भोपाल/जबलपुर। जबलपुर के अस्पताल में हुए भीषण अग्नकांड को लेकर सीएम की अध्यक्षता में उच्चस्तरीय जांच कमेटी का गठन किया गया है. ये जांच की जाएगी कि किसने अस्पताल की अनुमति दी और आखिर इसका फायर सेफ्टी ऑडिट कब से नहीं हुआ. इस मामले में चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग का कहना है कि हमारी ओर से हर अस्पताल संचालक को हर तरह के सेफ्टी नॉर्म्स का पालन करने के निर्देश दिए गए हैं. सीएम शिवराज ने डिवीजनल कमिश्नर की अध्यक्षता में जांच समिति गठित की है.
पुलिस बोली- अस्पताल में खामियां ही खामियां थीं : इधर, आगजनी के मामले में जबलपुर पुलिस ने एफआईआर दर्ज कर ली है. एएसपी संजय अग्रवाल ने बताया कि प्रथम दृष्टया जांच में पाया गया है कि इस अस्पताल की फायर एनओसी नहीं थी. बिल्डिंग पूर्णता प्रमाण पत्र भी अस्पताल प्रबंधन के पास नहीं था. इसके साथ ही इस अस्पताल में अन्य बहुत सारी खामियां थीं, लेकिन इसके बावजूद यह अस्पताल चल रहा था. बताया जा रहा है कि इस अस्पताल को सजाने के लिए अत्यधिक ज्वलनशील मटेरियल लगाया गया था.
अस्पताल संचालक सहित चार डॉक्टरों के खिलाफ एफआईआर : अस्पताल प्रबंधन एवं अन्य सहयोगी के खिलाफ पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है. अस्पताल के मैनेजर को हिरासत में लेकर पूछताछ की जा रही है.अस्पताल में डॉ. सुरेश पटेल और डॉ. निशांत गुप्ता डायरेक्टर हैं. फिलहाल ये फरार चल रहे हैं, जिन्हें पुलिस की टीम लगातार तलाश रही है. दो अन्य संचालकों के खिलाफ भी केस दर्ज किया गया है.
एफएसएल की टीम भी जांच में जुटी : प्रत्यक्षदर्शी अतुल जैन, आग में झुलसे देवलाल वरकड़े और हल्की बाई के बयानों के आधार पर विजय नगर पुलिस ने धारा 304, 308, 34 तहत एफआईआर दर्ज की है. पुलिस ने अस्पताल को सील कर दिया. एफएसएल की टीम भी आग के कारणों की जांच कर रही है. पुलिस इसकी भी जांच कर रही है कि परमिशन देने वाले सरकारी अफसरों कौन हैं. यदि उनकी भूमिका मिली तो उनके खिलाफ भी रिपोर्ट दर्ज की जाएगी. (Jabalpur hospital fire case) (Minister Vishwas Sarang said) (Hospitals not operate without fire safety)