भोपाल। Modi in Bhopal: भोपाल (Bhopal) के जंबूरी मैदान में हो रहे जनजाति सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) भोपाल पहुंच गये हैं. पीएम मोदी (PM Modi) के विजिट को लेकर एसपीजी यानी स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप (special protection group) के अधिकारियों ने खास रणनीति तैयार की है. पीएम मोदी (PM Modi) की सुरक्षा के लिए 5 चरणों में सुरक्षा चक्र तैयार किया गया है. शुरुआत के तीन चक्र स्थानीय पुलिस के हैं. जबकि पीएम के आसपास सुरक्षा के दो चक्र एसपीजी (SPG) के अधिकारियों और एसपीजी के कमांडो के होंगे. भोपाल में विजिट के दौरान पीएम मोदी (PM Modi) से कौन-कौन मिलेगा, इसकी पूरी सूची एसपीजी ने पहले ही तैयार करा ली है. जिसका नाम इस सूची में नहीं होगा वैसे कोई भी अधिकारी या नेता पीएम के आसपास भी नहीं पहुंच पाएंगे.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) की सुरक्षा व्यवस्था को अंतिम रूप देने एसपीजी (SPG) के अधिकारी और जवान 4 दिन पहले ही भोपाल पहुंच चुके हैं. एसपीजी के अधिकारियों की निगरानी में ही कार्यक्रम स्थल के मुख्य मंच और प्रधानमंत्री (PM Modi) के पूरे रूट का सिक्योरिटी चेक (security check) किया गया है. कार्यक्रम स्थल को 60 घंटे पहले ही पूरी तरह से सील कर दिया गया है, यहां सिर्फ चुनिंदा अधिकारी और नेताओं को ही जाने की अनुमति है. प्रधानमंत्री की सुरक्षा के लिए एसपीजी के 200 जवान भोपाल आए हैं, इनमें से 100 एसपीजी जवानों का पीएम (PM Modi) के पास कड़ा सुरक्षा कवर होगा, इसके अलावा बाकी एसपीजी (SPG commandos) के जवान दोनों कार्यक्रम स्थलों पर पहले से तैनात होंगे.
आधुनिक हथियारों से लैस SPG कमांडो
स्पेशल प्रोडक्शन ग्रुप (special protection group) में हाईली ट्रेंड कमांडो होते हैं. इन कमांडो को इस तरह ट्रेंड किया जाता है कि वे किसी भी विपरीत परिस्थिति से निपट सके. खासतौर से आतंकी गतिविधियों से निपटने में भी पूरी तरह से सक्षम होते हैं और इसके लिए अत्याधुनिक हथियारों से लैस भी होते हैं. इन कमांडो के पास बेल्जियम से मंगवाई गई राइफल होती है जो 1 मिनट में 850 राउंड फायर कर सकती है. साथ ही एफएनएफ 2000 असाल्ट राइफल, सेमी ऑटोमेटिक पिस्टल जैसे आधुनिक हथियार होते हैं. एसपीजी के जवान बुलेट प्रूफ जैकेट से लैस होते हैं और इनके चश्मे-जूते भी बेहद खास होते हैं. एसपीजी के सभी जवान मार्शल आर्ट से भी निपुण होते हैं ताकि कमांडो निहत्थे भी दुश्मन को धूल चटा सके. बता दें कि एसपीजी में स्थाई जवान नियुक्त नहीं किए जाते बल्कि सेना की अलग-अलग विंग से जवानों को लिया जाता हैं.
पीएम की सुरक्षा SPG के हवाले
आमतौर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) के पास दो एसपीजी (SPG) के जवान हमेशा काला ब्रीफकेस लिए दिखाई देते हैं. यह ब्रीफकेस बेहद खास होता है यदि कोई आपात स्थिति बनती है तो एसपीजी के जवान अपने ब्रीफकेस ओपन कर लेते हैं, दरअसल यह ब्रीफकेस ओपन होने के बाद बुलेट प्रूफ ढाल का रूप ले लेते हैं. जिसके बाद एक गोली भी इसके आर पार नहीं जा सकती.
