भोपाल। देश में शिक्षा की गुणवत्ता को सुधारने के लिए नई शिक्षा नीति 2020 आ चुकी है. हालांकि इसे लागू होने में अभी वक्त लगेगा, लेकिन नई शिक्षा नीति को लागू करने के लिए स्कूल और कॉलेजों में कई तरह के बदलाव करने होंगे. खास तौर पर उच्च शिक्षा विभाग की अगर हम बात करें तो नई शिक्षा नीति के मुताबिक 2030 तक सभी कॉलेजों को ओटोनोमस होना होगा यानि कॉलेज अपना सिलेब्स खुद तय करेंगे और किसी यूनिवर्सिटी पर निर्धारित नहीं होंगे. इस नई एजुकेशन पॉलिसी के लिए प्रदेश के महाविद्यालय और विश्वविद्यालय कितना तैयार हैं. इस पर ईटीवी भारत की एक रिपोर्ट देखिए.
मध्यप्रदेश में कुल 8 शासकीय विश्वविद्यालय हैं. महाविद्यालयों की अगर हम बात करें तो 516 शासकीय विद्यालय मध्यप्रदेश में हैं और 20 ओटोनोमस कॉलेज हैं. उत्कृष्ट संस्थान 9 के करीब हैं. वहीं ऐसे में तकरीबन 60 प्रतिशत महाविद्यालय प्रदेश में ऐसे हैं जो नई शिक्षा नीति के लिए अभी तैयार नहीं हैं, क्योंकि इन महाविद्यालय और विश्वविद्यालय में न तो पर्याप्त फैकल्टी हैं और न ही शिक्षक.
2030 तक भी नई शिक्षा नीति के तैयार नहीं है प्रदेश के कॉलेज
शिक्षाविद् आरके सिंह बताते हैं कि नई शिक्षा नीति के मुताबिक कई सारे ऐसे बिंदु हैं. जिनके लिए प्रदेश सरकार 2030 तक भी अपने आपको तैयार नहीं कर पाएगी. इसमें सबसे बड़ी समस्या है लैंग्वेज. शिक्षाविद की मानें तो आज 20 सालों में हिंदी में इंजीनियरिंग की पढ़ाई तैयार नहीं हो पाई है, तो अगले 10 सालों में कैसे अपने आपको भाषा के लिए तैयार करेंगे और कैसे उन कॉलेजों को तैयार करेंगे जहां न शिक्षक हैं और न छात्र न बिल्डिंग और ना स्टाफ. आज भी 60 प्रतिशत कॉलेजों में रेगुलर टीचर की नियुक्ति नहीं हुई है. ऐसे में नई शिक्षा नीति के मुताबिक प्रदेश के कॉलेजों को तैयार होने में लंबा वक्त लगेगा. इसके लिए एक अच्छी प्लानिंग की जरूरत है.
नई शिक्षा नीति का इम्प्लीमेंट करने के लिए बहुत वक्त लगेगा
वहीं प्रोफेसर कैलाश त्यागी का कहना है शिक्षा नीति पहली बार नहीं आई है. इससे पहले भी कई नीतियां आई हैं, जो पहले आई वो भी अच्छी थीं और जो अब आई हैं ये भी छात्रों के हित के लिए हैं, लेकिन इस नीति को प्रदेश के कॉलेजों में इम्प्लीमेंट होगा इस पर संशय है. क्योंकि बातें तो बहुत होती हैं, लेकिन धरातल पर कुछ नहीं होता. प्रोफेसर कैलाश त्यागी का कहना है कि अभी तक इसको लेकर कोई प्लानिंग तैयार नहीं है और ना कॉलेजों को कोई आदेश दिया है, ना ही शिक्षकों की भर्ती की जा रही है. ऐसे में प्रदेश के कॉलेजों में नई शिक्षा नीति का इम्प्लीमेंट होने में बहुत वक्त लगेगा.
बरकतउल्ला विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार अजीत श्रीवास्तव का कहना है कि यह नीति छात्रों के लिए कारगर साबित होगी, लेकिन जहां तक कॉलेजों और विश्वविद्यालय में इसके इम्प्लीमेंट की बात है तो जो रणनीति विभाग बनाएगा जो आदेश शासन देगा उस पर काम किया जाएगा. जहां तक सवाल स्टाफ की कमी है कि तो इसके लिए प्रक्रिया जारी है. विश्वविद्यालय अपने स्तर पर तैयार है. उच्च शिक्षा विभाग के आयुक्त मुकेश शुक्ला ने बताया कि नई शिक्षा नीति के लिए कॉलेजों को तैयार किया जाएगा. इसके लिए जल्द एक कमेटी तैयार की जाएगी जो कॉलेजों का डाटा एकत्रित करेगी और जो कमियां हैं जरूरतें हैं उन्हें पूरा किया जाएगा. फिलहाल इस पर विचार किया जा रहा है कि किस तरह इसकी शुरुआत होगी.