई जा रही है. भोपाल में जो पानी की सप्लाई हो रही है उसका 15 से 20 फीसदी पानी सड़कों पर बह जाता है.
फूटी पाइप लाइन है पानी के बहने की वजह
शहर में बर्बाद हो रहे पानी की मुख्य वजह है पुरानी पाइपलाइन. कोलार परियोजना के तहत 1989 में पीएससी की पाइप लाइन डाली गई थी. जो अब जर्जर होती जा रही है. यही कारण है कई बार शहर में पानी सप्लाई पर ब्रेक लग जाता है क्योंकि पीएससी लाइन बीच-बीच में फूट जाती है. इसके अलावा शहर में कई पुरानी पाइपलाइन हैं जो काफी खराब हो गई है यहां भी लीकेज देखने को मिलता है.
पाइप लाइन बदलने की तैयारी
पीएससी और जर्जर पाइप लाइन को अब नगर निगम अमृत योजना के तहत बदल रही है. निगम के अधिकारियों को उम्मीद है कि इसके बाद जो पानी बर्बाद होता है उस पर काफी हद तक ब्रेक लग जाएगा, लेकिन जब तक काम पूरा नहीं होता है तब तक रोज ऐसे ही लाखों गैलन पानी बर्बाद होगा.
दो लाख 30 हजार नल कनेक्शन
भोपाल में करीब दो लाख 30 हजार नगर निगम के नल कनेक्शन है, और इसी के जरिए नगर निगम घर-घर तक सुबह और शाम को पानी पहुंचाता है. इसके अलावा डेढ़ हजार के करीब बल्क कनेक्शन दिए गए हैं. शहर में पहले 70 नगर निगम के वार्ड हुआ करते थे, लेकिन पिछले नगर निगम चुनाव से पहले किए गए परिसीमन के बाद 85 वार्ड हो गए हैं. शहर के आसपास की कई कॉलोनियों को नगर पालिका से नगर निगम में शामिल किया गया था, यहां भी नई पाइप लाइन डाली जा रही है.
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पिछले दो साल से भोपाल में अच्छी बारिश दर्ज की गई है और यही कारण है कि नगर निगम मांग से ज्यादा पानी सप्लाई कर रहा है, लेकिन 2017-18 में पानी को लेकर शहर के काफी शहर में काफी किल्लत देखी गई थी. ऐसे में अगर पानी की बर्बादी को आज नहीं रोका तो आने वाले भविष्य में फिर से पानी को लेकर दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है, क्योंकि जल है तो कल है.