SPG दुनिया की सबसे ताकतवर सुरक्षा बलों में से है
स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप यानि SPG को देश ही नहीं, बल्कि दुनिया के सबसे ताकतवर सुरक्षा बलों में से एक माना जाता है. रिटायर्ड डीजी सुभाष अत्रे बताते हैं कि एसपीजी की सबसे खास बात ये होती है कि इसमें किसी भी जवान या फिर अधिकारी की नियुक्ति सीधे नहीं होती, बल्कि इसके लिए भारतीय पुलिस सेवा, सीमा सुरक्षा बल, केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल और केन्द्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल में कार्यरत जवानों और अधिकारियों को निर्धारित समय के लिए एसपीजी में भर्ती किया जाता है. इसके लिए इन्हें कड़ी फिजिकल ट्रेनिंग से गुजरना होता है. इन्हें इस तरह से ट्रेंड किया जाता है, ताकि वे किसी भी परिस्थिति में देश के प्रधानमंत्री की सुरक्षा कर सकें. इन्हें एसपीजी में सिर्फ छह महीने के लिए ही रखा जाता है. इसके बाद उन्हें वापस मूल विभाग में भेज दिया जाता है.
कैसे काम करती है SPG
SPG के जवानों को वर्ल्ड क्लास ट्रेनिंग से गुजरना पड़ता है. ये वही ट्रेनिंग है जो युनाइटेड स्टेट सीक्रेट सर्विस एजेंट्स को दी जाती है. हमले की सूरत में सेकंड कार्डन की जिम्मेदारी होती है कि वह पीएम के चारों ओर घेरा बनाकर खड़े जवानों को सिक्योरिटी कवर दें, ताकि प्रधानमंत्री को सुरक्षित बाहर निकाला जा सके. SPG के जवानों के साथ पीएम के काफिले में एक दर्जन गाड़ियां होती हैं, जिसमें बीएमडब्ल्यू 7 सीरीज की सिडान, 6 बीएमडब्ल्यू एक्स3 और एक मर्सिडीज बेंज होती है. इसके अलावा मर्सिडीज बेंज ऐंम्बुलेंस, टाटा सफारी जैमर भी इस काफिले में शामिल होती है.
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कैसे हुआ गठन
1981 से पहले भारत के प्रधानमंत्री के आवास पर प्रधानमंत्री की सुरक्षा पुलिस उपायुक्त (DCP) के प्रभारी दिल्ली पुलिस के विशेष सुरक्षा जिले की जिम्मेदारी हुआ करती थी. अक्टूबर 1981 में, इंटेलिजेंस ब्यूरो (IB) द्वारा, नई दिल्ली में और नई दिल्ली के बाहर प्रधानमंत्री को सुरक्षा प्रदान करने के लिए एक विशेष टास्क फोर्स (STF) का गठन किया गया. अक्टूबर 1984 में प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद तय किया गया कि एक विशेष समूह को प्रधानमंत्री की सुरक्षा का दारोमदार संभालना चाहिए. इसके बाद एसपीजी के गठन की प्रक्रिया शुरू हुई. 18 फरवरी 1985 को गृह मंत्रालय ने बीरबल नाथ समिति की स्थापना की. मार्च 1985 में बीरबल नाथ समिति ने एक स्पेशल प्रोटेक्शन यूनिट (SPU) के गठन के लिए सिफारिश पेश की. 30 मार्च 1985, को भारत के राष्ट्रपति ने कैबिनेट सचिवालय के तहत इस यूनिट के लिए 819 पदों का निर्माण किया. इसे नाम दिया गया स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप (special protection group). पूर्व में एसपीजी पूर्व प्रधानमंत्री और उनके परिजनों की सुरक्षा का भी जिम्मा संभालती थी, लेकिन अब एसपीजी सिर्फ मौजूदा प्रधानमंत्री की सुरक्षा की जिम्मेदारी संभालती है.