भोपाल। कांग्रेस सेवा दल द्वारा आयोजित सम्मेलन में "वीर सावरकर कितने वीर" नामक पुस्तक का वितरण अब विवादों में घिर गया है. क्योंकि इस पुस्तक में वीर सावरकर को लेकर कई तरह की व्यवहारिक टिप्पणी की गई है. जिसके बाद राजनीति गरमा गई है. बीजेपी ने इस किताब पर कड़ी आपत्ति दर्ज कराते हुए इस तरह की राजनीति न करने की हिदायत दी है.
बीजेपी विधायक रामेश्वर शर्मा का कहना है कि कांग्रेस स्वतंत्र वीर सावरकर को मुस्लिम विरोधी घोषित करने पर उतारू है. कांग्रेस हर राष्ट्रभक्त संगठन पर प्रश्नचिन्ह खड़े करने की आदी हो गई है. उन्होंने कहा कि क्या सावरकर मुस्लिम विरोधी थे और कांग्रेस मुस्लिम भक्त है. कांग्रेस द्वारा वर्ष 1947 के बाद से ही मुसलमानों की चाटुकारिता और तुष्टीकरण की राजनीति से ज्यादा कुछ नहीं किया.
पहले अपने गिरेबां में झांके कांग्रेस
कांग्रेस वीर सावरकर पर प्रश्नचिन्ह उठा रहे हैं. क्या कभी उन्होंने अपने गिरेबां में झांक कर देखा है. उन्होंने कहा कि वीर सावरकर तो वह थे, जिन्होंने देश की स्वतंत्रता के लिए संघर्ष किया. केवल उन्हें ही नहीं बल्कि उनके भाई और उनके परिवार ने भी काल कोठरी में जिंदगी गुजार दी. उन्होंने दो से तीन बार आजीवन कारावास की सजा झेली है. कांग्रेस हमेशा हिंदू योद्धाओं को या हिंदुस्तान के हित में बात करने वाले नेताओं को हमेशा बदनाम करती रही है. पंडित मदन मोहन मालवीय, लोकमान तिलक को भी कांग्रेस ने कभी स्वीकार नहीं किया. जबकि देश विभाजन भी केवल कांग्रेस के कारण ही हुआ है.
सावरकर के चित्र के बराबर भी नहीं कांग्रेसी
कांग्रेस चाहे जितनी बार भी सावरकर को बदनाम करने की कोशिश कर ले लेकिन सावरकर का नाम देश में आज भी स्मरणीय और आदरणीय है.विधायक शर्मा ने कहा कि एक नहीं हजारों कांग्रेसी भी पैदा हो जाएं तो भी वे सावरकर के चित्र के बराबर भी नहीं हो सकती हैं. वहीं वीर सावरकर को पुस्तक में समलैंगिक बताए जाने को लेकर भी विधायक ने कहा कि यह कांग्रेस की पूरी तरह से बदतमीजी है. तंदूर में जलाने वाली कांग्रेस दूसरों पर इस तरह से हमले कर रही है. वह देशभक्तों पर भी चरित्र हनन का काम कर रही है. कम से कम कांग्रेस के नेताओं को जो लोग इस धरती पर मौजूद नहीं है. उनके लिए तो सच बोलना सीखना चाहिए.
सत्ता के मोह जाल में फंसी हुई शिवसेना
रामेश्वर शर्मा ने कहा कि शिवसेना अपने बारे में तय करे कि उसे क्या करना है. क्योंकि हम तो सिर्फ बालासाहेब ठाकरे की शिवसेना को जानते हैं. हम उद्धव ठाकरे की शिवसेना को नहीं जानते हैं.आज की शिवसेना सत्ता के मोह जाल में फंसी हुई शिवसेना बनकर रह गई है. उन्होंने कहा कि बाला साहब ठाकरे की शिवसेना और उद्धव ठाकरे की शिवसेना में जमीन आसमान का अंतर है. उन्होंने कहा कि आरएसएस को बदनाम करके वह मुसलमानों को अपने पक्ष में लेना चाहती है. असल में कांग्रेस के मन की पीड़ा यह है कि अनुच्छेद 370, तीन तलाक बिल पास हो गया राम जन्मभूमि पर निर्णय हो गया लेकिन दंगा नहीं हुआ. यही कारण है कि कांग्रेस को भय हो गया कि कहीं मुसलमान हिंदू विचारधारा के साथ ही देश की न्यायपालिका पर भरोसा करने लगेगी.तो फिर हिंदू और मुसलमान इस देश में एक हो जाएंगे.